"पृथ्वी की आतंरिक संरचना": अवतरणों में अंतर

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{{मुख्य|भूपर्पटी}}
भूपर्पटी पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत गहराई २४ किमी तक है और यह गहराई ५ किमी से ७० किमी के बीच बदलती रहती है। [[सागर|समुद्रों]] के नीचे यह कम मोटी समुद्री बेसाल्तिक भूपर्पटी के रूप में है तो [[महाद्वीप |महाद्वीपों]] के नीचे इसका विस्तार अधिक गहराई तक पाया जाता है। सर्वाधिक गहराई [[पर्वत |पर्वतों]] के नीचे पाई जाती है।
भूपर्पटी को भी तीन परतों में बाँटा जाता है - अवसादी परत, ग्रेनाइटिक परत और बेसाल्टिक परत। ग्रेनाइटिक और बेसाल्टिक परत के मध्य [[कोनार्ड असातत्य|कोनराड असातत्य]] पाया जाता है। ध्यातव्य है कि समुद्री भूपर्पटी केवल [[बेसाल्ट]] और [[गैब्रो]] जैसी चट्टानों की बनी होती है जबकि [[अवसादी चट्टानें|अवसादी]] और [[ग्रेनाइट|ग्रेनाइटिक]] परतें महाद्वीपीय भागों में पाई जाती हैं।
 
भूपर्पटी की रचना में सर्वाधिक मात्रा [[ऑक्सीजन|आक्सीजन]] की है। एडवर्ड स्वेस ने इसे सियाल नाम दिया था क्योंकि यह सिलिका और एल्युमिनियम की बनी है। वस्तुतः यह सियाल महाद्वीपीय भूपर्पटी के अवसादी और ग्रेनाइटिक परतों के लिये सही है। कोनार्ड असातत्य के नीचे सीमा ''(सिलिका+मैग्नीशियम)'' की परत शुरू हो जाती है।