"संयुक्त राष्ट्र महासभा": अवतरणों में अंतर
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1980 के आस-पास, महासभा विकासशील राष्ट्रों और विकसित राष्ट्रों के बीच के विवाद की जगह बन गई थी। सभा के दो तिहाई से अधिक सदस्य विकासशील राष्ट्रों के हैं और इसलिए विकासित राष्ट्रों के पास महासभा में संख्या बल की दृष्टि से अधिक शक्ति नहीं है।
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महासभा के प्रमुख विचारणीय विषय है - नि:शस्त्रीकरण एवं शस्त्रनियंत्रण के सिद्धांत और अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा संबंधी प्रश्न। महासभा को अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वृद्धि, अंतरराष्ट्रीय विधि का विकास एवं संहिताकरण, मानवमात्र के मौलिक अधिकार आदि विषयों पर अध्ययन की व्यवस्था करके उन पर अभिस्ताव करने का भी अधिकार है। महासभा सुरक्षा परिषद् का ध्यान उन स्थितियों की ओर आकृष्ट कर सकती है जिनसे शांति एवं सुरक्षा को संकट की आशंका है। उपर्युक्त विषयों पर महासभा के प्रस्ताव आदेशात्मक नहीं है परंतु अपने नैतिक बल एवं विश्व जनमत के निर्देशक होने के नाते उनका विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त महासभा सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों और सामाजिक आर्थिक परिषद् एव न्यासत्व परिषद् के सदस्यों को निर्वाचित करती है और महासचिव एवं अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के निर्वाचन में योग देती है। राष्ट्रसंघ के सदस्यों का प्रवेश और निष्कासन भी, सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर, महासभा द्वारा किया जाता है। महासभा के अन्य कृत्यों में राष्ट्रसंघ के बजट का अनुमोदन, न्यास व्यवस्था का पर्यवेक्षण और अन्य अंगों के कार्यों का संयोजन उल्लेखनीय है।
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