"भीमराव आम्बेडकर": अवतरणों में अंतर
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|birth_name = भिवा, भीम, भीमराव
|nationality = भारतीय
|party = {{•}} शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन<br
|otherparty = '''सामाजिक संघठन''' : <br />{{•}} [[बहिष्कृत हितकारिणी सभा]]<br />{{•}} [[समता सैनिक दल]]<br /><br />'''शैक्षिक संघठन''' : <br />{{•}} डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी<br />{{•}} द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट<br />{{•}} पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी <br /><br /> '''धार्मिक संघठन''' : <br />{{•}} [[भारतीय बौद्ध महासभा]]
|spouse = {{•}} [[रमाबाई आम्बेडकर]] <br
|partner = <!--For those with a domestic partner and not married-->
|relations = [[आम्बेडकर परिवार]] देखें
|children = यशवंत आम्बेडकर
|residence = {{•}} [[राजगृह]], मुम्बई<br
|alma_mater = {{•}} [[मुंबई विश्वविद्यालय]] <sub>(बी॰ए॰)</sub> <br
|occupation = वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ
|profession = विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री,<br> राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद् <br> दार्शनिक, लेखक <br> पत्रकार, समाजशास्त्री, <br>मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,<br> धर्मशास्त्री, इतिहासविद्<br> प्रोफेसर,
|cabinet =
|committees =
|portfolio =
|religion = [[बौद्ध धर्म|बौद्ध धम्म]]
|awards = {{•}} [[बोधिसत्व]] (1956)<br
|signature = Dr. Babasaheb Ambedkar Signature.svg
|signature_alt= आम्बेडकर का दस्तखत
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1956 में उन्होंने [[बौद्ध धर्म]] अपना लिया। 1990 में, उन्हें [[भारत रत्न]], भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था। [[१४ अप्रैल]] को उनका जन्म दिवस [[आंबेडकर जयंती|आम्बेडकर जयंती]] एक तौहार के रूप में भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।<ref>http://ccis.nic.in/WriteReadData/CircularPortal/D2/D02est/12_6_2015_JCA-2-19032015.pdf Ambedkar Jayanti from ccis.nic.in on 19th March 2015</ref> आम्बेडकर की विरासत में लोकप्रिय संस्कृति में कई स्मारक और चित्रण शामिल हैं।<ref>{{Cite web|url=https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/bhimrao-ambedkar-cult-spreading-across-world/articleshow/64364628.cms?from=mdr|title=Bhimrao Ambedkar cult spreading across world|first=Subodh|last=Ghildiyal|date=29 मई 2018|via=The Economic Times}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/india/cult-of-bhim-spreading-across-world/articleshow/64361330.cms|title=Bhim: Cult of Bhim spreading across world | India News - Times of India|website=The Times of India}}</ref>
==
आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को [[ब्रिटिश भारत]] के मध्य भारत प्रांत (अब [[मध्य प्रदेश]]) में स्थित [[महू]] नगर सैन्य छावनी में हुआ था।<ref>{{cite book |last=Jaffrelot |first=Christophe |title= Dr. Ambedkar and Untouchability: Fighting the Indian Caste System|year= 2005 |publisher= [[Columbia University Press]]|location=New York|isbn= 0-231-13602-1 | page=2}}</ref> वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की १४ वीं व अंतिम संतान थे।<ref name="Columbia">{{cite web| last = Pritchett| first = Frances| date = | url = http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/1890s.html| title = In the 1890s| format = PHP| accessdate = 2 अगस्त 2006}}</ref> उनका परिवार [[कबीर पंथ]] को माननेवाला [[मराठी भाषा|मराठी]] मूूल का था और वो वर्तमान [[महाराष्ट्र]] के [[रत्नागिरी]] जिले में [[आंबडवे]]
अपनी जाति के कारण बालक भीम को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेका प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था। रामजी आम्बेडकर ने सन 1898 में जिजाबाई से पुनर्विवाह कर लिया। 7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने [[सातारा]] की गवर्न्मेण्ट हाइस्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। भिवा उनके बचपन का नाम था। आम्बेडकर का मूल उपनाम सकपाल की बजाय आंबडवेकर लिखवाया था, जो कि उनके [[आंबडवे]]
[[File:Ramabai Ambedkar - wife of Dr. Babasaheb Ambedkar.jpg|thumb|[[रमाबाई आम्बेडकर]], आम्बेडकर की पत्नी]]
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===कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन===
[[File:Dr. Babasaheb Ambedkar in Columbia University.jpg|thumb|[[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में आम्बेडकर]]
1913 में, आम्बेडकर 22 साल की आयु में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] चले गए जहां उन्हें [[सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय]] ([[बड़ोदरा|बड़ौदा]] के गायकवाड़) द्वारा स्थापित एक योजना के तहत [[न्यू यॉर्क]] शहर स्थित [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए तीन साल के लिए 11.50 डॉलर प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। वहां
1916 में, उन्हें अपना दूसरा शोध कार्य, ''नेशनल डिविडेंड ऑफ इंडिया - ए हिस्टोरिक एंड एनालिटिकल स्टडी'' के लिए दूसरी कला स्नातकोत्तर प्रदान की गई, और अन्ततः उन्होंने लंदन की राह ली। 1916 में अपने तीसरे शोध कार्य ''इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया'' के लिए अर्थशास्त्र में [[पीएचडी]] प्राप्त की, अपने शोध कार्य को प्रकाशित करने के बाद 1927 में अधिकृत रुप से पीएचडी प्रदान की गई।<ref>{{cite web|url=http://c250.columbia.edu/c250_celebrates/remarkable_columbians/bhimrao_ambedkar.html|title=Bhimrao Ambedkar|work=columbia.edu|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20140210115211/http://c250.columbia.edu/c250_celebrates/remarkable_columbians/bhimrao_ambedkar.html|archivedate=10 February 2014|df=dmy-all}}</ref> 9 मई को, उन्होंने [[मानवशास्त्र|मानव विज्ञानी]] [[अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र]] द्वारा आयोजित एक सेमिनार में ''भारत में जातियां: उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास'' नामक एक शोध पत्र प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित पत्र था। 3 वर्ष तक की अवधि के लिये मिली हुई छात्रवृत्ति का उपयोग उन्होंने केवल दो वर्षों में अमेरिका में पाठ्यक्रम पूरा करने में किया और 1916 में वे लंदन गए।<ref>{{Cite web|url=http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00ambedkar/timeline/graphics/txt_zelliot1991.html|title=txt_zelliot1991|website=www.columbia.edu|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref>
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[[File:Dr. B. R. Ambedkar with his professors and friends from the London School of Economics and Political Science, 1916-17.jpg|thumb|right|250px|लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ आम्बेडकर (केंद्र रेखा में, दाएं से पहले), 1916 - 17]]
[[File:Ambedkar Barrister.jpg|thumb|सन 1922 में एक बैरिस्टर के रूप में डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर]]
अक्टूबर 1916 में, ये [[लंदन]] चले गये और वहाँ उन्होंने ''ग्रेज़ इन'' में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही [[लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स]] में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की [[डॉक्टरेट]] थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। लौटते समय उनके पुस्तक संग्रह को उस जहाज से अलग जहाज पर भेजा गया था जिसे जर्मन पनडुब्बी के टारपीडो द्वारा डुबो दिया गया। ये [[प्रथम विश्व युद्ध]] का काल था।<ref name="Columbia3"
== छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष ==
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[[भारत सरकार अधिनियम, १९१९|भारत सरकार अधिनियम १९१९]], तैयार कर रही साउथबरो समिति के समक्ष, भारत के एक प्रमुख विद्वान के तौर पर आम्बेडकर को साक्ष्य देने के लिये आमंत्रित किया गया। इस सुनवाई के दौरान, आम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिये पृथक निर्वाचिका और [[आरक्षण]] देने की वकालत की।<ref name=Tejani>{{cite book|last=Tejani|first=Shabnum|title=Indian secularism : a social and intellectual history, 1890-1950|year=2008|publisher=Indiana University Press|location=Bloomington, Ind.|isbn=0253220440|pages=205–210|url=https://books.google.com/books?id=6xtrPKa59j4C&pg=PA205&dq=%22ambedkar%22+%22+Southborough+Committee%22&hl=en&sa=X&ei=UN7mUa2EF8z7rAe_wICABA&ved=0CC8Q6AEwAA#v=onepage&q=%22ambedkar%22%20%22%20Southborough%20Committee%22&f=false|accessdate=17 July 2013|chapter=From Untouchable to Hindu Gandhi, Ambedkar and Depressed class question 1932}}</ref> [[१९२०]] में, बंबई से, उन्होंने साप्ताहिक ''मूकनायक'' के प्रकाशन की शुरूआत की। यह प्रकाशन शीघ्र ही पाठकों मे लोकप्रिय हो गया, तब आम्बेडकर ने इसका प्रयोग रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिये किया। उनके दलित वर्ग के एक सम्मेलन के दौरान दिये गये भाषण ने कोल्हापुर राज्य के स्थानीय शासक शाहू चतुर्थ को बहुत प्रभावित किया, जिनका आम्बेडकर के साथ भोजन करना रूढ़िवादी समाज मे हलचल मचा गया।<ref name="Jaffrelot">{{cite book |last1=Jaffrelot |first1=Christophe |title=Dr Ambedkar and Untouchability: Analysing and Fighting Caste |year=2005 |publisher=C. Hurst & Co. Publishers |location=London |isbn=1850654492 |page=4 }}</ref>
बॉम्बे हाईकोर्ट में विधि का अभ्यास करते हुए, उन्होंने अछूतों की शिक्षा को बढ़ावा देने और उन्हें ऊपर उठाने के प्रयास किये। उनका पहला संगठित प्रयास केंद्रीय संस्थान [[बहिष्कृत हितकारिणी सभा]] की स्थापना था, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के साथ ही अवसादग्रस्त वर्गों के रूप में
सन 1925 में, उन्हें बम्बई प्रेसीडेंसी समिति में सभी यूरोपीय सदस्यों वाले [[साइमन कमीशन]] में काम करने के लिए नियुक्त किया गया।<ref>{{cite book |first1=Sukhadeo |last1= Thorat |first2= Narender |last2= Kumar |title= B. R. Ambedkar:perspectives on social exclusion and inclusive policies|year= 2008 |publisher=Oxford University Press| location= New Delhi}}</ref> इस आयोग के विरोध में भारत भर में विरोध प्रदर्शन हुये। जहां इसकी रिपोर्ट को अधिकतर भारतीयों द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया, आम्बेडकर ने अलग से भविष्य के संवैधानिक सुधारों के लिये सिफारिश लिखकर भेजीं।<ref>{{cite book |first= B. R. |last= Ambedkar |title= Writings and Speeches| volume= 1| year=1979 |publisher= Education Dept., Govt. of Maharashtra}}</ref>
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[[File:Dr. Babasaheb Ambedkar and his followers at Vijaystambha of Bhima Koregaon (Pune, Maharashtra).jpg|thumb|right|300px|'[[कोरेगाँव की लड़ाई|जयस्तंभ]]', [[कोरेगाँव भिमा]] में डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर एवं उनके अनुयायि, 1 जनवरी 1927]]
[[द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध]] के अन्तर्गत १ जनवरी 1818 को हुई [[कोरेगाँव की लड़ाई]] के दौरान मारे गये भारतीय [[महार]] सैनिकों के सम्मान में आम्बेडकर ने 1 जनवरी 1927 को कोरेगाँव विजय स्मारक (जयस्तंभ) में एक समारोह आयोजित किया। यहाँ महार समुदाय से संबंधित सैनिकों के नाम संगमरमर के एक शिलालेख पर खुदवाये गये तथा
सन 1927 तक, डॉ॰ आम्बेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध एक व्यापक एवं सक्रिय आंदोलन आरम्भ करने का निर्णय किया। उन्होंने सार्वजनिक आंदोलनों, सत्याग्रहों और जलूसों के द्वारा, पेयजल के सार्वजनिक संसाधन समाज के सभी वर्गों के लिये खुलवाने के साथ ही उन्होनें अछूतों को भी हिंदू
1930 में, आम्बेडकर ने तीन महीने की तैयारी के बाद [[कालाराम मन्दिर सत्याग्रह]] शुरू किया। [[कालाराम मन्दिर]] आंदोलन में लगभग 15,000 स्वयंसेवक इकट्ठे हुए, जिससे [[नाशिक]] की सबसे बड़ी प्रक्रियाएं हुईं। जुलूस का नेतृत्व एक सैन्य बैंड ने किया था, स्काउट्स का एक बैच, महिलाएं और पुरुष पहली बार भगवान को देखने के लिए अनुशासन, आदेश और दृढ़ संकल्प में चले गए थे। जब वे द्वार तक
==पूना पैक्ट==
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<span style="color: black">
<blockquote>हमें अपना रास्ता स्वयँ बनाना होगा और स्वयँ... राजनीतिक शक्ति शोषितो की समस्याओं का निवारण नहीं हो सकती, उनका उद्धार समाज मे उनका उचित स्थान पाने में निहित है। उनको अपना रहने का बुरा तरीका बदलना होगा... उनको शिक्षित होना
आम्बेडकर ने कांग्रेस और गांधी द्वारा चलाये गये [[नमक सत्याग्रह]] की आलोचना की। उनकी अछूत समुदाय मे बढ़ती लोकप्रियता और जन समर्थन के चलते उनको [[1931]] मे [[लंदन]] में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भी, भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। वहाँ उनकी अछूतों को पृथक निर्वाचिका देने के मुद्दे पर गांधी से तीखी बहस हुई, एवं ब्रिटिश डॉ॰ आम्बेडकर के विचारों से सहमत हुए। [[धर्म]] और [[जाति]] के आधार पर पृथक निर्वाचिका देने के प्रबल विरोधी गांधी ने आशंका जताई, कि अछूतों को दी गयी पृथक निर्वाचिका, हिंदू समाज को विभाजित कर देगी। गांधी को लगता था की, सवर्णों को छुआछूत भूलाने के लिए उनके ह्रदयपरिवर्तन होने के लिए उन्हें कुछ वर्षों की अवधि दी जानी चाहिए, किन्तु यह तर्क गलत सिद्ध हुआ जब सवर्णों हिंदूओं द्वारा पूना
[[चित्र:M.R. Jayakar, Tej Bahadur Sapru and Dr. Babasaheb Ambedkar at Yerwada jail, in Poona, on 24 September 1932, the day the Poona Pact was signed.jpg|thumb|right|230px|24 सप्टेंबर 1932 को [[यरवदा केंद्रीय कारागार]] में एम आर जयकर, तेज बहादुर व डॉ॰ आम्बेडकर (दाए से दुसरे)]]
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गांधी इस समय पूना की येरवडा जेल में थे। कम्युनल एवार्ड की घोषणा होते ही गांधी ने पहले तो प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसे बदलवाने की मांग की। लेकिन जब उनको लगा कि उनकी मांग पर कोई अमल नहीं किया जा रहा है तो उन्होंने मरण व्रत रखने की घोषणा कर दी। तभी आम्बेडकर ने कहा कि "यदि गांधी देश की स्वतंत्रता के लिए यह व्रत रखता तो अच्छा होता, लेकिन उन्होंने दलित लोगों के विरोध में यह व्रत रखा है, जो बेहद अफसोसजनक है। जबकि भारतीय ईसाइयो, मुसलमानों और सिखों को मिले इसी (पृथक निर्वाचन के) अधिकार को लेकर गांधी की ओर से कोई आपत्ति नहीं आई।" उन्होंने यह भी कहा कि गांधी कोई अमर व्यक्ति नहीं हैं। भारत में न जाने कितने ऐसे लोगों ने जन्म लिया और चले गए। आम्बेडकर ने कहा कि गांधी की जान बचाने के लिए वह दलितों के हितों का त्याग नहीं कर सकते। अब मरण व्रत के कारण गांधी की तबियत लगातार बिगड रही थी। गांधी के प्राणों पर भारी संकट आन पड़ा। और पूरा हिंदू समाज आम्बेडकर का विरोधी बन गया।<ref>{{Cite web|url=https://www.indiatoday.in/education-today/gk-current-affairs/story/poona-pact-338403-2016-09-24|title=Poona Pact: Mahatma Gandhi's fight against untouchability|first1=India Today Web Desk New|last1=DelhiSeptember 24|first2=2016UPDATED:|last2=September 24|first3=2016 13:15|last3=Ist|website=India Today|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref>
देश में बढ़ते दबाव को देख आम्बेडकर 24 सितम्बर 1932 को शाम पांच बजे येरवडा जेल
==राजनीतिक जीवन==
पंक्ति 216:
</blockquote></span>
उन्होंने लिखा कि मुस्लिम समाज मे तो हिंदू समाज से भी कही अधिक सामाजिक बुराइयां है और मुसलमान उन्हें " भाईचारे " जैसे नरम शब्दों के प्रयोग से छुपाते हैं। उन्होंने मुसलमानो द्वारा अर्ज़ल वर्गों के
"सांप्रदायिकता" से पीड़ित हिंदुओं और मुसलमानों दोनों समूहों ने सामाजिक न्याय की माँग की उपेक्षा की है।<ref name="Ambedkar"/>
</blockquote></span>
पंक्ति 229:
<blockquote>"हालांकि मैं एक अछूत हिन्दू के रूप में पैदा हुआ हूँ, लेकिन मैं एक हिन्दू के रूप में हरगिज नहीं मरूँगा!"</blockquote>
उन्होंने अपने अनुयायियों से भी हिंदू धर्म छोड़ कोई और धर्म अपनाने का आह्वान किया।<ref>{{Cite web|url=http://www.navodayatimes.in/news/khabre/why-dr-b-r-ambedkar-converted-to-buddhism/59020/|title=हिन्दू धर्म छोड़कर क्यों बौद्ध धर्म के हुए अम्बेडकर?|date=14 अक्तू॰ 2017|website=www.navodayatimes.in|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> उन्होंने अपनी इस बात को भारत भर में कई सार्वजनिक सभाओं में भी दोहराया। इस धर्म-परिवर्तन की घोषणा के बाद हैदराबाद के [[इस्लाम]] धर्म के [[निज़ाम]] से लेकर कई [[ईसाई]] मिशनरियों ने उन्हें करोड़ों रुपये का प्रलोभन भी दिया पर उन्होनें सभी को ठुकरा दिया।
आम्बेडकर ने धर्म परिवर्तन की घोषणा करने के बाद 21 वर्ष तक के समय के बीच उन्होंने ने विश्व के सभी प्रमुख धर्मों का गहन अध्ययन किया। उनके द्वारा इतना लंबा समय लेने का मुख्य कारण यह भी था कि वो चाहते थे कि जिस समय वो धर्म परिवर्तन करें उनके साथ ज्यादा से ज्यादा उनके अनुयायी धर्मान्तरण करें। आम्बेडकर बौद्ध धर्म को
==संविधान निर्माण==
पंक्ति 241:
{{Quote|text="अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में उन लोगों में से एक हूं, जिन्होंने डॉ॰ आंबेडकर की बात को बहुत ध्यान से सुना है। मैं इस संविधान की ड्राफ्टिंग के काम में जुटे काम और उत्साह के बारे में जानता हूं।" उसी समय, मुझे यह महसूस होता है कि इस समय हमारे लिए जितना महत्वपूर्ण संविधान तैयार करने के उद्देश्य से ध्यान देना आवश्यक था, वह ड्राफ्टिंग कमेटी द्वारा नहीं दिया गया। सदन को शायद सात सदस्यों की जानकारी है। आपके द्वारा नामित, एक ने सदन से इस्तीफा दे दिया था और उसे बदल दिया गया था। एक की मृत्यु हो गई थी और उसकी जगह कोई नहीं लिया गया था। एक अमेरिका में था और उसका स्थान नहीं भरा गया और एक अन्य व्यक्ति राज्य के मामलों में व्यस्त था, और उस सीमा तक एक शून्य था। एक या दो लोग दिल्ली से बहुत दूर थे और शायद स्वास्थ्य के कारणों ने उन्हें भाग लेने की अनुमति नहीं दी। इसलिए अंततः यह हुआ कि इस संविधान का मसौदा तैयार करने का सारा भार डॉ॰ आंबेडकर पर पड़ा और मुझे कोई संदेह नहीं है कि हम उनके लिए आभारी हैं। इस कार्य को प्राप्त करने के बाद मैं ऐसा मानता हूँ कि यह निस्संदेह सराहनीय है।"<ref>{{Cite web|url=https://indianexpress.com/article/opinion/columns/ambedkar-constitution-narendra-modi-govt-2851111/|title=Denying Ambedkar his due|date=14 June 2016|accessdate=6 April 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://164.100.47.194/loksabha/writereaddata/cadebatefiles/C05111948.html|title=Constituent Assembly of India Debates|website=164.100.47.194|accessdate=6 April 2019}}</ref>}}
[[ग्रैनविले ऑस्टिन]] ने 'पहला और सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज' के रूप में आम्बेडकर द्वारा तैयार [[भारतीय संविधान]] का वर्णन किया। 'भारत के अधिकांश संवैधानिक प्रावधान या तो सामाजिक क्रांति के उद्देश्य को आगे बढ़ाने या इसकी उपलब्धि के लिए जरूरी स्थितियों की स्थापना करके इस क्रांति को बढ़ावा देने के प्रयास में सीधे
आम्बेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान के पाठ में व्यक्तिगत नागरिकों के लिए नागरिक स्वतंत्रता की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है, जिसमें धर्म की आजादी, छुआछूत को खत्म करना, और भेदभाव के सभी रूपों का उल्लंघन करना शामिल है। आम्बेडकर ने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए तर्क दिया, और अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए असेंबली का समर्थन जीता, जो कि सकारात्मक कार्रवाई थी।<ref>{{Cite news|title= Constituent Assembly Debates Clause wise Discussion on the Draft Constitution 15th November 1948 to 8th January 1949|url=http://www.ambedkar.org/ambcd/63B3.CA%20Debates%2015.11.1948%20to%208.1.1949%20Part%20III.htm|accessdate= 12 January 2012|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20130524143208/http://www.ambedkar.org/ambcd/63B3.CA%20Debates%2015.11.1948%20to%208.1.1949%20Part%20III.htm|archivedate= 24 May 2013|df= dmy-all}}</ref> भारत के सांसदों ने इन उपायों के माध्यम से भारत की निराशाजनक कक्षाओं के लिए सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और अवसरों की कमी को खत्म करने की उम्मीद की।<ref name=Sheth>{{cite journal|last=Sheth|first=D. L.|title=Reservations Policy Revisited|journal=Economic and Political Weekly|date=नवम्बर 1987|volume=22|pages=1957–1962|jstor=4377730}}</ref> संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान अपनाया गया था।<ref>{{cite web|title=Constitution of India|url=http://indiacode.nic.in/coiweb/introd.htm|publisher=Ministry of Law and Justice of India|accessdate=10 October 2013|url-status=dead|archiveurl=https://web.archive.org/web/20141022161409/http://indiacode.nic.in/coiweb/introd.htm|archivedate=22 October 2014|df=dmy-all}}</ref> अपने काम को पूरा करने के बाद, बोलते हुए, आम्बेडकर ने कहा:
पंक्ति 248:
===अनुच्छेद 370 का विरोध===
आम्बेडकर ने भारत के संविधान के [[अनुच्छेद ३७०|अनुच्छेद 370]] का विरोध किया, जिसने [[जम्मू-कश्मीर]] राज्य को विशेष दर्जा दिया, और जिसे उनकी इच्छाओं के
=== [[समान नागरिक संहिता]] ===
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{{main|समान नागरिक संहिता}}
आम्बेडकर वास्तव में समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे और कश्मीर के मामले में धारा 370 का विरोध करते थे। आम्बेडकर का भारत आधुनिक, वैज्ञानिक सोच और तर्कसंगत विचारों का देश होता, उसमें पर्सनल कानून की जगह नहीं होती।<ref>{{Cite web|url=https://timesofindia.indiatimes.com/india/one-nation-one-code-how-ambedkar-and-others-pushed-for-a-uniform-code-before-partition/articleshow/60370522.cms|title=One nation one code: How Ambedkar and others pushed for a uniform code before Partition | India News - Times of India|website=The Times of India|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> संविधान सभा में बहस के दौरान, आम्बेडकर ने एक समान नागरिक संहिता को अपनाने की सिफारिश करके भारतीय समाज में सुधार करने की अपनी इच्छा प्रकट कि।<ref>{{cite web|url=http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|title=Ambedkar And The Uniform Civil Code|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20160414123716/http://www.outlookindia.com/website/story/ambedkar-and-the-uniform-civil-code/221068|archivedate=14 April 2016|df=dmy-all}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|title=Ambedkar favoured common civil code|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20161128184514/http://www.thehindu.com/news/national/ambedkar-favoured-common-civil-code/article7934565.ece|archivedate=28 November 2016|df=dmy-all}}</ref> 1951 मे संसद में अपने [[हिन्दू कोड बिल]] (हिंदू संहिता विधेयक) के मसौदे को रोके जाने के बाद आम्बेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। हिंदू कोड बिल द्वारा भारतीय महिलाओं को कई अधिकारों प्रदान करने की बात कहीं गई थी। इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की मांग की गयी थी।<ref>{{cite book |last1=Chandrababu |first1=B. S |last2=Thilagavathi |first2=L |title=Woman, Her History and Her Struggle for Emancipation |year=2009 |publisher=Bharathi Puthakalayam |location=Chennai |isbn=8189909975 |pages=297–298 }}</ref> हालांकि प्रधानमंत्री नेहरू, कैबिनेट और कुछ अन्य कांग्रेसी नेताओं ने इसका समर्थन किया पर राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद एवं वल्लभभाई पटेल समेत संसद सदस्यों की एक बड़ी संख्या इसके
==आर्थिक नियोजन==
[[File:B.R. Ambedkar in 1950.jpg|left|thumb|274x274px|1950 में आम्बेडकर]]
आम्बेडकर विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय थे।<ref name=IEA>{{cite book|last=IEA|title=IEA Newsletter – The Indian Economic Association(IEA)|publisher=IEA publications|location=India|page=10|url=http://indianeconomicassociation.com/download/newsletter2013.pdf|chapter=Dr. B.R. Ambedkar's Economic and Social Thoughts and Their Contemporary Relevance|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131016045757/http://indianeconomicassociation.com/download/newsletter2013.pdf|archivedate=16 October 2013|df=dmy-all}}</ref> उन्होंने तर्क दिया कि औद्योगिकीकरण और कृषि विकास से भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो सकती है।<ref name=Mishra
===भारतीय रिज़र्व बैंक===
पंक्ति 272:
* द प्रॉब्लम ऑफ द रूपी : इट्स ओरिजिन ॲन्ड इट्स सोल्युशन<ref name=autogenerated3>{{cite web|url=http://www.aygrt.net/publishArticles/651.pdf |accessdate=28 November 2012 }}{{dead link|date=मई 2016|bot=medic}}{{cbignore|bot=medic}}</ref><ref>{{cite web |url=http://www.onlineresearchjournals.com/aajoss/art/60.pdf |title=Archived copy |accessdate=28 नवंबर 2012 |url-status=live |archiveurl=https://web.archive.org/web/20131102191100/http://www.onlineresearchjournals.com/aajoss/art/60.pdf |archivedate=2 November 2013 |df=dmy-all }}</ref><ref name=autogenerated1>{{cite web |url=http://drnarendrajadhav.info/drnjadhav_web_files/Published%20papers/Dr%20Ambedkar%20Philosophy.pdf |title=Archived copy |accessdate=28 नवंबर 2012 |url-status=dead |archiveurl=https://web.archive.org/web/20130228060022/http://drnarendrajadhav.info/drnjadhav_web_files/Published%20papers/Dr%20Ambedkar%20Philosophy.pdf |archivedate=28 February 2013 |df=dmy-all }}</ref>
[[भारतीय रिज़र्व बैंक]] (आरबीआई), आम्बेडकर के विचारों पर आधारित था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमिशन को प्रस्तुत किये थे।<ref name=autogenerated3
==दूसरा विवाह==
[[File:Dr. B.R. Ambedkar with wife Dr. Savita Ambedkar in 1948.jpg|thumb|1948 में पत्नी [[सविता आंबेडकर|सविता आम्बेडकर]] के साथ भीमराव आम्बेडकर]]
आम्बेडकर की पहली पत्नी [[रमाबाई आंबेडकर|रमाबाई]] की लंबी बीमारी के बाद 1935 में निधन हो गया। 1940 के दशक के अंत में भारतीय संविधान के मसौदे को पूरा करने के बाद, वह
== बौद्ध धर्म में परिवर्तन ==
पंक्ति 337:
# विच वे टू इमैनसिपेशन ''(मई 1936)''
# फेडरेशन वर्सेज़ फ्रीडम ''(1936)''
# पाकिस्तान और द पर्टिशन ऑफ़ इण्डिया
# रानडे, गांधी एंड जिन्नाह ''(1943)''
# मिस्टर गांधी एण्ड दी एमेन्सीपेशन ऑफ़ दी अनटचेबल्स (सप्टेबर 1945)
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[[File:Tagline of 'Bahishkrut Bharat' was taken from 'Dnyaneshwari' and tagline of 'Mooknayak' was taken from 'Tukaramgatha'.jpg|thumb|200px|बहिष्कृत भारत व [[मूकनायक]] की टॅगलाइन]]
आम्बेडकर एक सफल पत्रकार एवं प्रभावी
===[[मूकनायक]]===
[[File:Cover page of Dr. Babasaheb Ambedkar's 'Mooknayak'.jpg|thumb|200px|मूकनायक का 31 जनवरी 1920 का पहला अंक]]
31 जनवरी 1920 को बाबासाहब ने अछूतों के उपर होने वाले अत्याचारों को प्रकट करने के लिए "[[मूकनायक]]" नामक अपना पहला मराठी [[पाक्षिक]] पत्र शुरू किया। इसके
===बहिष्कृत भारत===
पंक्ति 410:
[[File:Inner page of Dr. Babasaheb Ambedkar's 'Bahishkrut Bharat' Fortnightly. Bahishkrut Bharat was first published on Sunday, 3 April 1927 from Mumbai. Its annual subscription fee was Rs. 3 and 1.5 Aana for each copy.jpg|thumb|200px|बहिष्कृत भारत पत्र]]
मूकनायक के बंद हो जाने के बाद कम समय में आम्बेडकर ने 3 अप्रैल 1924 को दूसरा मराठी पाक्षिक "बहिष्कृत भारत" निकाला। इसका
===समता===
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2004 में अपने विश्वविद्यालय की स्थापना 200 वर्ष पुरे होने के उपलक्ष में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने इस दिवस को विशेष रूप से मनाने का निर्णय लिया, उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में पढ चुके शीर्ष के 100 बुद्धिमान विद्यार्थीओं की ''कोलंबियन अहेड्स ऑफ देअर टाइम'' नामक सूची बनाई, जिन्होंने दुनिया में अपने अपने क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। जब यह सूची प्रकाशित कराई गई तो उसमें पहला नाम था 'भीमराव आम्बेडकर' था, तथा उनका उल्लेख "आधुनिक भारत का निर्माता" के रूप में किया गया। आम्बेडकर को "सबसे अधिक बुद्धिमान विद्यार्थी" यानी पहले ''कोलंबियन अहेड ऑफ देअर टाइम'' के रूप में घोषित किया गया।<ref>{{cite web|url=http://c250.columbia.edu/c250_celebrates/remarkable_columbians/bhimrao_ambedkar.html|title=Bhimrao Ambedkar|website=c250.columbia.edu|access-date=1 अप्रैल 2018}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://ccnmtl.columbia.edu/projects/mmt/ambedkar/web/timeline_files/timeline_content09.html|title=Timeline Content (The Annihilation of Caste - Dr. B. R. Ambedkar)|website=ccnmtl.columbia.edu|access-date=2019-03-30}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://globalcenters.columbia.edu/content/bhimrao-ramji-ambedkar|title=Bhimrao Ramji Ambedkar {{!}} Columbia Global Centers|website=globalcenters.columbia.edu|access-date=2019-03-30}}</ref>
आम्बेडकर को [[हिस्ट्री (टीवी चैनल)|हिस्ट्री टीवी 18]] और [[सीएनएन आईबीएन]] द्वारा 2012 में आयोजित एक चुनाव सर्वेक्षण "[[महानतम भारतीय (सर्वेक्षण)|द ग्रेटेस्ट इंडियन]]" (''[[महानतम भारतीय]]'') में सर्वाधिक वोट दिये गये थे। लगभग 2 करोड़ वोट डाले गए थे, इस पहल के
आम्बेडकर के राजनीतिक दर्शन ने बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों, प्रकाशनों और श्रमिक संघों को जन्म दिया है जो पूरे भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र में सक्रिय हैं। बौद्ध धर्म के बारे में उनकी पदोन्नति से भारतीय आबादी के बडे वर्गों के बीच में बौद्ध दर्शन में रुचि बढी गई है। आधुनिक समय में मानवाधिकार कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर बौद्ध धर्मांतरण समारोह आयोजित कर, आम्बेडकर के नागपुर 1956 के धर्मांतरण समारोह का अनुकरण करते है।<ref>{{Cite news|url=http://www.hindu.com/2007/05/28/stories/2007052806851200.htm|title=One lakh people convert to Buddhism|work=The Hindu|date=28 May 2007|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20100829082828/http://www.hindu.com/2007/05/28/stories/2007052806851200.htm|archivedate=29 August 2010|df=dmy-all}}</ref> ज्यादातर भारतीय बौद्ध, विशेष रूप से [[नवयान]] के अनुयायि उन्हें ''[[बोधिसत्व]]'' और ''[[मैत्रेय]]'' के रूप में मानते है, हालांकि उन्होंने कभी स्वयं का यह दावा नहीं किया।<ref name="Fitzgerald2003">{{cite book|author= Fitzgerald, Timothy|title= The Ideology of Religious Studies|url=https://books.google.com/books?id=R7A1f6Evy84C&pg=PA129| year=2003|publisher= Oxford University Press|isbn= 978-0-19-534715-9|page=129}}</ref><ref name="KuldovaVarghese2017">{{cite book|author=M.B. Bose|editor=Tereza Kuldova and Mathew A. Varghese|title=Urban Utopias: Excess and Expulsion in Neoliberal South Asia |url=https://books.google.com/books?id=6c9NDgAAQBAJ&pg=PA144 |year=2017|publisher=Springer|isbn=978-3-319-47623-0|pages=144–146}}</ref><ref>{{harvtxt|Michael|1999}}, p. 65, notes that "The concept of Ambedkar as a Bodhisattva or enlightened being who brings liberation to all backward classes is widespread among Buddhists." He also notes how Ambedkar's pictures are enshrined side-to-side in Buddhist Vihars and households in Indian Buddhist homes.</ref> भारत के बाहर, 1990 के उत्तरार्ध के दौरान, कुछ हंगरियन रोमानी लोगों ने अपनी स्थिति और भारत के दलित लोगों के बीच समानताएं खींची। आम्बेडकर से प्रेरित होकर, उन्होंने बौद्ध धर्म में परिवर्तित होना शुरू कर दिया है। इन लोगों ने [[हंगरी]] में 'डॉ॰ आम्बेडकर हायस्कूल' नामक तीन विद्यालय भी शुरू किये है, जिसमें एक में 6 दिसम्बर 2016 को आम्बेडकर का स्टेच्यू भी स्थापित किया गया, जो हंगरी के "जय भीम नेटवर्क" ने भेंट दिया था।<ref>{{cite news |url=http://www.hindu.com/mag/2009/11/22/stories/2009112250120300.htm |title=Magazine / Land & People: Ambedkar in Hungary |work=The Hindu |date=22 November 2009 |accessdate=17 July 2010 |location=Chennai, India |url-status=live |archiveurl=https://web.archive.org/web/20100417181130/http://www.hindu.com/mag/2009/11/22/stories/2009112250120300.htm |archivedate=17 April 2010 |df=dmy-all }}</ref> भारत के साथ [[नेपाल]] के दलित लोग व नेता आंबेडकर को मुक्तिदाता मानते हैं, साथ ही वे यह मानते हैं कि आम्बेडकर का दर्शन ही जातिगत भेदभाव को मिटाने में सक्षम है। [[जापान]] के बुराकुमिन समुदाय के नेता आम्बेडकर के दर्शन को बुराकुमिन लोगों तक
महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले के चिचोली गाँव में डॉ॰ आम्बेडकर वस्तु संग्रहालय - 'शांतिवन' में आम्बेडकर के निजी उपयोग की वस्तुएँ रखी हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india-39597352|title=बाबा साहब आंबेडकर की यादें|date=14 अप्रैल 2017|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.bbc.com}}</ref>
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==लोकप्रिय संस्कृति में==
आम्बेडकर का जन्मदिवस [[आंबेडकर जयंती|आम्बेडकर जयंती]] हर साल 14 अप्रैल को एक बडे उत्सव के रूप में भारत भर में मनाया जाता हैं। [[महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म|महाराष्ट्र के बौद्धों]] के लिए यह सबसे बडा त्यौहार हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा आम्बेडकर जयंती को ''[[ज्ञान दिवस]]'' के रूप में मनाया जाता हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/harayana/narnaul/news/HAR-OTH-NARN-MAT-latest-narnaul-news-033504-2268069-NOR.html|title=ज्ञान दिवस के रुप में मनेगा बाबा साहेब का जन्मदिवस|date=26 मार्च 2017|website=Dainik Bhaskar|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://aajdinank.com/news/news/maharashtra/3595/DR.AMBEDKAR.html|title=डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर जयंती आता ‘ज्ञान दिवस’ म्हणून साजरी होणार|website=http://aajdinank.com/|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.bhaskar.com/news/HAR-OTH-NARN-MAT-latest-narnaul-news-033504-2268069-NOR.html|title=ज्ञान दिवस के रुप में मनेगा बाबा साहेब का जन्मदिवस|date=26 मार्च 2017|website=Dainik Bhaskar|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> क्योंकि [[बहुज्ञ]] डॉ॰ आम्बेडकर को "[[ज्ञान]] का प्रतिक" (सिम्बोल ऑफ नॉलेज) माना जाता हैं।<ref>{{Cite web|url=https://www.india.com/marathi/maharashtra/babasaheb-ambedkar-jayanti-2017-ambedkar-jayanti-to-be-celebrated-as-gyan-diwas/|title=Babasaheb Ambedkar Jayanti 2017: Ambedkar Jayanti to be celebrated as ‘Gyan Diwas’ | डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती आता ‘ज्ञान दिवस’ म्हणून साजरी होणार|first=sunil|last=desale|website=India.com|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://lokmat.news18.com/maharastra/ambedkar-jayanti-celebrated-as-world-knowledge-day-258209.html|title=डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती आता 'ज्ञान दिवस' म्हणून साजरा होणार|website=News18 Lokmat|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://www.thehindu.com/news/cities/mumbai/ambedkar-jayanti-to-be-celebrated-as-knowledge-day-in-state/article17998575.ece|title=Ambedkar Jayanti to be celebrated as Knowledge Day in State|first=Staff|last=Reporter|date=14 अप्रैल 2017|accessdate=25 अप्रैल 2019|via=www.thehindu.com}}</ref> इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रुप में घोषित किया गया हैं। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया करते हैं। बौद्ध, दलित एवं अन्य आम्बेडकरवादि लोग अपने घर में उनकी मूर्ति या तस्वीर के सामने रख कर भगवान की तरह उनको अभिवादन करते हैं। इस दिन उनकी प्रतिमा को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं। भारत के अलावा विश्व के 65 से अधिक देशों में आम्बेडकर जयंती मनाई जाती हैं। सन 2016 में, आम्बेडकर की 125वीं जयंती 102 देशों में तथा [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] में मनाई गई थी,<ref>{{Cite web|url=http://www.jansatta.com/national/un-will-be-celebrate-the-anniversary-of-dr-b-r-ambedkar/84495/|title=13 अप्रैल को UN में पहली बार मनायी जाएगी अंबेडकर जयंती|date=9 अप्रैल 2016|website=Jansatta|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://www.univarta.com/ambedkar-jayanti-was-celebrated-first-time-at-the-un/world/topnews/447931.html|title=संयुक्त राष्ट्र में पहली बार मनाई गई अंबेडकर जयंती|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> संयुक्त राष्ट्र संघ ने उन्हें 'विश्व का प्रणेता' कहां था।<ref>{{Cite web|url=https://m.jagran.com/news/world-ambedkar-the-architect-of-world-says-united-nation-13868127.html|title=संयुक्त राष्ट्र ने अंबेडकर को बताया विश्व का प्रणेता|website=m.jagran.com|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref><ref>{{Cite web|url=https://m.prabhasakshi.com//news/children/story/21786.html|title=भारत को संविधान देने वाले महान नेता डॉ. भीम राव अंबेडकर|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> संयुक्त राष्ट्र 2016 से
महाराष्ट्र सरकार द्वारा आम्बेडकर का स्कूल प्रवेश दिवस, 7 नवम्बर, ''[[विद्यार्थी दिवस (महाराष्ट्र)|विद्यार्थी दिवस]]'' घोषीत किया है, राज्य की प्रत्येक स्कूल और जुनियर कॉलेजों में यह दिवस मनाया जाता हैं। क्योंकि प्रकांड विद्वान होते हुए भी आम्बेडकर जन्मभर विद्यार्थी बनकर ही रहे।<ref>{{Cite web|url=http://www.esakal.com/pune/pune-news-dr-ambedkar-79512|title=डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर यांचा शाळा प्रवेश दिन आता विद्यार्थी दिवस|website=www.esakal.com|language=mr|access-date=16 मई 2018}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://m.lokmat.com/mumbai/architect-constitution-dr-november-7-student-day-favor-dr-babasaheb-ambedkar/|title=राज्यघटनेचे शिल्पकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर यांच्या प्रीत्यर्थ ७ नोव्हेंबर ‘विद्यार्थी दिवस’|date=28 अक्टूबर 2017|work=Lokmat|access-date=16 मई 2018|language=mr}}</ref> इस दिन महाराष्ट्र के सभी विद्यालयों एवं कनिष्ठ महाविद्यालयों में आम्बेडकर के जीवन पर आधारित व्याख्यान, निबंध, प्रतियोगितायें, क्विज कॉम्पिटिशन, कविता पाठ सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।<ref>{{Cite web|url=http://www.dainikprabhat.com/%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%AC-%E0%A4%86%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%A1%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9A%E0%A4%BE-%E0%A4%B6%E0%A4%BE/|title=बाबासाहेब आंबेडकरांचा शाळा प्रवेश दिन “विद्यार्थी दिवस’ ओळखला जाणार {{!}} Dainik Prabhat, Marathi News Paper, Pune.|website=www.dainikprabhat.com|language=en-US|access-date=16 मई 2018}}</ref><ref>{{Cite news|url=http://www.loksatta.com/mumbai-news/ambedkar-admission-day-will-celebrate-as-a-student-day-1576631/|title=आंबेडकरांचा शाळा प्रवेश दिन आता विद्यार्थी दिवस|date=28 अक्टूबर 2017|work=Loksatta|access-date=16 मई 2018|language=mr-IN}}</ref>
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आम्बेडकर के जीवन और सोच पर आधारित कई फिल्में, नाटक, किताबें, गाने, टेलीविजन धारावाहिक और अन्य कार्य हैं। जब्बार पटेल ने ''[[डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर (फ़िल्म)|डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर]]'' नामक अंग्रेजी फिल्म का वर्ष 2000 में निर्देशन किया था, जिसमें [[मामूट्टी]] मुख्य किरदार निभा रहे थे।<ref name="auto">{{Cite web|url=https://www.thehindubusinessline.com/blink/cover/resurgence-of-an-icon/article8447300.ece|title=Resurgence of an icon|first=Vivek|last=Kumar|website=@businessline|accessdate=25 अप्रैल 2019}}</ref> इस फिल्म का निर्माण भारत के [[राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम]] और सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने किया था। विवादों के कारण फिल्म के प्रदर्शन में बहुत समय लग गया था।<ref>{{cite news | last =Viswanathan | first =S | title =Ambedkar film: better late than never | newspaper =The Hindu | date =24 May 2010 |url=http://www.thehindu.com/opinion/Readers-Editor/article435886.ece | url-status=live | archiveurl=https://web.archive.org/web/20110910142933/http://www.thehindu.com/opinion/Readers-Editor/article435886.ece | archivedate =10 September 2011 | df =dmy-all }}</ref> यूसीएलए और ऐतिहासिक नृवंशविज्ञान में मानव विज्ञान के प्रोफेसर डेविड ब्लंडेल ने भारत में सामाजिक परिस्थितियों और आम्बेडकर के जीवन के बारे में रूची और ज्ञान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से फिल्मों और कार्यक्रमों की एक श्रृंखला - ''एरीजिंग लाइट'' की स्थापना की है।<ref name=Blundell>{{cite journal|last=Blundell|first=David|title=Arising Light: Making a Documentary Life History Motion Picture on Dr B. R. Ambedkar in India|journal=Hsi Lai Journal of Humanistic Buddhism|year=2006|volume=7|url=http://journal.uwest.edu/index.php/hljhb/article/view/154|accessdate=17 July 2013|url-status=dead|archiveurl=https://web.archive.org/web/20131106053707/http://journal.uwest.edu/index.php/hljhb/article/view/154|archivedate=6 November 2013|df=dmy-all}}</ref> [[श्याम बेनेगल]] द्वारा निर्देशित भारत के संविधान के निर्माण पर एक टीवी मिनी सीरीज़ ''संविधान'' में आम्बेडकर की मुख्य भूमिका [[सचिन खेडेकर]] द्वारा निभाई गई थी।<ref>{{cite web|url=https://www.imdb.com/title/tt3562784/?ref_=fn_al_tt_1|title=Samvidhaan: The Making of the Constitution of India (TV Mini-Series 2014)|author=Ramnara|date=5 March 2014|work=IMDb|url-status=live|archiveurl=https://web.archive.org/web/20150527221343/http://www.imdb.com/title/tt3562784/?ref_=fn_al_tt_1|archivedate=27 May 2015|df=dmy-all}}</ref> ''आम्बेडकर और गांधी'' अरविंद गौर द्वारा निर्देशित और राजेश कुमार द्वारा लिखित नाटक के शीर्षक के दो प्रमुख व्यक्तित्वों को ट्रैक करता है।<ref>{{cite news |url=http://www.hindu.com/fr/2009/07/17/stories/2009071750610300.htm |title=A spirited adventure |first=P. |last=Anima |work=The Hindu |date=17 July 2009 |accessdate=14 August 2009 |location=Chennai, India |url-status=live |archiveurl=https://web.archive.org/web/20110102102157/http://www.hindu.com/fr/2009/07/17/stories/2009071750610300.htm |archivedate=2 January 2011 |df=dmy-all }}</ref>
''सर्वव्यापी आंबेडकर'', ये आम्बेडकर की 125 वीं जयंती के अवसर पर 2016 में एबीपी माझा टीवी चैनल द्वारा शुरू की गई एक मराठी श्रृंखला थी। इस श्रृंखला में आंबेडकर के 11 बहुआयामी व्यक्तित्व विस्तार से दर्शाये गये, जिसमें - सत्याग्रही ([[महाड़ सत्याग्रह]] एवं [[कालाराम मन्दिर सत्याग्रह]]),
''गर्जा महाराष्ट्र'' ये 26 महाराष्ट्रीयनों की एक भारतीय टेलीविजन ऐतिहासिक वृत्तचित्र श्रृंखला थी, जिन्होंने न केवल महाराष्ट्र की सांस्कृतिक पहचान को आकार दिया, बल्कि भारत के सांस्कृतिक विकास के लिए भी एक मार्ग प्रशस्त किया, जिसकी मेजबानी मराठी चैनल सोनी मराठी पर अभिनेता जितेंद्र जोशी ने की। श्रृंखला में आंबेडकर के रूप में प्रशांत चौदप्पा ने भूमिका निभाई हैं।
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[[File:Dr. Babasaheb Ambedkar with Mr. Wallace Stevens at Columbia University after receiving Doctor of Laws (LLD) on June 5, 1952.jpg|thumb|5 जून 1952 को डॉक्टर ऑफ लॉज प्राप्त करने के बाद [[कोलंबिया विश्वविद्यालय]] में [[वालेस स्टीवंस]] के साथ आम्बेडकर]]
1990 में, आम्बेडकर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया था।<ref>{{Cite news|url=https://www.mapsofindia.com/my-india/india/list-of-bharat-ratana-award-winners|title=List of Bharat Ratna Award Winners 1954 – 2017|date=12 July 2018|work=My India|access-date=13 November 2018}}</ref><ref>{{cite web|url=http://www.bharatratna.co.in/bharat-ratna-awardees.htm|title=List Of Bharat Ratna Awardees|website=bharatratna.co.in|access-date=13 November 2018}}</ref> इस पुरस्कार को सविता आम्बेडकर ने भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति [[रामास्वामी वेंकटरमण]] द्वारा आम्बेडकर के 99 वें जन्मदिवस, 14 अप्रैल 1990 को स्वीकार किया था। यह पुरस्कार समारोह [[राष्ट्रपति भवन]] के दरबार हॉल
=== मानद उपाधियाँ ===
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== गांधी से संबन्ध एवं विचार ==
1920 के दशक में आंबेडकर विदेश में पढ़ाई पूरी कर भारत लौटे और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करना आरम्भ किया। उस वक्त [[महात्मा गांधी]] ने कांग्रेस पार्टी की अगुवाई में आजादी के आंदोलन शुरु कर दिया था। 14 अगस्त, 1931 को आंबेडकर और गांधी की पहली मुलाकात बंबई के मणि भवन में हुई थी। उस वक्त तक गांधी को यह मालूम नहीं था कि आंबेडकर स्वयं एक कथित ‘अस्पृश्य’ हैं। वह उन्हें अपनी ही तरह का एक समाज-सुधारक ‘सवर्ण’ या ब्राह्मण नेता समझते नेता थे। गांधी को यही बताया गया था कि आंबेडकर ने विदेश में पढ़ाई कर ऊंची डिग्रियां हासिल की हैं और वे पीएचडी हैं। दलितों की स्थिति में सुधार को लेकर उतावले हैं और हमेशा गांधी व कांग्रेस की आलोचना करते रहते हैं। प्रथम गोलमेज सम्मेलन में आंबेडकर की दलीलों के बारे में जानकर गांधी विश्वास हो चला था कि यह पश्चिमी शिक्षा और चिंतन में पूरी तरह ढल चुका कोई आधुनिकतावादी युवक है, जो भारतीय समाज को भी यूरोपीय नजरिए से देख रहा है। जब गांधी की हत्या हुई थी तो घटनास्थल पर
गांधी आंबेडकर के लिए 'डॉक्टर' संबोधन का इस्तेमाल करते थे, तथा आंबेडकर गांधी को 'मीस्टर गांधी' कहते थे। 1930 और 1940 के दशकों में आंबेडकर ने गांधी की तीखी आलोचना की। उनका विचार था कि सफाई कर्मचारियों के उत्थान का गांधीवादी रास्ता कृपादृष्टि और नीचा दिखाने वाला है। गांधी अश्पृश्यता के दाग को हटाकर हिंदुत्व को शुद्ध करना चाहते थे। दूसरी ओर आंबेडकर ने हिंदुत्व को ही खारिज कर दिया था। उनका विचार था कि यदि दलित समान नागरिक की हैसियत पाना चाहते हैं, तो उन्हें किसी दूसरी आस्था को अपनाना पडेगा। आंबेडकर को गिला था कि कांग्रेस ने दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार गांधी थे, क्योंकि वे अपने अंतिम दिनों के पहले, वर्ण व्यवस्था और जाति प्रथा का विरोध करने के लिए तैयार नहीं थे, बल्कि अपने सनातनी हिंदू होने को लेकर संतुष्ट थे। हालांकि गांधी और आम्बेडकर जिंदगी भर एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी बने रहे, लेकिन दोनों ने अपमानजनक सामाजिक व्यवस्था को
26 फ़रवरी 1955 को आंबेडकर ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में महात्मा गांधी पर अपने विचार प्रकट किये। आंबेडकर ने कहा कि वो गांधी से हमेशा एक प्रतिद्वंद्वी की हैसियत से मिलते थे। इसलिए वो गांधी को अन्य लोगों की तुलना में बेहतर जानते थे। आंबेडकर के मुताबिक, "गांधी भारत के इतिहास में एक प्रकरण थे, वो कभी एक युग-निर्माता नहीं थे। ..." उन्होंने गांधी पर ये भी आरोप लगाया है की, गांधी हर समय दोहरी भूमिका निभाते थे। उन्होंने दो अख़बार निकाले, पहला [[हरिजन]], इस अंग्रेज़ी समाचार पत्र में गांधी ने ख़ुद को [[हिन्दू वर्ण व्यवस्था|जाति व्यवस्था]] और [[अस्पृश्यता]] का विरोधी बताया। और उनके दुसरे एक गुजराती अख़बार में वो अधिक रूढ़िवादी व्यक्ति के रूप में दिखते हैं। जिसमें वो जाति व्यवस्था, वर्णाश्रम धर्म या सभी रूढ़िवादी सिद्धांतों के समर्थक थे।" जबकि इन लेखों के अध्ययन से यह स्पष्ट है कि गांधी ने अपने अंग्रेज़ी लेखों में जाति-व्यवस्था का समर्थन किया और गुजराती लेखों में छूआछूत का विरोध किया है। आंबेडकर ने छूआछूत के उन्मूलन के साथ समान अवसर और गरिमा पर जोर दिया था और दावा किया कि गांधी इसके विरोधी थे। उनके मुताबिक गांधी छूआछूत की बात सिर्फ़ इसलिए करते थे ताकि अस्पृश्यों को कांग्रेस के साथ जोड़ सकें। वो चाहते थे कि अस्पृश्य स्वराज की उनकी अवधारणा का विरोध न करें। गांधी एक कट्टरपंथी सुधारक नहीं थे और उन्होंने [[ज्योतिराव गोविंदराव फुले|ज्योतिराव फुले]] या फिर आंबेडकर के तरीके से जाति व्यवस्था को खत्म करने का प्रयास नहीं किया।<ref name="auto2"/> गांधी का दलितो के लिए ‘हरिजन’ संबोधन का आंबेडकर व उनके संमर्थको ने विरोध किया था और दलित उसे ‘गाली’ के समान मानते थे। गांधी द्वारा शुरू किया गया 'हरिजन सेवक संघ' भी दलितों को नापसंद था क्योंकि, "वो एक शीर्ष जाति की मदद से दलितों के उत्थान की सोच दर्शाता था ना कि दलितों के जीवन पर उनके अपने नियंत्रण की।"<ref>{{Cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/india/2012/10/120927_gandhi_dalit_da|title=गांधी से नाराज़ क्यों हैं दलित?|website=BBC News हिंदी}}</ref>
गांधी और आंबेडकर ने अनेक मुद्दों पर एक जैसे विचार रखे, जबकि कई मुद्दों पर उनके विचार बिलकुल अलग या विपरीत थे। ग्रामीण भारत, जाति प्रथा और छुआ-छूत के मुद्दों पर दोनो के विचार एक दूसरे का विरोधी थे। हालांकि दोनों की कोशिश देश को सामाजिक न्याय और एकता पर आधारित करने की थी और दोनों ने इन उद्देश्यों के लिए अलग-अलग रास्ता दिखाया। गांधी के मुताबिक यदि हिंदू जाति व्यवस्था से छुआछूत को निकाल दिया जाए तो पूरी व्यवस्था समाज के हित में काम कर सकती है। इसकी तार्किक अवधारणा के लिए गांधी ने
== इन्हें भी देखें ==
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