"श्रीमद्भगवद्गीता": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 107:
 
===छठा अध्याय===
छठा अध्याय आत्मसंयम योग है जिसका विषय नाम से ही प्रकट है। जितने विषय हैं उन सबसे इंद्रियों का संयम-यही कर्म और ज्ञान का निचोड़ है। सुख में और दुख में मन की समान स्थिति, इसे ही योग कहते हैं।
 
{| align="center" style="border-collapse:collapse;border-style:none;background-color:transparent;max-width:25em;width:60%;"