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जयदेव ने राधाकृष्ण की, [[शृंगार रस]] से परिपूर्ण भक्ति का महिमागान एवं प्रचार किया। जयदेव के राधाकृष्ण सर्वत्र एवं पूर्णत: निराकार हैं। वे शाश्वत चैतन्य-सौन्दर्य की साक्षात अभिव्यक्ति हैं। अपनी काव्य रचनाओं में जयदेव ने राधाकृष्ण की व्यक्त, अव्यक्त, प्रकट एवं अप्रकट- सभी तरह की लीलाओं का भव्य वर्णन किया है।
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*[[गीतगोविन्द]]
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