"झिलाय": अवतरणों में अंतर

→‎top: ऑटोमेटिक वर्तनी सु, replaced: है की → है कि , राजाओ → राजाओं
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=जनवरी 2017}}
{{Dead end|date=जनवरी 2017}}
 
'''झिलाय''' या '''झलाय''' जयपुर स्टेट का प्रथम ठिकाना है जब जयपुर स्टेट में संतान उत्मन्न नहीं होती थी या वंश आगे नहीं बढ़ता था तब ठिकाना झिलाय (झलाय) से ही वंशज गोद ले कर उसका राज तिलक करा जाता था क्योंकि राजपुताना में सदियो से यह परंपरा है कि बड़े भाई के अगर पुत्र नहीं होता तो उनसे छोटे भाई के बड़े पुत्र को गोद लिया जाता था और जयपुर घराने का बड़ा ठिकाना झलाय ही था और जब झलाय में वंश नहीं बढ़ता था तब जयपुर स्टेट से वंशज को गोद लिया जाता था बाद में ठि॰ झिलाय (झलाय) जागीरो के भाइयो में बटवारे हुए जिसमे बड़े भाई ने ठिकाना-झिलाय व दूसरे भाइयो ने ठिकाना-ईसरदा, ठिकाना-बालेर, ठिकाना-पिलुखेड़ा राजस्थान में व ठिकाना मुवालिया नरसिंहगढ़ स्टेट मालवा में ले लिए नरसिंहगढ़ स्टेट के कुंवर चैनसिंह जी १८२४ का विवाह ठिकाना मुवालिया में हुआ था जो जयपुर स्टेट के ही rajawat राजावत परिवार में से है क्योंकि सवाई जयसिंह को तीन बार मालवा का सूबेदार बनाया गया था इसलिए अगली पीढ़ी के मालवा के सभी राजाओं से अच्छे सम्बन्ध थे इसीलिए आगे की पीढ़ी ने सन १८२० के लगभग में मालवा में जागीर ले ली।  कुंवर चैन जी सन १८२४ में अग्रेजो से युद्ध करते हुए सिहोर छावनी में शहिद हो गए थे।  कुंवर चैनसिंह को भारत का प्रथम शहीद भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की पहली स्वतंत्रता सग्राम की लड़ाई सन १८५७ से भी पहले सन १८२४ में लड़ी थी और शाहिद हो गये थे।
 
'Rajawat Thikana-Jhilai ''झिलाय''' या '''झलाय'झिलाई'' जयपुर स्टेट का प्रथम स्वतंत्र ठिकाना है जब जयपुर स्टेट में संतान उत्मन्न नहीं होती थी या वंश आगे नहीं बढ़ता था तब ठिकाना झिलाय (झलाय) से ही वंशज गोद ले कर उसका राज तिलक करा जाता था क्योंकि राजपुताना में सदियो से यह परंपरा है कि बड़े भाई के अगर पुत्र नहीं होता तो उनसे छोटे भाई के बड़े पुत्र को गोद लिया जाता था और जयपुर घराने का बड़ा ठिकाना झलायझिलाय ही था और जब झलायझिलाय में वंश नहीं बढ़ता था तब जयपुर स्टेट से वंशज को गोद लिया जाता था जो बड़ा भाई राजगद्दी पर विराजमान होता था उनके आगे संबोधन मैं महाराज और छोटे भाई को महाराजा लगता है बाद में ठि॰ झिलाय (झलाय) जागीरो के भाइयो में बटवारे हुए जिसमे बड़े भाई ने ठिकाना-झिलाय व दूसरे भाइयो ने ठिकाना-ईसरदा, ठिकाना-बालेर, ठिकाना-पिलुखेड़ा, शिवाड़ राजस्थान में व ठिकाना -मुवालिया नरसिंहगढ़ स्टेट मालवा में ले लिएहै नरसिंहगढ़ स्टेट के कुंवर चैनसिंह जी १८२४१८२७ का विवाह ठिकाना मुवालिया में हुआ था जो जयपुर स्टेट के ही rajawat राजावत परिवार में से है क्योंकि सवाई जयसिंह को तीन बार मालवा का सूबेदार बनाया गया था इसलिए अगली पीढ़ी के मालवा के सभी राजाओं से अच्छे सम्बन्ध थे इसीलिए आगे की पीढ़ी ने सन १८२० के लगभग में मालवा में जागीर ले ली।  कुंवर चैन जी सन १८२४१८२७ में अग्रेजो से युद्ध करते हुए सिहोर छावनी में शहिद हो गए थे।  कुंवर चैनसिंह को भारत का प्रथमसर्वप्रथम युवा राजपूत शहीद भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत की पहली स्वतंत्रता सग्राम की लड़ाई सन १८५७ से भी पहले सन १८२४२४ जुलाई सन १८२७ में लड़ी थी और शाहिद हो गये थे।
कछवाहा वंश Rajawat Thikana Jhilai Nivai Jaipur Rajasthan :- राजावत का सबसे बड़ा ठिकाना झिलाई एक स्वतंत्र राज्य की तरह था झिलाय के खुद के स्टाम्प, मोहर सिक्के चलते थे। झिलाई महाराजा साहब को ट्रेन की आवाज से बहुत दिक्कत थी इसीलिए उन्होंने झिलाई से ट्रेन की पटरी को नहीं निकलने दिया था। उन्होंने उस पर रोक लगा दी थी बाद में लोगों के विशेष अनुरोध पर उन्होंने दूर से निकलने की अनुमति प्रदान की इसके पश्चात दूर से ट्रेन निकाली गई। झिलाई के महाराजा साहब के संतान नही होने पर उन्होंने गोद लेने के लिए अपने बड़वाहजी/ राव को बुलवाकर झिलाई से मालवा नरसिंहगढ़ राज्य गये हुए अपने परिवार के पास ठिकाना मुवालिया पहुचाया था की वे वहा जा कर बड़े भाई के बड़े पुत्र को यहाँ झिलाई ले कर आवे परंतु ठिकाना मुवालिया में उस समय गादी पर एक भाई ही थे उनके ही संतान थी दूसरे भाई को नही, इसलिए बड़वाहजी को खाली हात लौटना पड़ा महाराजा गोवर्द्धन सिंह जी झिलाई के स्वर्गलोक गमन के पश्चात जयपुर महाराज भवानी सिंह जी ने अपने छोटे भाई को ठिकाना झिलाई पर गोदनशीन करवाया जो अभी वर्तमान झिलाई की गादी पर विराजमान है व जयपुर विराजते हैं ।
ठिकाना झिलाई के भाई ठिकानेदार व जागीरदार
महाराजा झुंझार सिंह जी राजावत के पुत्र
महाराजा संग्राम सिंह जी के पांच पुत्र थे
1.महाराजा गज सिंह जी ठिकाना झिलाई,
2. ठा.सा.आनंद सिंह जी राजावत ठिकाना शिवाड़
3. ठा..सा.विजय सिंह जी ठिकाना बगड़ी (ठा.सा.मोहनसिंह जी ठिकाना ईसरदा).
4. ठा. सा. हिम्मतसिंह जी ठिकाना रणोखि,
5. ठाकुर साहब रूपसिंह जी राजावत ठिकाना मुंडिया ।
 
सिर्फ ठिकाना झिलाई के वंशजों को ही महाराजा लगता है बाकी सभी ठिकानों को को ठाकुर साहब की पदवी थी
आमेर जयपुर के महाराज मान सिंह जी के पुत्र जगत सिंह जी और जगत सिंह जी के दो पुत्र हुए प्रथम बड़े पुत्र महा सिंह जी जिनसे वर्तमान आमेर जयपुर वंश है एवं दूसरे पुत्र झुंझार सिंह जी है जिनसे ठिकाना झिलाई निवाई वंश है
महाराजा जुझार सिंह जी रजावत के पुत्र महाराजा संग्राम सिंह जी इनके पांच पुत्रो में सबसे बड़े 1.महाराजा गज सिंह जी ठिकाना झिलाई के पुत्र दरबार कुशल सिंह जी ठिकाना झिलाई के 6 छै पुत्र थे सबसे बड़े
1. महाराजा कीरत सिंह जी झिलाई
2. महाराजा रघुनाथ सिंह जी ठिकाना बालेर
3. महाराजा त्रिलोक सिंह जी ठिकाना पीलूखेड़ा
4. महाराजा चतरसाल सिंह जी ठिकाना मसारना
5. महाराजा अमर सिंह जी ठिकाना देहलाल
6. महाराजा देवी सिंह जी ठिकाना बडागव आदि
 
ठिकाना बालेर के भाई ठिकाना बागड़दा राजस्थान से वर्तमान मध्यप्रदेश के ठिकाना कोलासर श्योपुर में भी है
 
 
[[श्रेणी:जयपुर जिले के गाँव]]
 
[[श्रेणी:जयपुर जिले के गाँव]]
"https://hi.wikipedia.org/wiki/झिलाय" से प्राप्त