"अनुलोम-विलोम प्राणायाम": अवतरणों में अंतर
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- अनुलोम-विलोम प्राणायाम करते समय यदि नासिका के सामने आटे जैसी महीन वस्तु रख दी जाए, तो पूरक व रेचक करते समय वह न अंदर जाए और न अपने स्थान से उड़े। अर्थात सांस की गति इतनी सहज होनी चाहिए कि इस प्राणायाम को करते समय स्वयं को भी आवाज न सुनायी पड़े।
== कैसे करे ==
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* सास लेते समय अपना ध्यान दोनो आँखो के बीच में स्थित आज्ञा चक्र पर ध्यान एकत्रित करना चाहिए।
* बायी नाडी को चन्द्र (इडा, गन्गा) नाडी, और दायी नाडी को सूर्य (पीन्गला, यमुना) नाडी केहते है।
* चन्द्र नाडी से थण्डी हवा अन्दर जती है और सूर्य नाडी से गरम नाडी हवा अन्दर
== फायदे ==
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