"महावीर जयन्ती": अवतरणों में अंतर

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पंचकल्याणक
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| data3 = महावीर स्वामी जन्म कल्याणक, वर्धमान जयन्ती
| header4 = तिथि
| label5 = [[वीर निर्वाण संवत]]
| data5 = चैत्र सुद १३
| label6 = ग्रेगोरियन
| data6 = ६ अपैल २०२० (२६१९ वाँ जन्मोत्सव )
| data6 = 29 मार्च 2018
}}
 
'''महावीर जयंती''' ('''महावीर स्वामी जन्म कल्याणक''') चैत्र शुक्ल त्रयोदशी (१३) को मनाया जाता है। यह पर्व [[जैन धर्म]] के २४वें तीर्थंकर [[महावीर|महावीर स्वामी]] के जन्म कल्याणक के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह जैनों का सबसे प्रमुख पर्व है।
 
==जन्म==
भगवान [[महावीर]] स्वामी का जन्म ईसा से ५९९ वर्ष पूर्व कुंडग्राम (बिहार), [[भारत]] मे हुआ था। जन्मवर्तमान सेवैशाली पूर्वमें [[तीर्थंकर]]वासोकुण्ड महावीरको कीयह मातास्थान [[त्रिशला]]माना नेजाता १६ शुभ स्वप्न देखे थे जिनका फल [[राजा सिद्धार्थ]] ने इस प्रकार बताया था:-{{sfn|जैन|२०१५|प=४६०}}है।
२३वें तीर्थंकर [[पार्श्वनाथ]] जी के निर्वाण ([[मोक्ष (जैन धर्म)|मोक्ष]]) प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद इनका जन्म हुआ था।{{sfn|जैन|२०१५|प=२१०}}
 
[[जैन ग्रंथ|जैन ग्रन्थों]] के अनुसार जन्म के बाद देवों के मुखिया, [[इन्द्र]] ने सुमेरु पर्वंत पर ले जाकर बालक का क्षीर सागर के जल से अभिषेक कियाकर था।नगर में आया। वीर और श्रीवर्घमान यह दो नाम रखे और उत्सव किया।{{sfn|जैन|२०१५|प=461}} इसे ही जन्म कल्याणक कहते है। हर तीर्थंकर के जीवन में [[पंचकल्याणक]] मनाए जाते है।
[[चित्र:Sixteen Symbolic Dreams.jpg|thumb|250px|right|तीर्थंकर माता द्वारा देखे जाने वाले १६ स्वप्न]]
गर्भ अवतरण के समय [[तीर्थंकर]] महावीर की माता [[त्रिशला]] ने १६ शुभ स्वप्न देखे थे जिनका फल [[राजा सिद्धार्थ]] ने बताया था।{{sfn|जैन|२०१५|प=४६०}}
 
{| class="wikitable"
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! स्वप्न !! राजा सिद्धार्थ द्वारा बतलाया गया फल।
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|१. स्वप्न में चार दाँतों वाला गज || बालक धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करेगा।
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|२. वृषभ, जिसका रंग अत्यन्त सफ़ेद था || इसका फल है की बालक धर्म गुरु होगा और सत्य धर्म का प्रचारक होगा।
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|३. सिंह || बालक अतुल पराक्रमी होगा।
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|४. सिंघासन पर स्थित लक्ष्मी जिसका दो हाथी जल से अभिषेक कर रहे है। || बालक का जन्म के बाद देवों द्वारा सुमेरु पर्वत पर लेजाकर अभिषेक किया जाएगा।
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|५. दो सुगंधित पुष्प मालाएँ || इस स्वप्न का फल है कि बालक यशस्वी होगा।
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|६. पूर्ण चन्द्रमा ||सब जीवों को आनंद प्रदान करेगा।
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|७. सूर्य || अंधकार का नाश करेगा।
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|८. दो स्वर्ण कलश || निधियों का स्वामी होगा।
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|९. मछलियों का युगल || सुखी होगा- अनन्त सुख प्राप्त करेगा।
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|१०. सरोवर || अनेक लक्षणों से सुशोभित होगा।
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|११. समुद्र || केवल ज्ञान प्राप्त करेगा।
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|१२. स्वप्न में एक स्वर्ण और मणि जडित सिंघासन || बालक जगत गुरु बनेगा अर्थात जगत के सर्वोच पद को प्राप्त करेगा।।
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|१३. देव विमान || स्वर्ग से अवतीर्ण होगा।
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|१४. नागेन्द्र का भवन || बालक अवधिज्ञानी होगा।
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|१५.चमकती हुई रत्नराशि || बालक रत्नत्रय - सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चरित्र धारण करेगा।
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|१६. निर्धूम अग्नि ||कर्म रूपी इन्धन को जलाने वाला होगा।
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|}
 
[[जैन ग्रंथ|जैन ग्रन्थों]] के अनुसार जन्म के बाद देवों के मुखिया, [[इन्द्र]] ने सुमेरु पर्वंत पर ले जाकर बालक का क्षीर सागर के जल से अभिषेक किया था। इसे ही जन्म कल्याणक कहते है। हर तीर्थंकर के जीवन में [[पंचकल्याणक]] मनाए जाते है।
 
=== दस अतिशय ===