"आजीवन कारावास": अवतरणों में अंतर
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न्यायाधीश के एस राधाकृष्णन और मदन बी लोकुर की पीठ ने कहा, ‘आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी को आखिरी सांस तक जेल में रहना होता है, बशर्ते कि उसे उचित प्राधिकार वाली किसी सरकार ने कोई छूट नहीं दी हो.’
शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही विभिन्न सरकारों द्वारा ‘त्यौहार’ के मौके पर एक साथ बड़ी संख्या में कैदियों की रिहाई किए जाने की परंपरा पर भी रोक लगा दी और कहा कि रिहाई संबंधी हर मामले की मामला दर मामला जांच की जरूरत होती है. हम आपको बता दें कि उसकी सजा बहुत ज्यादा हो सकती है आपको पूरी जिंदगी अपना जेल में गुजारनी पड़ सकती है इसलिए इसे [https://directordada.com/news/news-india/kaise/what-is-life-imprisonment-in-hindi-2020/ आजीवन कारावास] कहते हैं
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