"शब्द": अवतरणों में अंतर
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'''2. अविकारी शब्द''' : जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।
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=== अर्थ की दृष्टि से शब्द-भेद ===▼
# पर्यायवाची
# विपरातार्थक शब्द
# समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक
# अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
# अनेकार्थी शब्द
# एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
=== अर्थ के आधार पर शब्द के भेद – पर्यायवाची शब्द ===
वे शब्द जो समान अर्थ प्रकट करते हैं, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं | इन्हें समानार्थी शब्द भी कहते हैं |
# सूर्य – रवि, सूरज, भास्कर, आदित्य |
# पर्वत – भूधर, पहाड़, शैल, गिरि |
# पृथ्वी – भू, भूमि, धरा, वसुधा, धरती |
# ईश्वर – परमात्मा, प्रभु, भगवान, जगदीश |
=== विपरातार्थक शब्द (विलोम) ===
विपरीत अर्थ प्रकट करनेवाले शब्दों को विपरातार्थक शब्द (विलोम) शब्द कहते हैं |
जैसे :-
शब्द – विलोम
अमृत – विष
सम्मान – अपमान
प्रश्न – उत्तर
आदर – अनादर, निरादर
=== समरूप भिन्नार्थक या श्रुतिसम भिन्नार्थक ===
कुछ शब्द ऐसे होते हैं, जो सुनने या पढ़ने में तो समान लगते हैं, परंतु उनके अर्थ बिलकुल अलग होते हैं | इन शब्दों को समरूप भिन्नार्थक शब्द कहते हैं |
जैसे :-
शब्द – अर्थ
1. अनल – आग
अनिल – वायु
2. मेल – एकता
मैल – गंदगी
3. बेल – लता
बैल – एक पशु
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=== अनेक शब्दों के लिए एक शब्द ===
जिन शब्दों का प्रयोग पूरे वाक्य या अनेक शब्दों के स्थान पर किया जाता है उन्हें शब्द समूह के लिए एक शब्द या अनेक शब्दों के लिए एक शब्द कहा जाता है |
जैसे :-अनेक शब्द – एक शब्द
1. जिसके आने की कोई तिथि न हो – अतिथि
2. जिसका आदि न हो – अनादि
3. जिसका जन्म न हो – अजन्मा
=== अनेकार्थी शब्द ===
ऐसे शब्द जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, वे अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं | जैसे –
कनक = सोना, गेहूँ, धतूरा आदि |
तप = तपस्या, गरमी, धूप |
जैसे – हार → गले का हार, पराजय
माँ ने सोने का एक सुंदर हार खरीदा |
खेल में मोहन की हार हो गयी |
कुल = वंश, सब, घर
(1) राम अपने कुल का इकलौता बेटा है |
(2) सीता के पास कुल चार किताबें हैं |
=== एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द ===
ऐसे शब्द जो देखने में एक-दूसरे के पर्यायवाची लगते हैं, लेकिन उनके अर्थ में भिन्नता होती है, वे एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द कहलाते हैं |
जैसे :-
ईर्ष्या – दूसरों की उन्नति देखकर मन में होनेवाली जलन |
द्वेष – किसी से शत्रुता का भाव |
अपराध – सरकारी क़ानून तोड़ना |
पाप – धार्मिक नियमों को तोड़ना |
== शब्दार्थ ग्रहण ==
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