"दुर्योधन": अवतरणों में अंतर

महाभारत के अनुसार, राजा धृतराष्ट्र के 100 पुत्र थे, ये बात हम सभी जानते हैं। उनका जन्म कैसे हुआ और उनके नाम क्या थे, ये बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको वही बता रहे हैं- ऐसे हुआ कौरवों का जन्म एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की। प्रसन्न होकर उन्होंने गांधारी को सौ पुत्र होने का वरदान दिया। समय पर गांधारी को गर्भ ठहरा और वह दो वर्ष तक पेट में ही रहा। इससे गांधारी घबरा गई और उसने अपना गर्भ गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के समान एक मांस पिंड निकला। महर्षि वेदव्यास...
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ऐसे हुआ कौरवों का जन्म एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की। प्रसन्न होकर उन्होंने गांधारी को सौ पुत्र होने का वरदान दिया। समय पर गांधारी को गर्भ ठहरा और वह दो वर्ष तक पेट में ही रहा। इससे गांधारी घबरा गई और उसने अपना गर्भ गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के समान एक मांस पिंड निकला। महर्षि वेदव्यास ने योगदृष्टि से यह देख लिया, वे तुरंत गांधारी के पास आए। उन्होंने गांधारी से उस मांस पिंड पर जल छिड़कने को कहा। जल छिड़कते ही उस पिंड के 101 टुकड़े हो गए। तब व्यासजी ने गां...
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[[चित्र:Canvas1.png|thumb|Duryodana was defeated by Bhima - A scene from Razmanama|[[भीम]] दुर्योधन का वध करता हुआ]]
'''दुर्योधन''' (साहित्य- जिसे हराना बहुत कठिन हो) [[धृतराष्ट्र]] व [[गांधारी]] के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र था। दुर्योधन [[गदा]] चलाने मे निपुण था। [[महाभारत]] के वो 10 पात्र जिन्हें जानते हैं बहुत कम [[पाण्डु]] की पत्नी [[कुन्ती]] के पहले माँ बनने से गांधको यह दु:ख हुआ कि उसका पुत्र राज्य का अधिकारी नहीं होगा तो उसने अपने गर्भ पर प्रहार करके उसे नष्ट करने की चेष्टा की। व्यास ने गर्भ को सौ भागों में बाँट कर घड़ों में रख दिया। जिससे सौ [[कौरव]] पैदा हुए। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री [[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] का शिष्य था। दुर्योधन ने [[कर्ण]] को अपना मित्र बनाकर उसे [[अंगदेश]] का राजा नियुक्त कर दिया था।<ref>{{cite book |last1=Nigama |first1=Sudhīra |title=Maiṃ Dhr̥tarāshṭra |date=2007 |publisher=Kitabghar Prakashan |isbn=9788189982034 |url=https://books.google.co.in/books?id=5b1lz_6Q2aUC&pg=PA124&dq=%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A4%A8+%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwilwrSqtJ7cAhXEwI8KHefdDGYQ6AEIJjAA#v=onepage&q=%E0%A4%A6%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%A7%E0%A4%A8%20%E0%A4%85%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE&f=false |accessdate=14 जुलाई 2018 |language=hi}}</ref> [[द्रौपदी]] ने दुर्योधन का अपमान "अन्धे का पुत्र अन्धा" कहकर किया था। दुर्योधन ने द्यूत क्रीड़ा (जुआ) में [[युधिष्ठिर]] द्वारा दाव पर लगाई गयी पाण्डवों की पत्नी दौपदी को भरी सभा में अपमानित किया। जो अपमान महाभारत युद्ध का कारण बना। युद्ध के समय गांधारी ने अपने आँखों की पट्टी खोलकर दुर्योधन के शरीर को वज्र का करना चाहा। किन्तु कृष्ण की योजना और बहकाने के कारण दुर्योधन गांधारी के समक्ष पूर्णत: नि:वस्त्र नहीं जा पाया और उसका जंघा क्षेत्र [[वज्र]] का नहीं हो पायापाया। .यह कमजोरी उसके भीम से हुए गदा युद्ध में उसकी मृत्यु का कारण बनी।
 
 
 
 
महाभारत के अनुसार, राजा धृतराष्ट्र के 100 पुत्र थे, ये बात हम सभी जानते हैं। उनका जन्म कैसे हुआ और उनके नाम क्या थे, ये बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको वही बता रहे हैं-
 
 
ऐसे हुआ कौरवों का जन्म
एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की। प्रसन्न होकर उन्होंने गांधारी को सौ पुत्र होने का वरदान दिया। समय पर गांधारी को गर्भ ठहरा और वह दो वर्ष तक पेट में ही रहा। इससे गांधारी घबरा गई और उसने अपना गर्भ गिरा दिया। उसके पेट से लोहे के समान एक मांस पिंड निकला। महर्षि वेदव्यास ने योगदृष्टि से यह देख लिया, वे तुरंत गांधारी के पास आए।