"भारतीय संसद": अवतरणों में अंतर

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{{मुख्य|भारत के राष्ट्रपति}}
 
[[चित्र:The President, Shri Pranab Mukherjee addressing during his farewell ceremony, at Central Hall of the Parliament, in New Delhi.jpg
|thumb|right|300px|संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति, [[प्रणब मुख़र्जी]]]]
वैसे तो भारत का [[राष्ट्रपति]] संसद का अंग होता है, फिर भी वह दोनों में से किसी भी सदन में न तो बैठता है, न ही उसकी चर्चाओं में भाग लेता है। [[राष्ट्रपति]] समय समय पर संसद के दोनों सदनों को बैठक के लिए आमंत्रित करता है। दोनों सदनों द्वारा पास किया गया कोई विधेयक तभी कानून बन सकता है जब राष्ट्रपति उस पर अपनी अनुमति प्रदान कर दे। इतना ही नहीं, जब संसद के दोनों सदनों का अधिवेशन न चल रहा हो और राष्ट्रपति को महसूस हो कि इन परिस्थितियों में तुरंत कार्यवाही जरूरी है तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है। इस अध्यादेश की शक्ति एवं प्रभाव वही होता है जो संसद द्वारा पास की गई विधि का होता है।