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भाषाविद, पॉल सिडवेल (2018) के अनुसार, प्रोटो-मुंडा भाषा शायद ऑस्ट्रोएशियाटिक से अलग हो गई है जो आज दक्षिणी [[चीन]] या दक्षिण पूर्व एशिया से लगभग 4000-3500 साल पहले पूर्वी भारत में आया।<ref>Sidwell, Paul. 2018. [https://www.academia.edu/36689736/Austroasiatic_Studies_state_of_the_art_in_2018 Austroasiatic Studies: state of the art in 2018]. Presentation at the Graduate Institute of Linguistics, National Tsing Hua University, Taiwan, May 22, 2018.</ref>
 
1800 के दशक के अंतअन्त में, मुंडा स्वतंत्रता सेनानी [[बिरसा मुंडा]] ने भारत के ब्रिटिश शासन का विरोध करने का काम किया था।<ref>{{Cite news|url=http://indianexpress.com/article/india/jharkhand-amit-shah-launches-scheme-for-villages-of-freedom-fighters-khunti-4848635/|title=Jharkhand: Amit Shah launches scheme for villages of freedom fighters|last=Pandey|first=Prashant|date=2017-09-18|work=The Indian Express|access-date=2017-10-21|language=en-US}}</ref>
 
== संस्कृति ==
[[चित्र:Adiwasi dance.jpg|right|thumb|300px|मुण्डा नृत्य]]
मुण्डा [[संस्कृति]] की सामाजिक व्यवस्था बहुत ही बुनियादी और सरल है | मुण्डाओं के लिए [[भारतीय]] [[जाति]] व्यवस्था विदेशी है | उनके दफनाए गए [[पूर्वज]] ''परिवार के अभिभावक'' के रूप मे याद किए जाते हैं | दफन पत्थर (ससंदीरीससन्दीरी) उनका वंशावली का [[प्रतीक]] है | यह [[पत्थर]] सुलाकर [[पृथ्वी|धरती]] पर रखी जाती है पर [[कब्र]] के रूप में चिन्हित नहीं होता | बल्कि, मृतकों के हड्डियों को इस [[पत्थर]] के तहत रखते हैं, जहाँ पिछले पूर्वजों की हड्डियाँ भी मौजूद हैं | जब तक कब्रिस्तान (''जंग तोपा'') समारोह नहीं होता तब तक मृतकों के हड्डियों को [[मृदा|मिट्टी]] के बर्त्तन में रखा जाता है | हर [[वर्ष]] में एक बार, [[परिवार]] के सभी सदस्य अपनी श्रद्धाञ्जलि देने के लिए दफन पत्थरों पर जाते हैं और यह आवश्यक माना है | पूर्वजों को याद करने के लिए अन्य [[पत्थर]] भी हैं जिन्हें ''मेमोरियल पत्थर'' (''भो:दीरी'') कहा जाता है | यह [[पत्थर]] खड़े स्थिति में रखा जाता है | इस [[पत्थर]] को रखने के लिए भी समारोह होता है जिसे '''पत्थर गड़ी''' (''दीरी बीन'') पर्ब कहते हैं |
 
प्राचीन काल से ही मुण्डा लोग [[छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर]] क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गए हैं | शुरुआती समय में वे लोग अलग-अलग समूहों में, पर एक ही उपनाम (''किली'',''गोत्र'') में बसे | हालांकि अब वे लोग अपनी-अपनी इच्छा के अनुसार पूरे [[झारखण्ड]] में बसे हैं | पुराने समय से अभि तक मुण्डा लोगों की [[संस्कृति]] के अनुसार वे एक ही [[गोत्र]] या उपनाम मे [[विवाह उत्सव|शादी]] नहीं कर सकते हैं | यदि कोई [[विवाह उत्सव|शादी]] कर भी लिया तो उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा दी जाती है | उस सजा या [[दण्ड]] को ''जात निकाला'' (''देशाबाहर'') कहते हैं | एक दुल्हन और एक दुल्हे के एक ही [[गोत्र]] में [[विवाह उत्सव|शादी]] होना अनाचार माना जाता है और इस तरह यह रिश्ता सामाजिक अवांछनीय है | [[गोत्र]] का अर्थ है-'''खून का रिश्ता''' | एक ही उपनाम या [[गोत्र]] के संबंध, भाई और बहन के संबंध की तरह माना जाता है | [[सांथाल जनजाति|संथाल]], [[हो भाषा|हो]] और [[खड़िया]] रक्त-भाई आदिवासियों की [[समुदाय]] माना जाता है | अत: उनके साथ [[विवाह उत्सव|शादी]] करना आम है |<ref>http://en.wikipedia.org/wiki/Munda-people</ref>