"जगजीवन राम": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
बाबू जगजीवन राम के जीवन के कई पहलू हैं। उनमें से ही एक है भारत में संसदीय लोकतंत्र के विकास में उनका अमूल्य योगदान। 28 साल की उम्र में ही 1936 में उन्हें [[बिहार]] विधान परिषद् का सदस्य नामांकित कर दिया गया था। जब [[गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट]] 1935 के तहत 1937 में चुनाव हुए तो बाबूजी डिप्रेस्ड क्लास लीग के उम्मीदवार के रूप में निर्विरोध एमएलए चुने गए।
== उच्च शिक्षा ==
बाबूजी ने वर्ष 1920 में आराह स्थित [[अग्रवाल विद्यालय]] में उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु प्रवेश लिया | आयु वृद्धि के साथ ही उनमें परिपक्वता का भी समावेश हो रहा था | उनकी विदेशी भाषाओं को समझने व सीखने की जिज्ञासा के बल पर उन्होंने
== राजनीतिक जीवन का शंखनाद ==
बाबू जगजीवन राम के राजनीतिक जीवन का आगाज़ [[कलकत्ता]] से ही हुआ | कलकत्ता आने के छः महीनों के भीतर ही उन्होंने विशाल मजदूर रैली का आयोजन किया जिसमें भारी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया | इस रैली से [[नेताजी सुभाष चन्द्र बोस]] जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी को भी बाबूजी की कार्यक्षमता व नेतृत्वक्षमता का आभास हो गया | इस काल के दौरान बाबूजी ने वीर [[चन्द्रशेखर आजाद|
वर्ष 1934 में जब
जब
अपने विद्यार्थी जीवन में बाबूजी ने वर्ष 1934 में कलकत्ता के विभिन्न जिलों में संत रविदास
1. खेतिहर मजदूर सभा
2. भारतीय दलित वर्ग संघ
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== विरोध का काल ==
बाबूजी के लिए ये समय
'जगजीवन राम तपे कंचन की भांति खरे व सच्चे हैं | मेरा हृदय इनके प्रति आदरपूर्ण प्रशंसा से आपूरित है'
कठपुतली सरकार का खेल ख़त्म हो चुका था व कांग्रेस ने सरकार का गठन किया | बाबूजी को इस सरकार में कृषि मंत्रालय, सहकारी उद्योग व ग्रामीण विकास मंत्रालय में संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया |
वर्ष 1938 में अंदमान कैदियों के मुद्दे पर व द्वितीय विश्व युद्ध में
बाबूजी उन बारह राष्ट्रीय नेताओं में से एक थे जिन्हें अंतरिम सरकार के गठन के लिए लार्ड वावेल ने अगस्त 1946 को आमंत्रित किया था |
सितम्बर 1946 में जेनेवा में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मलेन में हिस्सा लेने के उपरांत स्वदेश लौट रहे बाबूजी का विमान इराक स्थित बसरा के रेगिस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया | दुर्घटना में बाबूजी को ज्यादा नुकसान नहीं
== आज़ादी के पश्चात् ==
वर्ष 1946 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित प्रथम लोकसभा में बाबूजी ने श्रम मंत्री के रूप में देश की सेवा की व अगले तीन दशकों तक कांग्रेस मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ाई | इस महान राजनीतिज्ञ ने भारतीय राजनीति को अपने जीवन के 50 वसंत से भी अधिक दान में दिए हैं | संविधान के निर्माणकर्ताओं में से एक बाबूजी ने सदैव सामाजिक न्याय को सर्वोपरि माना है | पंडित नेहरू का बाबूजी के लिए एक विख्यात कथन कुछ इस प्रकार है –
'समाजवादी विचारधारा वाले व्यक्ति को, देश की साधारण जनता का जीवन स्तर ऊँचा उठाने में बड़े से बड़ा खतरा उठाने में कभी कोई हिचक नहीं होती | श्री जगजीवन राम उन में से एक ऐसे महान व्यक्ति हैं'
श्रम, रेलवे, कृषि, संचार व रक्षा, जिस भी मंत्रालय का दायित्व बाबूजी को दिया गया हो उसका सदैव कल्याण ही हुआ है | बाबूजी ने हर मंत्रालय से देश को तरक्की पहुँचाने का अथक प्रयास किया है | स्वतंत्र देश घोषित होने के उपरान्त भारत के निर्माण की पूरी ज़िम्मेदारी नयी सरकार पर थी और इस ज़िम्मेदारी को पूरा करने में
== श्रम मंत्री के रूप में ==
प्रथम सरकार में पूर्वी ग्रामीण शाहाबाद से निर्वाचित सांसद बाबू जगजीवन राम को श्रम मंत्रालय का दायित्व दिया गया | यह शुरु से ही उनका प्रिय विषय रहा क्योंकि चांदवा की माटी में पले-बढ़े बाबूजी का जन्म एक खेतिहर मजदूर के घर हुआ था जहाँ उन्होंने उन विलक्षण भरी परिस्तिथियों को स्वयं झेला है व कलकत्ता में वे मिल-मजदूरों की परिस्तिथि से भी वाकिफ़ थे | श्रम मंत्री के रूप में बाबूजी ने समय द्वारा जांचे-परखे कुछ महत्त्वपूर्ण कानूनों को लागू करने का अहम फैसला लिया | ये कानून मजदूर वर्ग की सबसे बड़ी उम्मीद व आज के युग में सबसे बड़े हथियार के रूप में देखे जाते हैं | ये क़ानून कुछ इस प्रकार थे –
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== विविध मंत्रालयों में बाबूजी ==
1962 के आम चुनावों में सासाराम की जनता ने बाबूजी को पुनः विजय-वरदान दिया व उन्हें परिवहन एवं संचार मंत्रालय का दायित्व दिया गया | परन्तु बाबूजी ने कामराज योजना के तहत इस्तीफ़ा दे दिया व कांग्रेस पार्टी को मज़बूत करने में लग गए |
1966-67 के आम चुनावों में विजयी बाबू जगजीवन राम को उस सरकार में एक बार फिर श्रम मंत्रालय दिया गया | किन्तु एक वर्ष उपरांत ही उन्हें कृषि एवं खाद्य मंत्रालय का दायित्व दिया गया | चीन व पाकिस्तान से जंग के पश्चात भारत में गरीबी व भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे तथा अमेरिका से पी.एल. - 480 के तहत मिलने वाला गेहूं व ज्वार खाद्य आपूर्ति का मुख्य स्रोत था | ऐसी कठिन परिस्थिति में बाबूजी ने डॉ॰ नॉर्मन बोरलाग की सहायता से हरित क्रान्ति की बुनियाद रखी व मात्र दो वर्षों के उपरान्त ही भारत फ़ूड सरप्लस देश बन गया | कृषि एवं खाद्य मंत्रालय में रहते हुए बाबूजी ने देश को भीषण बाढ़ से भी राहत
1970 के आम चुनावों में एक बार फिर बाबूजी की जीत हुई व उन्हें श्रीमती
'राष्ट्र को आज़ाद करने में बाबूजी का योगदान बड़ा ही सराहनीय रहा है | देश को अनाज की दृष्टी से आत्म-निर्भर बनाने तथा बांग्लादेश की मुक्ति के युद्ध में उनका योगदान हमेशा याद रखा जायेगा'
वर्ष 1974 में बाबूजी ने कृषि एवं सिंचाई विभाग की ज़िम्मेदारी ली व एक नयी प्रणाली 'सार्वजनिक वितरण प्रणाली' की नीव रखी जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि देश की आम जनता को पर्याप्त मात्रा व कम दाम में खाद्य पदार्थ उपलब्ध हों |
== कांग्रेस के आधारस्तंभ ==
बाबूजी ने दिसंबर 1885 में बनी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को अपनी माँ के समान बताया है व इसकी सेवा में सदैव आगे रहे | बाबूजी वर्ष 1937-77 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य रहे | स्वतन्त्रता प्राप्ति उपरान्त वे कांग्रेस के लिए अपरिहार्य हो गए थे | बाबू जगजीवन राम महात्मा गांधीजी के प्रिय तो थे ही साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू एवं श्रीमती
वर्ष 1966 में माननीय डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी के निधनोपरांत कांग्रेस पार्टी का आपसी मतभेदों व सत्ता की लड़ाई के कारण बंटवारा हो गया | जहां एक तरफ नीलम संजीवा रेड्डी, मोरारजी देसाई व कुमारसामी कामराज जैसे दिग्गजों ने अपनी अलग पार्टी की रचना की वहीं श्रीमती
"बाबू जगजीवन राम भारत के प्रमुख निर्माताओं में से एक है | देश के करोड़ों हरिजन, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक लोग उन्हें अपना मुक्तिदाता मानते हैं"
== आपातकाल व नयी शुरुआत ==
25 जून 1975 को श्रीमती
वर्ष 1980 में जनता पार्टी का आपसी मनमुटावों के कारण बंटवारा हो गया एवं बाबूजी ने मार्च 1980 में अंततः कांग्रेस (जे) का निर्माण किया | वर्ष 1984 के आम चुनावों में सासाराम की जनता ने अपने विश्वनीय प्रतिनिधि बाबू जगजीवन राम के लिए एक बार पुनः लोकसभा के द्वार खोल दिए |
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