"मेघनाद": अवतरणों में अंतर

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माया युद्ध में भी जब लक्ष्मण जी इंद्रजीत पर भारी पड़ने लगे और दूसरी ओर वानर-सेना राक्षस-सेना पर भारी पड़ने लगी, तो क्रोध में आकर उसने लक्ष्मण जी पर पीछे से शक्ति अस्त्र का प्रयोग किया और सारी वानर सेना पर ब्रह्मशिरा अस्त्र का प्रयोग किया, जिससे कि कई वानर सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए, जो कि लगभग पूरा का पूरा वानर वंश था (स्रोत श्रीमद् [[वाल्मीकि रामायण]])। जब हनुमान जी वानर सेना को बचाने दौड़े तो इंद्रजीत ने उन पर भी वैष्णव अस्त्र का प्रयोग किया, परंतु उन्हें भगवान
श्रीब्रह्मा जी का वरदान होने के कारण कुछ नहीं हुआ और वे तुरंत ही सारे वानर सैनिकों और लक्ष्मण जी को बचाने निकल पड़े । इधर दूसरी ओर मेघनाद घायल लक्ष्मण जी उठाने का प्रयत्न करने लगा, परंतु उन्हें हिला भी नहीं सका । इस पर हनुमान जी ने यह कहा कि '''वह उन्हें उठाने का प्रयत्न कर रहा है जो साक्षात भगवान [[शेषनाग]] अनन्त के अवतार हैं, उस जैसे पापी से नहीं उठेंगे'''। इतना कहकर उन्होंने मेघनाद पर प्रहार किया जिससे मेघनाथ दूर जाकर गिरा और हनुमान जी लक्ष्मण जी को बचा कर ले आए । उसके बाद [[सुषेण वैद्य]] के कहने पर हनुमान जी [[संजीवनी|संजीवनी बूटी]] ले आए जिससे लक्ष्मण जी का उपचार हुआ और वे बच गए ।
 
=== तीसरा दिन ===