"अखिल भारतीय हिन्दू महासभा": अवतरणों में अंतर

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सन् 1937 में जब हिन्दू महासभा काफी शिथिल पड़ गई थी और [[महात्मा गांधी|गांधी]] लोकप्रिय हो रहे थे, तब [[विनायक दामोदर सावरकर|वीर सावरकर]] [[रत्नागिरि]] की [[अभिरक्षा (कैद)|नजरबंदी]] से मुक्त होकर आए। वीर सावरकर ने सन् 1937 में अपने प्रथम अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिंदू ही इस देश के राष्ट्रीय हैं और आज भी अंग्रेजों को भगाकर अपने देश की स्वतंत्रता उसी प्रकार प्राप्त कर सकते हैं, जिस प्रकार भूतकाल में उनके पूर्वजों ने शकों, ग्रीकों, हूणों, मुगलों, तुर्कों और पठानों को परास्त करके की थी। उन्होंने घोषणा की कि हिमालय से कन्याकुमारी और अटक से क़टक तक रहनेवाले वह सभी धर्म, संप्रदाय, प्रांत एवं क्षेत्र के लोग जो भारत भूमि को पुण्यभूमि तथा पितृभूमि मानते हैं, खानपान, मतमतांतर, रीतिरिवाज और भाषाओं की भिन्नता के बाद भी एक ही राष्ट्र के अंग हैं क्योंकि उनकी संस्कृति, परंपरा, इतिहास और मित्र और शत्रु भी एक हैं - उनमें कोई विदेशीयता की भावना नहीं है।
 
== हैदराबाद का सत्याग्रह ==
{{मुख्य|हैदराबाद सत्याग्रह}}
 
== निम्न टिप्पणी अत्यंत खेद जनक एवं पूर्णतया असत्य है। हिंदू महासभा ने कभी भी पाकिस्तान बनाने का समर्थन नहीं किया। अपितु अखंड भारत का प्रण लेकर सदैव संघर्ष किया है। हिंदू महासभा के प्रत्येक अधिवेशन में भारत के विभाजन का विरोध किया गया। एवं जहां जहां हिंदू महासभा का प्रतिनिधिमंडल अंग्रेजों के साथ बैठा वहां उसने भारत को अखंड रखने की अपनी प्रतिज्ञा दोहराई। पाकिस्तान की स्थापना ==
हिंदू महासभा ने पाकिस्तान बनने का समर्थन किया। हिंदू महासभा के नेता [[महात्मा रामचन्द्र वीर|रामचन्द्र वीर]] और वीर सावरकर ने विभाजन का समर्थन किया। वर्तमान समय में देश की परिस्थितियों को देखते हुए हिंदू महासभा इसपर बल देती है कि देश की जनता को, प्रत्येक देशवासी को अनुभव करना चाहिए कि जब तक संसार के सभी छोटे मोटे राष्ट्र अपने स्वार्थ और हितों को लेकर दूसरों पर आक्रमण करने की घात में लगे हैं, उस समय तक भारत की उन्नति और विकास के लिए प्रखर हिंदू राष्ट्रवादी भावना का प्रसार तथा राष्ट्र को आधुनिकतम अस्त्रशस्त्रों से सुसज्जित होना नितांत आवश्यक है।
[[चित्र:Horse and rider Indian election symbol.png|अंगूठाकार|१९५१/५२ के प्रथम लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने अखिल भारतीय हिन्दू महासभा को 'राष्ट्रीय दल' के रूप में मान्यता दी थी। इसे 'घोडा और घुड़सवार' चुनाव-चिह्न प्रदान किया गया था।]]