"युग": अवतरणों में अंतर

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[[वेदाङ्ग ज्योतिष|वेदांग ज्योतिष]] में युग का विवरण है (1,5 श्लोक)। यह युग पंचसंवत्सरात्मक है। [[चाणक्य|कौटिल्य]] ने भी इस पंचवत्सरात्मक युग का उल्लेख किया है। [[महाभारत]] में भी यह युग स्मृत हुआ है। पर यह युग पारिभाषिक है, अर्थात् शास्त्रकारों ने शास्त्रीय व्यवहारसिद्धि के लिये इस युग की कल्पना की है।
सतयुग त्रेता युग द्वारा पाकद्वापर युग और कालयुग एक परिकल्पना है सतयुग की परिकल्पना में सभी इच्छा की पूर्ति तत्काल होती है त्रेतायुग में कुछ इच्छाओं को छोड़कर अत्याधिक इच्छा की पूर्ति होती है और द्वारापाक में आधे इच्छा की पूर्ति होती है कालयुग में कोई बहुत बहुत कम इच्छा की पूर्ति होती है परन्तु कालयुग की पूर्ण कल्पना होने पर सतयुग पुनः प्रारंभ होता है ।
 
जो वास्तविक विश्व है मात्र इसमें जीवनयापन करने के लिए मानसिक व शारीरिक परिश्रम करना पड़ता है ।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/युग" से प्राप्त