"पण्डित": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Brahmin boy ritual.jpg|thumb|200px|एक कर्मकाण्डी पण्डित का चित्र]]
'''पण्डित''' (पंडित) का अर्थ है विद्वान या अध्यापक से है, विशेषकर वह जो [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] और [[हिन्दू धर्म|हिंदूहिन्दू]] [[विधि]], [[धर्म]], [[संगीत]] या [[दर्शनशास्त्र]] में दक्ष हो। अपने मूल अर्थ में 'पण्डित' शब्द का तात्पर्य हमेशा उस [[हिन्दुत्व|हिन्दू]] से लिया जाता है जिसने [[वेद|वेदों]] का कोई एक मुख्य भाग उसके [[उच्चारण]] और गायन के लय व [[ताल]] सहित कण्ठस्थ कर लिया हो।
 
== धर्म ==
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== 'पण्डित' उपनाम ==
पण्डित [[उपनाम]] जो अधिकतर [[कश्मीर|कश्मीरियों]] में पाया जाता था, अब सारे [[भारत]] में पाया जाता है। यद्यपि यह [[उपनाम]] अधिकतर (99%) हिन्दुओं में ही पाया जाता है तथापि इस उपनाम का प्रयोग होना [[कश्मीर]], [[महाराष्ट्र]], [[दिल्ली]], [[उत्तर प्रदेश]], [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] और [[बिहार]] में भी होता है। बिहार (भारत) के क्षेत्रों में [[मृदा|मिट्टी]] की वस्तुएँ बनाने वालों को भी पंडित कहा जाता है। [[हिन्दी|हिंदीहिन्दी]] में वे [[भट्ट]], [[पुरोहित]] और राजपुरोहितऔर [[रावल (पालीवाल ) ब्राह्मण|रावल]] के नाम से भी जाने जाते हैं।
 
== संगीत ==
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==अन्य==
भारत के [[उच्चतम न्यायालय]] में उच्चतम न्यायालय के पण्डित की शैली का विधि अधिकारी होता था जो हिन्दू विधि के बिन्दुओं पर अंग्रेज़अंग्रेज़़ न्यायाधीशों को परामर्श देता था। इस [[सामाजिक प्रथा|प्रथा]] को १८६४ में बन्द कर दिया गया क्योंकि न्यायाधीशों ने हिन्दू विधि में कार्य हेतु कुछ अनुभव प्राप्त कर लिया था और विकसित हो चुके 'केस विधि भंडार' का उपयोग शुरू कर दिया था। इससे दो वर्ष पूर्व १८६२ में उच्च न्यायालय की संस्था ने भी उनका आधिकारिक प्रयोग कम कर दिया था।
 
पण्डित शब्द का प्रयोग उन भारतीय सर्वेक्षकों के लिये भी किया गया जिन्होंने [[उन्नीसवीं शताब्दी|१९वीं शताब्दी]] में ब्रिटिश राज की आवश्यकता की पूर्ति हेतु [[उत्तर भारत]] के क्षेत्रों का अन्वेषण किया था।