"महात्मा गांधी": अवतरणों में अंतर

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'''[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html <big>मोहनदास करमचन्द गांधी</big>]''' ([[२ अक्टूबर]] [[१८६९]] - [[३० जनवरी]] [[१९४८]]) [[भारत]] एवं [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे ''[[सत्याग्रह]]'' (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से [[अत्याचार]] के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण [[अहिंसा]] के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|आजादी]] दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता '''महात्मा गांधी''' के नाम से जानती है। [[संस्कृत भाषा]] में महात्मा अथवा महान आत्मा एक [[सम्मान|सम्मान सूचक]] शब्द है। गांधी को [[महात्मा]] के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।<ref name="क्रान्त">{{cite book |last1=क्रान्त |first1=|authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate= |edition=1 |series= |volume=1 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली | language = hi |isbn= 81-7783-119-4|oclc= |doi= |id= |page=107 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=1915 के प्रारम्भ में जब पहला विश्वयुद्ध चल रहा था गान्धी अपनी पूरी भक्त मण्डली के साथ भारत में अवतरित हुए। उन्होंने आते ही यह घोषणा की कि वह राजनीति में भाग नहीं लेंगे, केवल समाज-सेवा का कार्य करेंगे। सौराष्ट्र की गोंडाल नामक रियासत में गान्धी के सम्मान में एक सार्वजनिक सभा की गयी जिसमें गोंडाल के दीवान रणछोड़दास पटवारी की अध्यक्षता में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने उन्हें 'महात्मा' की उपाधि से विभूषित किया। |ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref>। उन्हें ''बापू'' ([[गुजराती भाषा]] में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। [[सुभाष चन्द्र बोस]] ने ६ जुलाई १९४४ को [[रंगून]] रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें [[राष्ट्रपिता]] कहकर सम्बोधित करते हुए [[आज़ाद हिन्द फ़ौज|आज़ाद हिन्द फौज़]] के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं।<ref>{{cite book |last1=क्रान्त|first1=मदनलाल वर्मा |authorlink1= |last2= |first2= |editor1-first= |editor1-last= |editor1-link= |others= |title=स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास |url=http://www.worldcat.org/title/svadhinata-sangrama-ke-krantikari-sahitya-ka-itihasa/oclc/271682218 |format= |accessdate= |edition=1 |series= |volume=2 |date= |year=2006 |month= |origyear= |publisher=प्रवीण प्रकाशन |location=नई दिल्ली | language = hi |isbn= 81-7783-120-8|oclc= |doi= |id= |page=512 |pages= |chapter= |chapterurl= |quote=मैं जानता हूँ कि ब्रिटिश सरकार भारत की स्वाधीनता की माँग कभी स्वीकार नहीं करेगी। मैं इस बात का कायल हो चुका हूँ कि यदि हमें आज़ादी चाहिये तो हमें खून के दरिया से गुजरने को तैयार रहना चाहिये। अगर मुझे उम्मीद होती कि आज़ादी पाने का एक और सुनहरा मौका अपनी जिन्दगी में हमें मिलेगा तो मैं शायद घर छोड़ता ही नहीं। मैंने जो कुछ किया है अपने देश के लिये किया है। विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने और भारत की स्वाधीनता के लक्ष्य के निकट पहुँचने के लिये किया है। भारत की स्वाधीनता की आखिरी लड़ाई शुरू हो चुकी है। आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिक भारत की भूमि पर सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं। हे राष्ट्रपिता! भारत की स्वाधीनता के इस पावन युद्ध में हम आपका आशीर्वाद और शुभ कामनायें चाहते हैं।|ref= |bibcode= |laysummary= |laydate= |separator= |postscript= |lastauthoramp=}}</ref> प्रति वर्ष [[२ अक्टूबर]] को उनका जन्म दिन भारत में [[गांधी जयंती]] के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।
 
सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में [[दक्षिण अफ़्रीका|दक्षिण अफ्रीका]] में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु [https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html सत्याग्रह] करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई।<ref>{{Cite web|url=https://theprint.in/opinion/ramachandra-guha-is-wrong-a-middle-aged-gandhi-was-racist-and-no-mahatma/168222/|title=Ramachandra Guha is wrong. Gandhi went from a racist young man to a racist middle-aged man}}</ref> उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये [[दलित|अस्पृश्‍यता]] के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला [[स्वराज]] की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में [[नमक सत्याग्रह]] और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो [[भारत छोड़ो आन्दोलन]] से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा।
 
गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में [[अहिंसा]] और [[सत्य]] का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने [[साबरमती आश्रम]] में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक [[धोती]] व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं [[चर्खा|चरखे]] पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा [[शाकाहार|शाकाहारी]] भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे [[उपवास]] रखे।
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[[चित्र:Mohandas K Gandhi, age 7.jpg|right|thumb|सन् १८७६ में खींचा गया गान्धी के बचपन का चित्र जब उनकी आयु ७ वर्ष की रही होगी]]
[[File:Pinakini satygraha Aasram, gandhi ji.jpg|thumb|पिनाकिनी सत्याग्रह आश्रम, गांधी जी]]
मोहनदास करमचन्द [https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html गान्धी का जन्म] [[पश्चिमी भारत]] में वर्तमान [[गुजरात]] के एक तटीय शहर [[पोरबंदर]] नामक स्थान पर [[२ अक्टूबर]] सन् [[१८६९]] को हुआ था। उनके पिता करमचन्द गान्धी [[सनातन धर्म]] की '''पंसारी''' जाति से सम्बन्ध रखते थे और [[ब्रिटिश राज]] के समय [[काठियावाड़]] की एक छोटी सी [[रियासत]] (पोरबंदर) के [[दीवान]] अर्थात् प्रधान मन्त्री थे। [[गुजराती भाषा]] में गान्धी का अर्थ है पंसारी<ref>आर० गाला, पापुलर कम्बाइन्ड डिक्शनरी, अंग्रेजी-अंग्रेजी-गुजराती एवं गुजराती-गुजराती-अंग्रेजी, नवनीत</ref> जबकि [[हिन्दी भाषा]] में गन्धी का अर्थ है इत्र फुलेल बेचने वाला जिसे अंग्रेजी में परफ्यूमर कहा जाता है।<ref>भार्गव की मानक व्याख्‍या वाली हिन्दी-अंग्रेजी ''डिक्शनरी</ref> उनकी माता पुतलीबाई परनामी [[वैश्य]] समुदाय की थीं। पुतलीबाई करमचन्द की चौथी पत्नी थी। उनकी पहली तीन पत्नियाँ प्रसव के समय मर गयीं थीं। भक्ति करने वाली माता की देखरेख और उस क्षेत्र की [[जैन धर्म|जैन]] परम्पराओं के कारण युवा मोहनदास पर वे प्रभाव प्रारम्भ में ही पड़ गये थे जिसने आगे चलकर महात्मा गांधी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इन प्रभावों में शामिल थे दुर्बलों में जोश की भावना, [[शाकाहार|शाकाहारी जीवन]], आत्मशुद्धि के लिये [[उपवास]] तथा विभिन्न जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता।
=== कम आयु में विवाह ===
[[File:GANDHI JI-KASTUR BA AT PORBANDAR,GUJARAT,INDIA.jpg|thumb|गांधीजी-कस्तूरबा, पोरबंदर, गुजरात, भारत में ]]
[[File:Gandhi ji with children.JPG|thumb|गांधीजी बच्चों के साथ ]]
[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html मई १८८३ में साढे १३ साल] की आयु पूर्ण करते ही उनका विवाह १४ साल की [[कस्तूरबा गांधी|कस्तूर बाई मकनजी]] से कर दिया गया। पत्नी का पहला नाम छोटा करके ''कस्तूरबा'' कर दिया गया और उसे लोग प्यार से ''बा'' कहते थे। यह विवाह उनके माता पिता द्वारा तय किया गया व्यवस्थित [[बाल विवाह]] था जो उस समय उस क्षेत्र में प्रचलित था। लेकिन उस क्षेत्र में यही रीति थी कि किशोर दुल्हन को अपने माता पिता के घर और अपने पति से अलग अधिक समय तक रहना पड़ता था। १८८५ में जब गान्धी जी १५ वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया। लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। और इसी साल उनके पिता करमचन्द गांधी भी चल बसे। मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं जो सभी पुत्र थे। हरीलाल गान्धी १८८८ में, मणिलाल गान्धी १८९२ में, रामदास गान्धी १८९७ में और [[देवदास गांधी]] १९०० में जन्मे। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल और राजकोट से हाई स्कूल किया। दोनों परीक्षाओं में शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। [[मैट्रिक]] के बाद की परीक्षा उन्होंने [[भावनगर]] के शामलदास कॉलेज से कुछ परेशानी के साथ उत्तीर्ण की। जब तक वे वहाँ रहे अप्रसन्न ही रहे क्योंकि उनका परिवार उन्हें [[वकील|बैरिस्टर]] बनाना चाहता था।
 
=== विदेश में शिक्षा व विदेश में ही वकालत ===
[[चित्र:Gandhi and Kasturbhai 1902.jpg|left|thumb|गान्धी व उनकी पत्नी [[कस्तूरबा गांधी|कस्तूरबा]] (1902 का [[फोटो]])]]
अपने १९वें जन्मदिन से लगभग एक महीने पहले ही ४ सितम्बर [[१८८८]] को [https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन] में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिये [[इंग्लैंड]] चले गये। भारत छोड़ते समय जैन भिक्षु बेचारजी के समक्ष हिन्दुओं को मांस, शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपनी अपनी माता जी को दिए गये एक वचन ने उनके शाही राजधानी [[लंदन]] में बिताये गये समय को काफी प्रभावित किया। हालांकि गांधी जी ने ''अंग्रेजी'' रीति रिवाजों का अनुभव भी किया जैसे उदाहरण के तौर पर नृत्य कक्षाओं में जाने आदि का। फिर भी वह अपनी मकान मालकिन द्वारा मांस एवं पत्ता गोभी को हजम.नहीं कर सके। उन्होंने कुछ शाकाहारी भोजनालयों की ओर इशारा किया। अपनी माता की इच्छाओं के बारे में जो कुछ उन्होंने पढा था उसे सीधे अपनाने की बजाय उन्होंने बौद्धिकता से [[शाकाहार|शाकाहारी]] भोजन का अपना भोजन स्वीकार किया। उन्होंने [[शाकाहार|शाकाहारी समाज]] की सदस्यता ग्रहण की और इसकी कार्यकारी समिति के लिये उनका चयन भी हो गया जहाँ उन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नींव रखी। बाद में उन्होने संस्थाएँ गठित करने में महत्वपूर्ण अनुभव का परिचय देते हुए इसे श्रेय दिया। वे जिन [[शाकाहारी]] लोगों से मिले उनमें से कुछ [[थियोसोफिकल सोसायटी]] के सदस्य भी थे। इस सोसाइटी की स्थापना १८७५ में विश्व बन्धुत्व को प्रबल करने के लिये की गयी थी और इसे [[बौद्ध धर्म]] एवं [[सनातन धर्म]] के साहित्य के अध्ययन के लिये समर्पित किया गया था।
 
उन्हों लोगों ने गांधी जी को [[श्रीमद्भगवद्गीता]] पढ़ने के लिये प्रेरित किया। [[हिन्दू]], [[ईसाई]], [[बौद्ध]], [[इस्लाम]] और अन्य धर्मों .के बारे में पढ़ने से पहले गांधी ने [[धर्म]] में विशेष रुचि नहीं दिखायी। [[इंग्लैंड]] और [[वेल्स]] बार एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु [[बम्बई]] में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। बाद में एक हाई स्कूल शिक्षक के रूप में अंशकालिक नौकरी का प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिये जाने पर उन्होंने जरूरतमन्दों के लिये मुकदमे की अर्जियाँ लिखने के लिये राजकोट को ही अपना स्थायी मुकाम बना लिया। परन्तु एक अंग्रेज अधिकारी की मूर्खता के कारण उन्हें यह कारोबार भी छोड़ना पड़ा। अपनी [[आत्मकथा]] में उन्होंने इस घटना का वर्णन अपने बड़े भाई की ओर से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। यही वह कारण था जिस वजह से उन्होंने सन् १८९३ में एक भारतीय फर्म से नेटाल [[दक्षिण अफ्रीका]] में, जो उन दिनों [[ब्रिटिश साम्राज्य]] का भाग होता था, एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार कर लिया।
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=== असहयोग आन्दोलन ===
{{main|असहयोग आन्दोलन}}
गांधी जी ने [https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html असहयोग], अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ़ [[ब्रिटिश राज|शस्त्र]] के रूप में उपयोग किया। [[पंजाब]] में अंग्रेजी फोजों द्वारा भारतीयों पर [[जलियांवाला बाग नरसंहार|जलियावांला नरसंहार]] जिसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है ने देश को भारी आघात पहुँचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी। गांधीजी ने [[ब्रिटिश राज]] तथा भारतीयों द्वारा ‍प्रतिकारात्मक रवैया दोनों की की। उन्होंने ब्रिटिश नागरिकों तथा दंगों के शिकार लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा पार्टी के आरम्भिक विरोध के बाद दंगों की भंर्त्सना की। गांधी जी के भावनात्मक भाषण के बाद अपने सिद्धांत की वकालत की कि सभी हिंसा और बुराई को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।<ref>आरगांधी, ''पटेल : एक जीवन'', पी.८२ .</ref> किंतु ऐसा इस नरसंहार और उसके बाद हुई हिंसा से गांधी जी ने अपना मन संपूर्ण सरकार आर भारतीय सरकार के कब्जे वाली संस्थाओं पर संपूर्ण नियंत्रण लाने पर केंद्रित था जो जल्‍दी ही ''[[स्वराज]] ''अथवा संपूर्ण व्यक्तिगत, आध्‍यात्मिक एवं राजनैतिक आजादी में बदलने वाला था।
 
[[चित्र:Gandhi home.jpg|thumb|left|[[साबरमती आश्रम]] : गुजरात में गांधी का घर]]
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मैनचेस्टर गार्जियन, [[18 फरवरी|१८ फरवरी]], [[1948|१९४८]], की गलियों से ले जाते हुआ दिखाया गया था।
 
[[30 जनवरी|३० जनवरी]], [[1948|१९४८]], गांधी की उस समय नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई जब वे [[नई दिल्ली]] के ''बिड़ला भवन'' (बिरला हाउस के मैदान में रात चहलकदमी कर रहे थे। [https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html गांधी का हत्यारा] [[नाथूराम गोडसे|नाथूराम गौड़से]] हिन्दू राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टरपंथी [[हिंदू महासभा|हिंदु महासभा]] के साथ संबंध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान<ref>आरगांधी, ''पटेल : एक जीवन'', पी.४७२ .</ref> को भुगतान करने के मुद्दे को लेकर भारत को कमजोर बनाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। गोड़से और उसके उनके सह षड्यंत्रकारी [[नारायण आप्टे]] को बाद में केस चलाकर सजा दी गई तथा [[15 नवंबर|१५ नवंबर]] [[1949|१९४९]] को इन्हें फांसी दे दी गई। राज घाट, [[नई दिल्ली]], में गांधी जी के स्मारक पर "[[देवनागरी]] में '' हे राम " लिखा हुआ है। ऐसा व्यापक तौर पर माना जाता है कि जब गांधी जी को गोली मारी गई तब उनके मुख से निकलने वाले ये अंतिम शब्द थे। हालांकि इस कथन पर विवाद उठ खड़े हुए हैं।<ref>विनय लाल .[http://www.sscnet.ucla.edu/southasia/History/Gandhi/HeRam_gandhi.html ' हे राम ' : गांधी के अंतिम शब्दों की राजनीति] ह्यूमेन ८, संख्या. १ (जनवरी २००१): पीपी३४ - ३८ .</ref>[[जवाहरलाल नेहरू]] ने रेडियो के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया :
 
गांधी जी की राख को एक अस्थि-रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद दिलाने के लिए संपूर्ण भारत में ले जाया गया। इनमें से अधिकांश को इलाहाबाद में संगम पर [[12 फरवरी|१२ फरवरी]] [[1948|१९४८]] को जल में विसर्जित कर दिया गया किंतु कुछ को अलग<ref name="Guardian-2008-ashes">[http://www.guardian.co.uk/world/2008/jan/16/india.international "गांधी जी की राख को समुद्र में आराम करने के लिए रखा गया"] [[The Guardian]] ([[:en:The Guardian|The Guardian]]), [[16 जनवरी|१६ जनवरी]] [[२००८]]</ref> पवित्र रूप में रख दिया गया। १९९७ में, तुषार गाँधी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि-कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से, इलाहाबाद में संगम<ref name="Guardian-2008-ashes" /><ref>[http://www.highbeam.com/doc/1G1-67892813.html गांधी जी की राख को [[30 जनवरी|३० जनवरी]] [[1997|१९९७]] को ][[सिनसिनअति पोस्ट|सिनसिनाती चौकी]] पर बिखेर दिया गया था। '' कारण किसी को पता नहीँ था राख के एक भाग को [[नई दिल्ली]] के दक्षिणपूर्व में एक [[सुरक्षित जमा बॉक्स|सुरक्षित डिपाजिट बॉक्स]] में [[कटक]] के निकट समुद्र तट पर रख दिया गया था। [[तुषार गांधी|तुषार गाँधी]] ने १९५५ में अखबारों द्वारा समाचार प्रकाशित किए जाने पर कि गांधी जी की राख बैंक में रखी हुई है, को अपनी हिरासत में लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।</ref> नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया। [[30 जनवरी|३० जनवरी]][[२००८]] को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी द्वारा गांधी जी की राख वाले एक अन्य अस्थि-कलश को [[मुम्बई|मुंबई]] संग्रहालय<ref name="Guardian-2008-ashes" /> में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया। एक अन्य अस्थि कलश [[आगा खां|आगा खान]] जो [[पुणे]]<ref name="Guardian-2008-ashes" /> में है, (जहाँ उन्होंने १९४२ से कैद करने के लिए किया गया था १९४४) वहां समाप्त हो गया और दूसरा आत्मबोध फैलोशिप झील मंदिर में [[लॉस ऐन्जेलिस|लॉस एंजिल्स]].<ref><!--Translate this template and uncomment
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== इन्हें भी देखें==
* [[महात्मा गांधी का शिक्षा दर्शन]]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html महात्मा गाँधी जी का परिवार | शादी]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html महात्मा गाँधी के प्रमुख आंदोलन]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html चम्पारण आंदोलन (1917)]
* [[मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या]]
*My [https://www.pocketfm.in/show/cf8f2e3859c591e551381be43e8c392293180a32 Experiment with truth - महात्मा गांधी की आत्मकथा from Pocket FM]
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*[http://www.livehindustan.com/blog/shabd/story-hindi-and-mahatma-gandhi-1508911.html हिंदी के सबसे बड़े पैरोकार महात्मा गांधी]
*[http://www.hindikunj.com/2016/10/gandhi-and-hindi.html गांधीजी और हिन्दी]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html चम्पारण आंदोलन (1917)]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html महात्मा गाँधी जी का परिवार | शादी]
*[https://www.theallhindi.com/2020/03/mahatma-gandhi.html महात्मा गाँधी के प्रमुख आंदोलन]
*[https://www.hindivibhag.com/mahatma-gandhi-biography-hindi गांधीजी महत्त्वपूर्ण जानकारी]
*[https://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/asia/india/10954147/Nine-facts-you-may-not-know-about-Mahatma-Gandhi.html Nine facts you may not know about Mahatma Gandhi]