"गुप्त राजवंश": अवतरणों में अंतर
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{{ज्ञानसंदूक भूतपूर्व देश
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|common_name = गुप्तवंश वंश
|continent = एशिया
|region = दक्षिणी एशिया
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|s3 = मैत्रक राजवंश
|s4 = पुष्यभूति राजवंश
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|image_map_caption = अपने चरमोत्कर्ष के समय गुप्त साम्राज्य
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}}[[चित्र:Guptaempire.gif|thumb|300px|गुप्त राज्य लगभग ५०० ई]]
[[चित्र:Indischer Maler des 6. Jahrhunderts 001.jpg|300px|right|thumb|इस काल की [[अजन्ता]] चित्रकला]]
'''गुप्त राजवंश''' [[प्राचीन भारत]] के प्रमुख राजवंशों में से एक था।
[[मौर्य वंश]] के पतन के बाद दीर्घकाल में [[हर्ष]] तक भारत में राजनीतिक एकता स्थापित नहीं रही। [[कुषाण वंश|कुषाण]] एवं [[सातवाहन|सातवाहनों]] ने राजनीतिक एकता लाने का प्रयास किया। मौर्योत्तर काल के उपरान्त तीसरी शताब्दी ईस्वी में तीन राजवंशो का उदय हुआ जिसमें मध्य भारत में नाग शक्ति, दक्षिण में [[वाकाटक]] तथा पूर्वी में गुप्त वंश प्रमुख हैं। मौर्य वंश के पतन के पश्चात नष्ट हुई राजनीतिक एकता को पुनः स्थापित करने का श्रेय गुप्त वंश को है।
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गुप्त सामाज्य का उदय तीसरी शताब्दी के अन्त में [[प्रयाग]] के निकट [[[कौशाम्बी]] में हुआ था। जिस प्राचीनतम गुप्त राजा के बारे में पता चला है वो है [[श्रीगुप्त]]। हालांकि प्रभावती गुप्त के पूना ताम्रपत्र अभिलेख में इसे 'आदिराज' कहकर सम्बोधित किया गया है। श्रीगुप्त ने गया में चीनी यात्रियों के लिए एक [[मंदिर]] बनवाया
था जिसका उल्लेख चीनी यात्री [[इत्सिंग]] ने ५०० वर्षों बाद सन् ६७१ से सन् ६९५ के बीच में किया। पुराणों में ये कहा गया है कि आरंभिक गुप्त राजाओं का साम्राज्य [[गंगा]] द्रोणी, प्रयाग, [[साकेत]] ([[अयोध्या]]) तथा [[मगध]] में फैला था। श्रीगुप्त के समय में महाराजा की उपाधि सामन्तों को प्रदान की जाती थी, अतः श्रीगुप्त किसी के अधीन शासक था। प्रसिद्ध इतिहासकार के. पी. जायसवाल के अनुसार श्रीगुप्त भारशिवों के अधीन छोटे से राज्य प्रयाग का शासक था। चीनी यात्री इत्सिंग के अनुसार मगध के मृग शिखावन में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था। तथा मन्दिर के व्यय में २४ गाँव को दान दिये थे।
== घटोत्कच ==
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