"पृथ्वी का वायुमण्डल": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Top of Atmosphere.jpg|thumb|right|400px|[[अंतरिक्ष]] से पृथ्वी का दृश्य : वायुमंडल [[नीला]] दिख रहा है।]]
[[पृथ्वी]] को घेरती हुई जितने स्थान में [[वायु]] रहती है उसे '''वायुमंडल''' कहते हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का [[स्थलमण्डल|स्थलमंडल]] ठोस पदार्थों से बना और [[जलमण्डल|जलमंडल]] जल से बनेबना हैं। वायुमंडल कितनी दूर तक फैला हुआ है, इसका ठीक ठीक पता हमें नहीं है, पर यह निश्चित है कि पृथ्वी के चतुर्दिक् कई सौ मीलों तक यह फैला हुआ है।
 
वायुमंडल के निचले भाग को (जो प्राय: चार से आठ मील तक फैला हुआ है) [[क्षोभमण्डल|क्षोभमंडल]], उसके ऊपर के भाग को [[समतापमण्डल|समतापमंडल]] और उसके और ऊपर के भाग को [[मध्य मण्डल]] और उसकेमध्य ऊपरमण्डल केसे ऊपरी भाग को [[आयनमंडल]] कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को "[[क्षोभसीमा|शांतमंडल]]" और समतापमंडल और मध्यमंडल के बीच के भाग को [[समतापसीमा|स्ट्रैटोपॉज़]] कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं।
 
[[प्राणी|प्राणियों]] और पादपों के जीवनपोषण के लिए वायु अति अत्यावश्यक है। पृथ्वीतल के [[अपक्षय]] पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। नाना प्रकार की [[भौतिक]] और [[रसायन विज्ञान|रासायनिक]] क्रियाएँ वायुमंडल की वायु के कारण ही संपन्न होती हैं। वायुमंडल के अनेक दृश्य, जैसे [[इन्द्रधनुष|इंद्रधनुष]], बिजली का चमकना और कड़कना, [[ध्रुवीय ज्योति|उत्तर ध्रुवीय ज्योति]], [[ध्रुवीय ज्योति|दक्षिण ध्रुवीय ज्योति]], [[आभामण्डल|प्रभामंडल]], [[किरीट]], [[मरीचिका]] इत्यादि प्रकाश या विद्युत के कारण ही उत्पन्न होते हैं।
 
वायुमंडल का [[घनत्व]] एक सा नहीं रहता। [[समुद्र तल|समुद्रतल]] पर वायु का दबाव 760 [[मिलीमीटर]] [[वायुमंडलीय दाब|पारे के स्तंभ]] के दाब के बराबर होता है। ऊपर उठने से दबाव में कमी होती जाती है। [[तापमान|ताप]] या स्थान के परिवर्तन से भी दबाव में अंतर आ जाता है।
 
[[सूर्य]] की [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|लघुतरंग विकिरण ऊर्जा]] से पृथ्वी गरम होती है। पृथ्वी से [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|दीर्घतरंग भौमिक ऊर्जा]] का [[विकिरण]] वायुमंडल में अवशोषित होता है। इससे वायुमंडल का ताप - 68 डिग्री सेल्सियस से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। 100 किमी के ऊपर [[पराबैंगनी]] प्रकाश से [[ऑक्सीजन|आक्सीजन]] अणु आयनों में परिणत हो जाते हैं और परमाणु इलेक्ट्रॉनों में। इसी से इस मंडल को आयनमंडल कहते हैं। रात्रि में ये आयन या इलेक्ट्रॉन फिर परस्पर मिलकर अणु या परमाणु में परिणत हो जाते हैं, जिससे रात्रि के प्रकाश के वर्णपट में हरी और लाल रेखाएँ दिखाई पड़ती हैं।
 
== वायुमंडल संगठन ==