"मन्त्र": अवतरणों में अंतर
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'''मंत्र विज्ञान'''
हम जो कुछ भी बोलते हैं उसका प्रभाव व्यक्तिगत और समष्टिगत रूप से सारे ब्रह्माण्ड पर पड़ता
हो जाती
मंत्र जप से उत्पन्न प्रकंपन, शरीर के सूक्ष्म तंत्रों तथा हार्मोन प्रणाली पर अपना गहरा प्रभाव डालते हैं जिससे उनकी सक्रियता बढ़ जाती है और समुचित मात्रा में हार्मोन का स्राव होने लगता
मंत्र विद जानते हैं कि मस्तिष्क में विचारों की उपज कोई आकस्मिक घटना नहीं, वरन शक्ति की परतों में आदिकाल से एकत्रित सूक्ष्म कंपन हैं जो मस्तिष्क के ज्ञान कोषों से टकराकर विचार के रूप में प्रकट होते
ओंकार (ओउम्) अथवा प्रणव का जप अत्यन्त प्रभावशाली यौगिक अभ्यास है।ओंकार परमात्मा का नाम, मंत्रों का अधिपति
श्रद्धा साधना का प्राण है, मूल है इसलिए धीरे- धीरे ही सही, परंतु हृदय की गहराई से मंत्र जप करना
मंत्र का प्रत्यक्ष रूप ध्वनि है ।ध्वनि के क्रमबद्ध, लयबद्ध और वृत्ताकार क्रम से निरंतर एक ही शब्द विन्यास के उच्चारण से शब्द तरंगें वृत्ताकार घूमने लगती
== मंत्र की उत्पत्ति ==
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