"उच्चावच": अवतरणों में अंतर

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==स्थानीय उच्चावच (local relief)==
किसी क्षेत्र में [[अपरदन]] की प्रक्रिया द्वारा प्रभावित हो सकने वाली उपलब्ध ऊँचाई को स्थानीय उच्चावच कहते हैं।
 
==उच्चावच प्रदर्शन की विधियां==
धरातल पर अनेकानेक स्थलाकृत्तियाँ पाई जाती हैं। धरातल पर सर्वत्र
ढाल एक सा नहीं है । कहीं पर हिमालय जैसे ऊँचे-ऊँचे पर्वतों पर तीव्र ढाल
तो कहीं गंगा-सतलज जैसे समतल मैदान हैं, कहीं गहरी घाटियों के खड़े एवं
तीव्र ढाल तो कहीं ऊबड़-खाबड़ धरातल के असमान ढाल भूपटल की विशेषताऐँ
हैं । इन्हें मानचित्र पर प्रदर्शित करने की कई विधियाँ हैं ।
उच्चावच प्रदर्शन हेतु प्रारम्भ में तकनीकी एवं गणितीय सुविधाओं के
अभाव में गुणात्मक विधियों का उपयोग किया जाता था मानचित्रण कला,
तकनीकी ज्ञान एवं गणितीय सुविधाओं के विकास के साथ-साथ मात्रात्मक
विधियों का विकास हुआ है । उच्चावच प्रदर्शन की विभिन्न विधियों का
निम्नानुसार विकास के क्रम में वर्णन किया गया है -
 
1. दृश्य विधि (Perspective Method)
यह एक कलात्मक विधि है। प्रारम्भ में स्थलाकृतियों एवं उच्चावच
को प्रदर्शित करने के लिये चित्रकला कौशल का उपयोग किया जाता है। कुशलता
अनुरूप ही ऐसा चित्र प्रभावी होता है। इस विधि में दृश्य प्रभाव का गुण होता
है किन्तु किसी उच्चावच की वास्तविक ऊँचाई इस विधि से ज्ञात नहीं होती है।<ref>माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर भूगोल प्रायोगिक कक्षा11 </>
 
 
 
==इन्हें भी देखें==