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[[चित्र:Surrender of Porus to the Emperor Alexander.jpg|250px|thumb|आम्भी]]
'''आम्भी''' या '''आम्भिक''' या '''आम्भीकुमार'''({{lang-en|Ambhi}}) ई. पू. 327-26 में [[भारत]] पर [[सिकंदर|सिकन्दर]] के आक्रमण के समय [[तक्षशिला]] आम्भी था। उसका राज्य [[सिन्धु नदी|सिंधु]] नदी और [[झेलम नदी|झेलम]] नदी के बीच विस्तृत था। आम्भी का पिता था राजा [[अम्भीराज]] तथा माता रानी [[अल्का]] थी। वह पुरु अथवा [[पुरूवास|पोरस]] का प्रतिद्वन्द्वी राजा था, जिसका राज्य झेलम के पूर्व में था। आम्भी पोरस का ममेरा भ्राता था। कुछ तो पोरस से ईर्ष्या के कारण और कुछ अपनी कायरता के कारण उसने स्वेच्छा से सिकन्दर की अधीनता स्वीकार कर ली और पोरस के विरुद्ध युद्ध में सिकन्दर का साथ दिया। सिकंदर ने जब सिंधुनद पार किया तब आंभी ने अपनी राजधानी तक्षशिला में [[चाँदी]] की वस्तुएँ, [[भेड़|भेड़ें]] और [[बैल]] भेंट कर उसका स्वागत किया। चतुर विजेता ने उसके उपहारों को अपने उपहारों के साथ लौटा दिया जिसके फलस्वरूप आंभी ने आगे का देश जीतने के लिए उसे 5,000 अनुपम [[योद्धा]] प्रदान किए। सिकन्दर ने उसको पुरस्कार स्वरूप पहले तो तक्षशिला के राजा के रूप में मान्यता प्रदान कर दी और बाद में सिंधु के [[चिनाब]] [[संगम]] क्षेत्र तक का शासन उसे सौंप दिया। सम्भवत: चन्द्रगुप्त मौर्य ने उससे सारा प्रदेश छीन लिया और पूरे [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] से [[यूनानी|यवनों]] (यूनानियों) को निकाल बाहर किया। जब सिकन्दर के सेनापति एवं उसके पूर्वी साम्राज्य के उत्तराधिकारी [[सेल्युकस]] ने भारत पर आक्रमण किया तो उस समय भी पंजाब [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के अधिकार में था।
आम्भी का अन्त चन्द्रगुप्त ने किया।
 
== इन्हें भी देखें ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/आम्भी" से प्राप्त