"राम": अवतरणों में अंतर

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'''ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।'''<ref>श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण (सटीक), प्रथम भाग, बालकाण्ड-18-8,9; गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण-1996 ई०, पृष्ठ-69.</ref>
 
अर्थात् [[चैत्र]] मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा [[कर्क]] लग्न में [[चन्द्रमा]] के साथ [[बृहस्पति]] के स्थित होने पर (रामजी का जन्म हुआ)।
 
यहां केवल [[बृहस्पति]] तथा [[चन्द्रमा]] की स्थिति स्पष्ट होती है। बृहस्पति उच्चस्थ है तथा चन्द्रमा स्वगृही। आगे पन्द्रहवें श्लोक में [[सूर्य]] के उच्च होने का उल्लेख है। इस प्रकार बृहस्पति तथा सूर्य के उच्च होने का पता चल जाता है। [[बुध]] हमेशा सूर्य के पास ही रहता है। अतः सूर्य के उच्च ([[मेष]] में) होने पर [[बुद्ध]] का उच्च (कन्या में) होना असंभव है। इस प्रकार उच्च होने के लिए बचते हैं शेष तीन ग्रह -- [[मंगल]], [[शुक्र]] तथा शनि।[[शनि]]। इसी कारण से प्रायः सभी विद्वानों ने रामजी के जन्म के समय में [[सूर्य]], [[मंगल]], [[बृहस्पति]], [[शुक्र]] तथा [[शनि] को उच्च में स्थित माना है।
 
=== भगवान राम के जन्म-समय पर आधुनिक शोध ===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/राम" से प्राप्त