"भारतीय मूर्तिकला": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Ellora Kailash temple Shiva panel.jpg|right|thumb|300px|एलोरा के कैलास मन्दिर में शिव की मूर्ति]]
[[भारत]] की एक दीर्घ [[https://easenex.blogspot.com/2020/04/how-to-make-sculpture-hindi.html [मूर्तिकला]]]-परम्परा है जिसकी खोज [[नवपाषाण काल|नवपाषाणिक]] संस्कृतियों में की जा सकती है, हालांकि [[पुरातत्व|पुरातात्तिवक दृष्टि]] से विकास के निरन्तर लम्बे प्रक्षेप पथ को तीसरी शताब्दी र्इसापूर्व से आगे खोजा जा सकता है।
 
[[भारतीय उपमहाद्वीप]] में [[कला]] को [[र्इश्वर]] की रचना माना जाता है और इसलिए कोर्इ भी कला एक-दूसरे से श्रेष्ठ नहीं है। जिस प्रकार [[शिव]] से नृत्य एवं संगीत का उद्भव हुआ, [[विष्णु]] से [[चित्रकला]] एवं [[मूर्तिकला]] उत्पन्न हुर्इ और रूद्र विश्वकर्मन से [[वास्तुकला]] उत्पन्न हुर्इ। यह कोर्इ आश्चर्य की बात नहीं है कि अधिकांश प्राचीन एवं मध्यकालीन कला सामाजिक-धार्मिक संदर्भ के अन्तर्गत उत्पन्न हुर्इ।