"बाड़मेर": अवतरणों में अंतर
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=== विरात्रा माता का मेला ===
चोहटन तहसील से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित विरात्रा में मेला आयोजित किया जाता है। यहाँ साल में तीन बार चैत्र, भाद्रपद तथा माघ में वांकल देवी की पूजा का मेला लगता है। विरात्रा माता की मूर्ति की स्थापना वीर विक्रमादित्य ने की थी। वांकल देवी के पुजारी गहेलड़ा परमार जिनको आदर भाव से भोपा भी कहा जाता है , यहां पर देवी की पूजा करते है। गहेलड़ा( भोपा) पांच गाँवो घोनिया , ढोक , सनाउ , जसाई और परो में निवास करते है। इस स्थान पर मूर्ति लाते हुए विक्रमादित्य ने रात्रि विश्राम किया था।
पीर समरथींग मेला
पीर समरथसिंह सोढा सिद्ध पुरुष थै ,इन्ही के परचो से पश्चिम बाडमेर वह थरपारकर के लोग इन्है पूजते हे,बाडमेर जिले के गोहड का तला गांव मे हर साल मेला आयोजित किया जाता है,यह पीर पीथोरा के वंशज हे,
=== खेड़मेला ===
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