"जाम्बवन्त": अवतरणों में अंतर

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'''जाम्बवन्त''' [[रामायण]] के एक प्रमुख पात्र हैं। वे ऋक्ष प्रजाति के थे।
'''जाम्बवन्त''' एक ऐसे महापुरुष है जिनको चिरंजीवी कहा गया है और उनका संबंध [[रामायण]] और [[महाभारत]] दोनों से है। वे ऋक्ष प्रजाति के थे। पुराणों में ऐसा माना गया है की [http://hindi.panditbooking.com/2016/12/jamwant-ki-katha-in-hindi/ जामवंत] जी का जन्म ब्रह्मा जी से ही हुआ था लेकिन जामवंत के जन्म का स्त्रोत बाकि सब पुत्रो से अलग है। एक दिन ध्याम में बैठे बैठे ब्रह्मा जी के आँखों से आंसू गिरने लगे, उन्ही आंसुओ से प्रकट हुए थे उनके पुत्र जामवंत जो की फिर हिमालय पर रहने लगे। जामवंत का शरीर मानव रूपी ना होकर रीछ रुपी था लेकिन वो मानव के जैसे संवाद कर सकते थे। उनके पत्नी का नाम जयवंती था।
 
उनका सन्दर्भ [[महाभारत]] से भी है। स्यमंतक मणि के लिये श्री कृष्ण एवं जामवंत में नंदिवर्धन पर्वत (तत्कालीन नाँदिया, सिरोही, राजस्थान ) पर २८ दिनो तक युध्द चला। जामवंत को श्री कृष्ण के अवतार का पता चलने पर अपनी पुत्री जामवन्ती का विवाह श्री कृष्ण द्वारा स्थापित शिवलिंग ( रिचेश्वर महादेव मंदिर नांदिया ) की शाक्शी में करवाया। युद्ध मे जाम्बवन्त ने यग्यकूप नामक राक्षस का वध किया था। [[हनुमान]] की माता [[अंजना]] ने जाम्बवन्त को अपना बड़ा भ्राता माना था जिससे वह शिवान्श हनुमान के मामा बन गये।
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==पौराणिक कथा==
जांबवंत जी का जन्म ब्रह्मा जी से ही हुआ था उनके पत्नी का नाम जयवंती था। यह जब जवान थे, तब भगवन त्रिविक्रम [[वामनावतार|वामन]] जी का अवतार हुआ। तब भगवन बलि के पास तीन पग भिक्षा मांगने गए और बलि तैयार भी हो गया, भगवान ने अपना स्वरुप बढ़ाया और भगवान ने देख़ते ही देखते दो पग से ही पूरा ब्रह्मण्ड नाप लिआ अब भगवान ने बलि को बांधने लगे तब जामवंत जी ने बलि को बांधते हुए प्रभु की सात प्रदिक्षणा कर ली और तब तक प्रभु पूरा बलि को पूरा बांध भी नहीं पाए थे। जब सुग्रीव जी, बलि के डर से ऋषिमुख गिरी [[पर्वत|पहाड़]] पर था तब भी जामवंत जी उनके साथ थे। अब उनके ज्ञान के बारे में बात बता दू की जब राम जी बाली को मारने जाने वाले थे तब भी जामवंत जी ने बताया था की इन सात पेड़ो को एक बाण से भेदेगा वही बाली को मारेगा और ऐसा ही हुआ। एक कथा यह भी हे जब हनुमान जी लंका को जाने वे थे तब भी वह जामवंत जी की सलाह लेकर गए थे। अब उनके बल की बात जब भगवान राम ने रावण क मारा तो जामवन्तजी ने भगवान से ये वर माँगा की मुझे युद्ध में ललकारने वाला कोई हो तब भगवान ने कहा की द्वापर में मैं ही तुम से युद्ध करूंगा और ऐसा ही हुआ।
 
'''रामायण काल'''
 
जामवंत [[रामायण]] के मुख्य पात्र थे और समय समय पर उन्होंने रामायण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | जब सुग्रीव जी, बलि के डर से ऋषिमुख गिरी [[पर्वत|पहाड़]] पर था तब भी जामवंत जी उनके साथ थे। अब उनके ज्ञान के बारे में बात बता दू की जब राम जी बाली को मारने जाने वाले थे तब भी जामवंत जी ने बताया था की इन सात पेड़ो को एक बाण से भेदेगा वही बाली को मारेगा और ऐसा ही हुआ। एक कथा यह भी हे जब हनुमान जी लंका को जाने वे थे तब भी वह जामवंत जी की सलाह लेकर गए थे। अब उनके बल की बात जब भगवान राम ने रावण क मारा तो जामवन्तजी ने भगवान से ये वर माँगा की मुझे युद्ध में ललकारने वाला कोई हो तब भगवान ने कहा की द्वापर में मैं ही तुम से युद्ध करूंगा और ऐसा ही हुआ।
 
'''महाभारत काल'''
 
उनका सन्दर्भ [[महाभारत]] से भी है। स्यमंतक मणि के लिये श्री कृष्ण एवं जामवंत में नंदिवर्धन पर्वत (तत्कालीन नाँदिया, सिरोही, राजस्थान ) पर २८ दिनो तक युध्द चला। जामवंत को श्री कृष्ण के अवतार का पता चलने पर अपनी पुत्री जामवन्ती का विवाह श्री कृष्ण द्वारा स्थापित शिवलिंग ( रिचेश्वर महादेव मंदिर नांदिया ) की शाक्शी में करवाया। युद्ध मे जाम्बवन्त ने यग्यकूप नामक राक्षस का वध किया था। [[हनुमान]] की माता [[अंजना]] ने जाम्बवन्त को अपना बड़ा भ्राता माना था जिससे वह शिवान्श हनुमान के मामा बन गये।
 
 
{{श्री राम चरित मानस}}
 
{{श्री राम चरित मानस}}<ref>{{Cite web|url=http://hindi.panditbooking.com/2016/12/jamwant-ki-katha-in-hindi/|title=jamwant katha - एक ऐसा पात्र जिसने रामायण में की राम की सहायता और महाभारत में लड़ा श्रीकृष्ण से युद्ध !|last=द्विवेदी|first=पंडित ओमप्रकाश|date=2016-12-06|website=Panditbooking|language=en-US|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=2020-04-21}}</ref>
[[श्रेणी:रामायण के पात्र]]