"सिन्दरली": अवतरणों में अंतर
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'''सिन्दरली''' [[राजस्थान]] के [[पाली]] जिले का एक गाँव है। सिंदरली स्थानीय भाषा में 'हिंदरली' के रूप में जाना जाता है। यह मेड़तिया राठोडों का ठिकाना है।
== स्थिति ==
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== जनसंख्या==
यह मेड़तियों का ठिकाना है।
== इतिहास ==
सिन्दरली का इतिहास ५०० साल पुराना है। यह [[मारवाड़]] राज्य का एक ठिकाना है और यह घाणेराव ठाकुर गोपीनाथ जी के पुत्र हिम्मत सिंहजी को बंट में प्राप्त हुआ। तब से लेकर आज तक यह मेड़तिया के शासन में रहा है। यहाँ एक गढ़ भी है १७०४ से पहले घाणेराव ठिकाना के अंतर्गत था और सारा राजस्व घाणेराव को जाता था व १७०४ के बाद रावला को जाता रहा है।
== राजनीति ==
वर्तमान सिन्दरली पंचायत के सरपंच पिंकू कँवर मेड़तिया है और उप सरपंच मनोहर सिंह मेड़तिया है
तहसील, जिला और राजस्थान की राजनीति में सिन्दरली का काफी योगदान रहा है। मेड़तिया नाथू सिंह जी राठौड़ यहाँ से देसूरी तहसील के प्रधान चुने गए। वही मूल रूप से सिंदरली के [[मेड़तिया]]
== प्रसिद्ध व्यक्ति ==
1.[[सज्जन सिंह्]] - सज्जन सिंह जी ठाकुर माधो सिंह जी के पुत्र थे इनका जन्म सिन्दरली ग्राम में हुआ बाद में ये देवली रहने लगे य़े सुमेरपुर से विधायक,एक बार प्रधान और दस साल पाली जिले के जिला प्रमुख रहे। <ref>http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-MAT-latest-sojat-news-054011-1312408-NOR.html
2.नाथू सिंह मेड़तिया - नाथू सिंह मेड़तिया ठाकुर रिड़मल सिंह जी के पुत्र थे ये नाथू सिंह प्रदेश की राजनीती में प्रमुख स्थान रखते थे ये गाव से पचीस साल लगातार सरपंच चुने गए और दो बार देसूरी के प्रधान पद पर निर्वाचित हुए
3.रावत सिंह मेड़तिया - रावत सिंह मेड़तिया इस क्षेत्र में अपने समय में काफी प्रसिद्ध व्यक्ति रहे हैं ये प्रथम विश्व युद्ध (१९१४ -१९१६) में फ्रांस से अपनी वीरता के कारण आईडीएसएम पदक जीत कर आये थे जो उस समय इंडियन ब्रिटिश आर्मी में विक्टोरिया क्रॉस के बाद दूसरा सर्वोच्च पदक था। रावत सिंह ३४ प्रिंस अल्बर्ट विक्टर ऑन पूना हॉर्स की तरफ से लड़े थे
== मंदिर ==
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