"माहेश्वर सूत्र": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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पंक्ति 47:
उदाहरण: '''अच्''' = प्रथम माहेश्वर सूत्र ‘अइउण्’ के आदि वर्ण ‘अ’ को चतुर्थ सूत्र ‘ऐऔच्’ के अन्तिम वर्ण ‘च्’ से योग कराने पर अच् प्रत्याहार बनता है। यह अच् प्रत्याहार अपने आदि अक्षर ‘अ’ से लेकर इत्संज्ञक च् के पूर्व आने वाले औ पर्यन्त सभी अक्षरों का बोध कराता है। अतः,
: '''अच् '''= अ इ उ ऋ ऌ ए ऐ ओ औ।
इसी तरह '''हल् प्रत्याहार''' की सिद्धि ५वें सूत्र हयवरट् के आदि अक्षर '''ह''' को अन्तिम १४ वें सूत्र हल् के अन्तिम अक्षर (या इत् वर्ण) '''ल्''' के साथ मिलाने (अनुबन्ध) से होती है। फलतः,
पंक्ति 53:
: '''हल्''' = ह य व र, ल, ञ म ङ ण न, झ भ, घ ढ ध, ज ब ग ड द, ख फ छ ठ थ च ट त, क प, श ष स, ह।
उपर्युक्त सभी 14 सूत्रों में अन्तिम वर्ण (ण् क्
कुल महत्वपूर्ण प्रत्याहार
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इण्▼
|-
यण्▼
| अण्
अक्▼
| अण्
इक्▼
▲| इण्
उक्▼
▲| यण्
▲| अक्
अच्▼
▲| इक्
इच्▼
|-
एच्▼
▲| उक्
ऐच्▼
| एङ्
अट्▼
▲| अच्
अम्▼
▲| इच्
अल्▼
▲| एच्
यम्▼
▲| ऐच्
|-
ञम्▼
▲| अट्
यञ्▼
▲| अम्
झष्▼
▲| अल्
भष्▼
▲| यम्
अश्▼
| ङम्
हश्▼
▲| ञम्
वश्▼
|-
झश्▼
▲| यञ्
जश्▼
▲| झष्
बश्▼
▲| भष्
छव्▼
▲| अश्
यय्▼
▲| हश्
मय्▼
▲| वश्
झय्▼
|-
खय्▼
▲| झश्
चय्▼
▲| जश्
यर्▼
▲| बश्
झर्▼
▲| छव्
चर्▼
▲| यय्
शर्▼
▲| मय्
हल्▼
|-
वल्▼
▲| झय्
रल्▼
▲| खय्
झल्▼
▲| चय्
▲| यर्
▲| झर्
▲| चर् |-
▲| शर्
▲| हल्
▲| वल्
▲| रल्
▲| झल्
|}
==प्रत्याहारों की संख्या==
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