"ट्राँसफार्मर": अवतरणों में अंतर
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इस सूत्र से स्पष्ट है कि प्राइमरी वोल्टता के दिये हुए मान के लिये प्राइमरी एवं सेकेणडरी वाइण्डिंग के फेरों की संख्या का उचित चयन करके हम द्वितीयक वाइंडिंग में इच्छित विभवान्तर प्राप्त कर सकते हैं। जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से अधिक होता है तो ऐसे ट्रन्स्फार्मर को '''उच्चायी परिणामित्र''' (स्टेप-अप ट्रान्सफार्मर) कहते हैं। इसके विपरीत जब द्वितीयक वाइंडिंग का विभवान्तर प्राथमिक वाइंडिंग के विभवान्तर से कम होता है तो ऐसे परिणामित्र को '''अपचायी परिणामित्र''' (स्टेप-डाउन ट्रान्सफार्मर) कहते हैं।
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BIJENDRA sir
== उपयोग ==
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