"कर्पूरी ठाकुर": अवतरणों में अंतर
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* उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा ने अपने संस्मरण में लिखा, “कर्पूरी ठाकुर की आर्थिक तंगी को देखते हुए देवीलाल ने पटना में अपने एक हरियाणवी मित्र से कहा था- कर्पूरीजी कभी आपसे पांच-दस हज़ार रुपये मांगें तो आप उन्हें दे देना, वह मेरे ऊपर आपका कर्ज रहेगा। बाद में देवीलाल ने अपने मित्र से कई बार पूछा- भई कर्पूरीजी ने कुछ मांगा। हर बार मित्र का जवाब होता- नहीं साहब, वे तो कुछ मांगते ही नहीं।
*कर्पूरी जी के मुख्यमंत्री रहते हुये ही उनके क्षेत्र के कुछ सामंती यादव जमींदारों ने उनके पिता को सेवा के लिये बुलाया। जब वे बीमार होने के नाते नहीं पहुंच सके तो
*अस्सी के दशक की बात है. बिहार विधान सभा की बैठक चल रही थी. कर्पूरी ठाकुर विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता थे. उन्होंने एक नोट भिजवा कर अपने ही दल के एक विधायक से थोड़ी देर के लिए उनकी जीप मांगी. उन्हें लंच के लिए आवास जाना था.
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