"पंचतंत्र": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Panchatantra page.jpg|right|thumb|300px|यह उस पंचतंत्र का प्रथम पृष्ठ है जो सबसे पुराना सुरक्षित बचा हुआ पंचतंत्र है।]]
[[चित्र:Bidpai pedigree.png|right|thumb|350px|'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार]]
 
[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] नीतिकथाओं में '''पंचतंत्र''' का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादोंसंस्करणों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व<ref>{{Harvnb|Jacobs|1888}}, Introduction, page xv; {{Harvnb|Ryder|1925}}, अनुवादक अपनी प्रस्तावना में, हर्टेल को उद्धृत करते हुए: "that the original work was composed in Kashmir, about 200 B.C. At this date, however, many of the individual stories were already ancient."</ref> के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता [[विष्णु शर्मा|पं॰ विष्णु शर्मा]] है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है:
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[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] नीतिकथाओं में '''पंचतंत्र''' का पहला स्थान माना जाता है। यद्यपि यह पुस्तक अपने मूल रूप में नहीं रह गयी है, फिर भी उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व<ref>{{Harvnb|Jacobs|1888}}, Introduction, page xv; {{Harvnb|Ryder|1925}}, अनुवादक अपनी प्रस्तावना में, हर्टेल को उद्धृत करते हुए: "that the original work was composed in Kashmir, about 200 B.C. At this date, however, many of the individual stories were already ancient."</ref> के आस- पास निर्धारित की गई है। इस ग्रंथ के रचयिता [[विष्णु शर्मा|पं॰ विष्णु शर्मा]] है। उपलब्ध प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जब इस ग्रंथ की रचना पूरी हुई, तब उनकी उम्र लगभग ८० वर्ष थी। पंचतंत्र को पाँच तंत्रों (भागों) में बाँटा गया है:
 
# '''मित्रभेद''' (मित्रों में मनमुटाव एवं अलगाव)
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:''"पंचतन्त्र एक नीति शास्त्र या नीति ग्रन्थ है- नीति का अर्थ जीवन में बुद्धि पूर्वक व्यवहार करना है। चतुरता और धूर्तता नहीं, नैतिक जीवन वह जीवन है जिसमें मनुष्य की समस्त शक्तियों और सम्भावनाओं काविकास हो अर्थात् एक ऐसे जीवन की प्राप्ति हो जिसमें आत्मरक्षा, धन-समृद्धि, सत्कर्म, मित्रता एवं विद्या की प्राप्ति हो सके और इनका इस प्रकार समन्वय किया गया हो कि जिससे आनंद की प्राप्ति हो सके, इसी प्रकार के जीवन की प्राप्ति के लिए, पंचतन्त्र में चतुर एवं बुद्धिमान पशु-पक्षियों के कार्य व्यापारों से सम्बद्ध कहानियां ग्रथित की गई हैं। पंचतन्त्र की परम्परा के अनुसार भी इसकी रचना एक राजा के उन्मार्गगामी पुत्रों की शिक्षा के लिए की गई है और लेखक इसमें पूर्ण सफल रहा है।"''
 
==पञ्चतन्त्र का विश्व में प्रसार==
[[चित्र:Bidpai pedigree.png|rightcenter|thumb|350px550px|'''पंचतन्त्र''' का विश्व में प्रसार]]
 
== सन्दर्भ ==