"जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
उत्तर भारत में [[गुप्त राजवंश|गुप्त साम्राज्य]] के दौरान [[हिमालय]] की पहाडियों के [[कुमाऊँ|कुमाऊं]] क्षेत्र में कत्यूरीराजा थे। जागेश्वर [http://'दुनिया%20का%20पहला%20शिवलिंग'%20https://www.patrika.com/temples/world-first-shivling-and-history-of-shivling-5983840/ [['दुनिया का पहला शिवलिंग'|https://www.patrika.com/temples/world-first-shivling-and-history-of-shivling-5983840/]]]https://www.patrika.com/temples/world-first-shivling-and-history-of-shivling-5983840/
मंदिरों का निर्माण भी उसी काल में हुआ। इसी कारण मंदिरों में गुप्त साम्राज्य की झलक भी दिखलाई पडती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अनुसार इन मंदिरों के निर्माण की अवधि को तीन कालों में बांटा गया है। कत्यरीकाल, उत्तर कत्यूरीकाल एवं चंद्र काल। बर्फानी आंचल पर बसे हुए कुमाऊं के इन साहसी राजाओं ने अपनी अनूठी कृतियों से देवदार के घने जंगल के मध्य बसे जागेश्वर में ही नहीं वरन् पूरे अल्मोडा जिले में चार सौ से अधिक मंदिरों का निर्माण किया जिसमें से जागेश्वर में ही लगभग २५० छोटे-बडे मंदिर हैं। मंदिरों का निर्माण लकडी तथा सीमेंट की जगह पत्थर की बडी-बडी shilaon से किया गया है। दरवाजों की चौखटें देवी देवताओं की प्रतिमाओं से अलंकृत हैं। मंदिरों के निर्माण में तांबे की चादरों और देवदार की लकडी का भी प्रयोग किया गया है।{{प्रमाण|date=अगस्त 2016}}
 
 
== स्थिति ==