"इस्लामी कला": अवतरणों में अंतर
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'''इस्लामी कला''' में आती हैं, सातवीं शताब्दी से आरंभ हुई कलाएं, जो कि उन लोगों द्वारा (अनिवार्य रूप से मुस्लिम नहीं) जो कि मुस्लिम संस्कृति से जुडे़ क्षेत्रों में रहते थे; के द्वारा बढा़ई गईं।<ref> Marilyn Jenkins-Madina, Richard Ettinghausen, Oleg Grabar, ''Islamic Art and Architecture 650-1250'', Yale University Press, ISBN 0-300-08869-8, p.3 </ref> इसमें सम्मिलित हैं [[इस्लामी वास्तुकला]], [[इस्लामी सुलेख|इस्लामी सुलेखन]], [[चित्रकारी]] एवं चीनी मिट्टी के कार्य।
वैसे इस्लामी दर्शन और दृश्टिकोण के आधार पर निम्न कळायें उभर कर आईं।[https://easenex.blogspot.com/2019/06/Mughal-painting-art-Mughal-hindi.html मुग़ल चित्रकला] तो चरम तक पहुंचने का काम जहाँगीर के द्वारा किया गया ,जहाँगीर स्वयं भी एक अच्छा चित्रकार था, वह एक प्रकृति प्रेमी था ,उसने अपनी चित्र कला में पक्षियों ,फूल लताओं पेड़ पौधो को दर्शाया ,उसके शासन काल में उस्ताद मंसूर नाम का दक्ष कलाकार था। शाहजहां के शासन काल में पेंटिंग्स में उतार देखने को मिला इसके काल में चित्रो में बनावट देखने को मिलती है ,इस काल में चित्रो में सोने और चांदी का प्रयोग देखने को मिलता है, [https://easenex.blogspot.com/2019/06/Mughal-painting-art-Mughal-hindi.html भड़कीले रंगो] का भी प्रयोग किया गया ,इस कॉल में चित्रकला का विकास तो हुवा लेकिन तकनीक में बदलाव देखने को मिलता है। पेन्सिल द्वारा चित्रों को बनाया जाने लगा था।
* [[इस्लामी वास्तुकला]]
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