"भारत": अवतरणों में अंतर
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|accessdate = 30 नवंबर 2009 | year= 2009 |publisher = Yahoo Answers}}</ref> इसी समय दक्षिण भारत में द्रविड़ सभ्यता का विकास होता रहा। दोनों जातियों ने एक दूसरे की खूबियों को अपनाते हुए भारत में एक मिश्रित-संस्कृति का निर्माण किया।
[[५वीं शताब्दी ईसा|५०० ईसवी]] पूर्व कॆ बाद कई स्वतंत्र राज्य बन गए। भारत के प्रारम्भिक राजवंशों में उत्तर भारत का [[मौर्य राजवंश]] उल्लेखनीय है जिसके प्रतापी सम्राट [[अशोक]] का विश्व इतिहास में विशेष स्थान है।<ref>{{cite web |title = Maurya dynasty |url = http://www.livius.org/man-md/mauryas/mauryas.html |author = Jona Lendering |accessdate = 17 जून 2007}}</ref>
१२वीं शताब्दी के प्रारंभ में, भारत पर [[भारतीय उपमहाद्वीप का इस्लामिक इतिहास|इस्लामी आक्रमणों]] के पश्चात, उत्तरी व केन्द्रीय भारत का अधिकांश भाग [[दिल्ली सल्तनत]] के शासनाधीन हो गया; और बाद में, अधिकांश उपमहाद्वीप [[मुगल]] वंश के अधीन। दक्षिण भारत में [[विजयनगर साम्राज्य]] शक्तिशाली निकला। हालाँकि, विशेषतः तुलनात्मक रूप से, संरक्षित दक्षिण में अनेक राज्य शेष रहे, अथवा अस्तित्व में आये। मुगलों के संक्षिप्त अधिकार के बाद सत्रहवीं सदी में दक्षिण और मध्य भारत में मराठों का उत्कर्ष हुआ। उत्तर पश्चिम में सिक्खों की शक्ति में वृद्धि हुई।
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[[File:Konarak Sun Temple Wheel By Piyal Kundu (2).jpg|thumb|270px| कोणार्क-चक्र - १३वीं शताब्दी में बने [[उड़ीसा]] के सूर्य मन्दिर में स्थित, यह दुनिया के सब से प्रसिद्घ ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है।]]
बीसवी सदी के प्रारम्भ में आधुनिक शिक्षा के प्रसार और विश्वपटल पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते भारत में एक बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात हुआ जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तरों पर अनेक परिवर्तनों एवम आन्दोलनों की नीव रखी। १८८५ में [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] की स्थापना ने स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक गतिमान स्वरूप दिया। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में लम्बे समय तक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये विशाल अहिंसावादी संघर्ष चला, जिसका नेतृत्व [[महात्मा गांधी]], जो आधिकारिक रूप से आधुनिक भारत के 'राष्ट्रपिता' के रूप में संबोधित किये जाते हैं, इसी सदी में [[भारत के सामाजिक आन्दोलन]], जो
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर [[साम्प्रदायिक]] तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी [[धर्मनिरपेक्षता]] तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री [[इंदिरा गांधी]] ने [[आपातकाल]] की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।
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