"अशोक के अभिलेख": अवतरणों में अंतर

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=== विदेश में धर्मप्रचार का वर्णन ===
[[चित्र:Territories conquered by the Dharma according to Ashoka.jpg|right|thumb|300px|अशोक के प्रमुख शिलालेख संख्या-१३ (२६० ईसापूर्व से २३२ ईसापूर्व) के अनुसार "धर्म विजित" क्षेत्र]]
बौद्ध धर्म फैलानेके प्रसार के लिए अशोक ने भारत के सभी लोगों में और यूनानी राजाओं को [[भूमध्य सागर]] तक दूत भेजे। उनके स्तंभोंस्तम्भों पर उनके [[यूनान]] से [[उत्तर अफ़्रीका]] तक के बहुत से समकालीन यूनानी शासकों के सही नाम लिखें हैं, जिस सेजिससे ज्ञात होता है कि वे भारत से हज़ारों मील दूर की राजनैतिक परिस्थितियों पर नज़र रखे हुए थे:
:''अब धार्मिक जीत को ही देवों-के-प्रिय सब से उत्तम जीत मानते हैं। और यही यहाँ सीमाओं पर जीती गई है, छह सौ योजन दूर भी, जहाँ यूनानी नरेश अम्तियोको (अन्तियोकस) का राज है और उस से आगे जहाँ चार तुरामाये (टॉलमी), अम्तिकिनी (अन्तिगोनस), माका (मागस) और अलिकसुदारो (ऐलॅक्सैन्डर) नामक राजा शासन करते हैं और उसी तरह दक्षिण में चोल, पांड्य और ताम्रपर्णी (श्रीलंका) तक। (शिलालेख संख्या १३)