"त्रैलंग स्वामी": अवतरणों में अंतर

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वाराणसी में तैलंग स्वामी के दर्शन के लिए स्वयं [[रामकृष्ण परमहंस]] भी कई बार गये थे। स्वामी जी उन दिनों [[मणिकर्णिका घाट]] पर मौनव्रत धारण करके रहते थे। जब पहली बार परमहंस जी मिलने गये तभी स्वामी जी ने अपनी सुँघनी की डिब्बी श्री रामकृष्ण परमहंस के आगे रखकर उनका स्वागत किया था। परमहंस जी ने स्वामी जी के शरीर के सभी लक्षणों को बारीकी से देखकर लौटते समय अपने अनुयायी हृदय से कहा था "इनमें यथार्थ परमहंस के सभी लक्षण दिखाई देते हैं, ये साक्षात् विश्वेश्वर हैं।"<ref>''श्रीरामकृष्णलीलामृत'', श्री नरहर रामचन्द्र परांजपे, अनुवादक- पंडित द्वारकानाथ तिवारी, रामकृष्ण मठ, नागपुर, अष्टम संस्करण, पृष्ठ-२५६.</ref> तैलंग स्वामी [[लाहिड़ी महाशय]] के परम मित्र थे। उनके सम्बन्ध में कहा जाता है कि वे ३०० वर्ष से भी अधिक आयु तक जीवित रहे। उनका वजन ३०० पौंड था। दोनों योगी प्रायः एक साथ ध्यान में बैठा करते थे। त्रैलंग स्वामी के चमत्कारों के सम्बन्ध में अनेक बाते कही जाती हैं। अनेक बार घातक विष का पान करने के बाद भी वे जीवित रहे।<ref name="शैवाल">[http://www.shaiwal.com/html/kndewedi10.htm त्रैलंग स्वामी]। शैवाल.कॉम</ref> अनेक लोगो ने उन्हे [[गंगा]] के जल में उतरते देखा था। कई दिनो तक वे गंगा में जल के ऊपर बैठे रहते थे अथवा लम्बे समय तक जल के नीचे छिपे रहते थे। वे गर्मी के दिनो भी मध्यान्त समय [[मणिकर्णिका घाट]] के धूप से गर्म शिलाओं पर निश्चल बैठे रहते थे। इन चमत्कारो के द्वारा वे यह सिद्ध करना चाहते थे कि मनुष्य ईश्वर-चैतन्य के द्वारा ही जीवित रहता है। मृत्यु उनका स्पर्श नहीं कर सकती थी। आध्यात्मिक क्षेत्र में तो त्रैलंग स्वामी तीव्रगति वाले थे ही उनका शरीर भी बहुत विशाल था किन्तु वे भोजन यदा कदा ही करते थे। वे माया विनिमुक्ति हो चुके थे और उन्होने इस विश्व को ईश्वर के मन की एक परिकल्पना के रूप में अनुभव कर लिया था। वे यह जानते थे कि यह शरीर धनीभूत शक्ति के कार्य साधक आकार अतिरिक्त कुछ नहीं है। अत: वे जिस रूप में चाहते, शरीर का उपयोग कर लेते थे।
 
==== मस्त स्वभाव ====
 
[[चित्र:Vijay-krishna-gosvami2.jpg|thumb|200px|त्रैलंग स्वामी का चित्र]]
त्रैलंग स्वामी सदा नग्न रहा करते थे किन्तु उन्हे अपनी नग्नावस्था का तनिक भी भान नहीं होता था। उनकी नग्नावस्था के बारे में पुलिस सतर्क थी। अत: उन्हे पकड़कर पुलिस ने जेल में डाल दिया। इतने में त्रैलंग स्वामी जेल की छत पर दिखाई पड़े। जिस कोठरी में पुलिस ने त्रैलंग स्वामी को बन्द कर ताला लगा दिया था, उस कोठरी का ताला ज्यों का त्यों था और त्रैलंग स्वामी जेल की छत पर कैसे आ गये यह आश्चर्य का विषय था। हताश होकर पुलिस अधिकारियों ने पुन: उन्हे जेल की कोठरी में बन्द कर ताला लगा दिया और कोठरी के सामने पुलिस का पहरा भी बैठा दिया किन्तु इस बार भी महान योगी शीघ्र छत पर टहलते दिखाई दिये।<ref name="शैवाल"/>