"भीमबेटका शैलाश्रय": अवतरणों में अंतर

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== शैलकला एवं शैलचित्र ==
यहाँ 600 शैलाश्रय हैं जिनमें 275 [https://easenex.blogspot.com/2020/03/bhimbetka.html शैलाश्रय चित्रों] द्वारा सज्जित हैं। [[पाषाण युग|पूर्व पाषाण काल]] से [[पाषाण युग|मध्य ऐतिहासिक काल]] तक यह स्थान मानव गतिविधियों का केंद्र रहा।<ref name="इन्क्रेडिबल"/> यह बहुमूल्य धरोहर अब [[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण|पुरातत्व विभाग]] के संरक्षण में है। भीमबेटका क्षेत्र में प्रवेश करते हुए शिलाओं पर लिखी कई जानकारियाँ मिलती हैं। यहाँ के शैल चित्रों के विषय मुख्यतया सामूहिक नृत्य, रेखांकित मानवाकृति, शिकार, पशु-पक्षी, युद्ध और प्राचीन मानव जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से जुड़े हैं। चित्रों में प्रयोग किये गए खनिज रंगों में मुख्य रूप से [[भूरा#गेरुआ|गेरुआ]], [[लाल]] और [[श्वेत|सफेद]] हैं और कहीं-कहीं [[पीला]] और [[हरा]] रंग भी प्रयोग हुआ है।<ref name="भारत"/>
 
[[चित्र:A man being hunted by a beast, Bhimbetka Cave paintings.jpg|thumb|200px| भीमबैठका [[शैलचित्र]] ]]
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== निकटवर्ती पुरातात्विक स्थल ==
 
इस प्रकार के प्रागैतिहासिक शैलचित्र [[रायगढ़ जिला, महाराष्ट्र|रायगढ़ जिले]] के सिंघनपुर के निकट कबरा पहाड़ की गुफाओं में<ref name="याहू">{{cite web |first= |last= |author= |authorlink= |coauthors= |title= हुसैनाबाद में ढाई हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष|url= http://in.jagran.yahoo.com/news/local/jharkhand/4_8_5354208.html|archiveurl= |work= |publisher= याहू जागरण|location= |trans_title= |page= ०१|pages= |language= हिन्दी|format= एचटीएमएल|doi= |date= |month= |year= |archivedate= |quote= |accessdate=१८ जुलाई २००९}}</ref>, [[होशंगाबाद]] के निकट आदमगढ़ में, [[छतरपुर ज़िला|छतरपुर जिले]] के बिजावर के निकटस्थ पहाड़ियों पर तथा [[रायसेन ज़िला|रायसेन जिले]] में बरेली तहसील के पाटनी गाँव में मृगेंद्रनाथ की गुफा के शैलचित्र एवं [[भोपाल]]-[[रायसेन ज़िला|रायसेन]] मार्ग पर भोपाल के निकट पहाड़ियों पर (चिडिया टोल) में भी मिले हैं। हाल में ही होशंगाबाद के पास बुधनी की एक पत्थर खदान में भी [https://easenex.blogspot.com/2020/03/bhimbetka.html शैल चित्र] पाए गए हैं। भीमबेटका से ५ किलोमीटर की दूरी पर पेंगावन में ३५ शैलाश्रय पाए गए है ये शैल चित्र अति दुर्लभ माने गए हैं। इन सभी शैलचित्रों की प्राचीनता १०,००० से ३५,००० वर्ष की आंकी गयी है।<ref name="मल्लार">{{cite web |first=पा.ना. |last=सुब्रमणियन |author= |authorlink= |coauthors= |title= भोपाल के इर्दगिर्द आदि मानव के पद चिन्ह |url= http://mallar.wordpress.com/2009/07/13/%E0%A4%AD%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%87%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A6-%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF-%E0%A4%AE%E0%A4%BE/|archiveurl= |work=मल्लार |publisher= वर्ल्ड प्रेस|location= |trans_title= |page= |pages=०१ |language=हिन्दी |format= एचटीएम|doi= |date= |month= |year= |archivedate= |quote= |accessdate=१८ जुलाई २००९}}</ref>
 
== चित्रदीर्घा ==