"गुप्त राजवंश": अवतरणों में अंतर

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{{ज्ञानसंदूक भूतपूर्व देश
ओरछा राज्य से के जुडी एक छोटी सी रियासत थी ककरवाहा रियासत जहां के राजा बजरंग सिंह पिपरिया जो एक हिंदू लोधी राजपूत शासक थे जिन की शौर्य गाथा अनेक रियासतों राज राज्यों में मैं चर्चित थी,यह नगरी धसान नदी के समीप थी ,इन्होंने  १८५१ ईसवी पूर्वी में नरसिंह मंदिर का निर्माण करवाया, राजा के पुत्र नही थे केवल एक सुंदर कन्या थी जो बहुत सुंदर थी,
|conventional_long_name = गुप्त साम्राज्य
 
|common_name = गुप्तवंश वंश
राजा के मंत्री डीले काछी ने षड्यंत्र किया था बुंदेला राजा भैंसवारी से मिलकर सन् १७८८ में चढाई कर दी, राजा एवं रानी लडते लडते वीरता से अपने रियासत  को बचाते बचाते कुर्बान हो गये,राजा अंतिम सॉस में लेते समय पुरे काछी समाज को बद दुआ दे गये,साथ ही राजकुमारी पुष्पावती ने कटार अपने सीने मे लगा ली{{ज्ञानसंदूक भूतपूर्व देश
|conventional_long_name = लोधी राजपूत
|common_name = चंद्रवंशी
|continent = एशिया
|region = दक्षिणी एशिया
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|s3 = मैत्रक राजवंश
|s4 = पुष्यभूति राजवंश
|s5 = पाल राजवंश
|s6 = वर्मन राजवंश
|s7 = कलचुरि राजवंश
|image_map = Gupta_empire_map.png
|image_map_caption = अपने चरमोत्कर्ष के समय गुप्त साम्राज्य
|image_map_caption =
|capital = Orchha[[पाटलिपुत्र]]
|common_languages = [[संस्कृत]],<br /> [[प्राकृत]]
|religion = [[हिन्दू धर्म]],<br /> [[बौद्ध धर्म]]<br /> [[जैन धर्म]]
|government_type = [[पूर्ण राजशाही]]
|leader1 = Jai ho[[श्रीगुप्त]]
|year_leader1 = 240 ई–280 ई
|leader2 = Chandrabansh[[चन्द्रगुप्त प्रथम]]
|year_leader2 = 319 ई–335 ई
|leader3 = [[विष्णुगुप्त]]
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|today = {{ubl|{{flag|India}}|{{flag|Pakistan}}|{{flag|Bangladesh}}|{{flag|Nepal}}}}
}}[[चित्र:Guptaempire.gif|thumb|300px|गुप्त राज्य लगभग ५०० ई]]
[[चित्र:Indischer Maler des 6. Jahrhunderts 001.jpg|300px|right|thumb|इस काल की [[अजन्ता]] चित्रकला]]
'''गुप्त राजवंश''' [[प्राचीन भारत]] के प्रमुख राजवंशों में से एक था।
 
[[मौर्य वंश]] के पतन के बाद दीर्घकाल में [[हर्ष]] तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। [[कुषाण वंश|कुषाण]] एवं [[सातवाहन|सातवाहनों]] ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी ईस्वी में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्‍ति, दक्षिण में [[वाकाटक]] तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
 
[[मौर्यगुप्त वंश]]साम्राज्य केकी नींव तीसरी पतनशताब्दी के बादचौथे दीर्घकालदशक में [[हर्ष]]तथा तकउत्थान भारतचौथी मेंशताब्दी की राशुरुआत में हुआ। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक [[उत्तर प्रदेश]] और [[बिहार]] मेंेेंमें था।
 
 
 
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गुप्‍त सामाज्‍य का उदय तीसरी शताब्‍दी के अन्‍त में [[प्रयाग]] के निकट [[[कौशाम्‍बी]] में हुआ था। जिस प्राचीनतम गुप्त राजा के बारे में पता चला है वो है [[श्रीगुप्त]]। हालांकि प्रभावती गुप्त के पूना ताम्रपत्र अभिलेख में इसे 'आदिराज' कहकर सम्बोधित किया गया है। श्रीगुप्त ने गया में चीनी यात्रियों के लिए एक [[मंदिर]] बनवाया
था जिसका उल्लेख चीनी यात्री [[इत्सिंग]] ने ५०० वर्षों बाद सन् ६७१ से सन् ६९५ के बीच में किया। पुराणों में ये कहा गया है कि आरंभिक गुप्त राजाओं का साम्राज्य [[गंगा]] द्रोणी, प्रयाग, [[साकेत]] ([[अयोध्या]]) तथा [[मगध]] में फैला था। श्रीगुप्त के समय में महाराजा की उपाधि सामन्तों को प्रदान की जाती थी, अतः श्रीगुप्त किसी के अधीन शासक था। प्रसिद्ध इतिहासकार के. पी. जायसवाल के अनुसार श्रीगुप्त भारशिवों के अधीन छोटे से राज्य प्रयाग का शासक था। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
 
चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त ने पूना अभिलेख में अपने वंश को स्पष्टतः धारण गोत्रीय बताया हैं. वैश्य के १८ गोत्र में से एक गोत्र धारण हैं. गुप्त वैश्यों की उपाधि हैं. आज भी धार्मिक कर्म व संकल्प करते हुए वैश्य पुरोहित नाम व गोत्र के साथ गुप्त उपनाम का उल्लेख करते है. गुप्त शासको के नाम श्री, चन्द्र, समुद्र, स्कन्द आदि थे. जबकि गुप्त उनका उपनाम था. जो की उनके वर्ण व जाति को उद्घोषित करता हैं. गुप्त उपनाम केवल और केवल वैश्य समुदाय के व्यक्तियों के लिए प्रयुक्त होता हैं.इतिहास में व पुरानो में गुप्त सम्राटो को वैश्य बताया गया है. बोद्ध धर्मग्रन्थ आर्यमंजुश्री कल्प में गुप्त वंश को वैश्य बताया गया है. इतिहासकार अल्तेकर, आयंगर, रोमिल्ला थापर, रामचरण शर्मा आदि ने गुप्त वंश को वैश्य बताया है.गुप्त सम्राटो ने यज्ञोपवित धारण किया था. व अश्वमेध यज्ञ कराये थे. केवल द्विज ही यह कार्या कर सकते थे. अग्रवाल द्विज जाति है. और प्राचीन क्षत्रिय जाति है. जिसने बाद में वैश्य कर्म अपनाया. गुप्त वंश के शासक अग्रवाल थे. प्रख्यात इतिहासकार राहुल संस्क्रतायन ने भी गुप्त वंश को अग्रवाल वैश्य बताया हैं. अग्रवालो की कुलदेवी माता लक्ष्मी है. गुप्त सम्राटो की कुलदेवी भी माता लक्ष्मी है. अग्रवाल मुख्यतः वैष्णव होते है. और शद्ध शाकाहारी भी. गुप्त वंश के शासक भी वैष्णव और शाकाहारी थे. गुप्त वंश के समय में भारत सोने की चिड़िया कहलाया था. एक विशुद्ध वैश्य शासक ही व्यापार को बढ़ावा दे सकता है. गुप्त सम्राट समुद्र गुप्त की शादी भी अग्रोहा नगर की एक योधेय अग्रवाल राजकुमारी से हुई थी. चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य का बचपन अपने ननिहाल अग्रोहा में ही बिता था.अग्रोहा अग्रवालो का नगर था और योधेय जनपद की राजधानी थी. उस समय अग्रवालो को योधेय कहा जाता था.
 
== घटोत्कच ==