"रामधारी सिंह 'दिनकर'": अवतरणों में अंतर

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| subject = [[कविता]], [[खंडकाव्य]], [[निबंध]], [[समीक्षा]]
| movement = राष्ट्रवाद, <br />प्रगतिवाद
| notableworknotableworks = [[कुरुक्षेत्र]], रश्मिरथी, [[उर्वशी (महाकाव्य)|उर्वशी]], हुंकार, [[संस्कृति के चार अध्याय]], [[परशुराम की प्रतीक्षा]], हाहाकार
| awards = 1959:[[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] <br />1959: [[पद्म भूषण]] <br />1972: [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]]
| signature = Dinkar Autograph Hindi.png
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प्रधानमंत्री, श्री [[नरेंद्र मोदी]] 22 मई, 2015 को [[नई दिल्ली]] में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के कार्यों की [[स्वर्ण जयंती]] समारोह में|अंगूठाकार]]
 
''' रामधारी सिंह 'दिनकर' '''' (23 सितम्‍बर 1908- 24 अप्रैल 1974) [[हिन्दी]] के एक प्रमुख लेखक, [[कवि]] व [[निबन्ध]]कार थे।<ref>[http://www.anubhuti-hindi.org/gauravgram/dinker/index.htm जीवनी एवं रचनाएँ] अनुभूति पर.</ref><ref name=sahitya>[http://www.indiapicks.com/Literature/Sahitya_Academy/Hindi/Hindi-1959.htm साहित्य अकादमी पुरस्कार]</ref> वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ [[वीर रस]] के कवि के रूप में स्थापित हैं। दिनकर जी की काव्य प्रतिभा का अनुमान अभिनेता [[आशुतोष राणा]] द्वारा दिनकर जी की प्रसिद्ध कविता ''कृष्ण की चेतावनी'' को सुनकर (विडियो देखने के लिए [https://www.youtube.com/watch?v=juwrOKPVj5Y यहाँ क्लिक करें]) लगाया जा सकता है।
 
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
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== प्रमुख कृतियाँ ==
"जला अस्थियाँ बारी-बारी
 
चिटकाई जिनमें चिंगारी,
 
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर
 
लिए बिना गर्दन का मोल
 
कलम, आज उनकी जय बोल।
 
 
जो अगणित लघु दीप हमारे
 
तूफानों में एक किनारे,
 
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
 
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
 
कलम, आज उनकी जय बोल।
 
 
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
 
उगल रही सौ लपट दिशाएं,
 
जिनके सिंहनाद से सहमी
 
धरती रही अभी तक डोल
 
कलम, आज उनकी जय बोल।"
 
 
रामधारी सिंह दिनकर की और [https://hindionlinejankari.com/ramdhari-singh-dinkar-poems/ कविताएं]
 
 
उन्होंने सामाजिक और आर्थिक समानता और शोषण के खिलाफ कविताओं की रचना की। एक प्रगतिवादी और मानववादी कवि के रूप में उन्होंने ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं को ओजस्वी और प्रखर शब्दों का तानाबाना दिया। उनकी महान रचनाओं में [[रश्मिरथी (खंड काव्य)|रश्मिरथी]] और [[परशुराम की प्रतीक्षा]] शामिल है। [[उर्वशी]] को छोड़कर दिनकर की अधिकतर रचनाएँ वीर रस से ओतप्रोत है। [[भूषण]] के बाद उन्हें [[वीर रस]] का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है।