"ग़ुलाम वंश": अवतरणों में अंतर

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#[[शमशुद्दीन क्यूम़र्श]]
 
इसने दिल्ली की सत्ता पर करीब ८४ वर्षों तक राज किया तथा भारत में इस्लामी शासन की नींव डाली। इससे पूर्व किसी भी मुस्लिम शासक ने भारत में लंबे समयपर तक प्रभुत्व कायम नहीं किया था। इसी समय [[चंगेज़ ख़ान|चंगेज खाँ]] के नेतृत्व में भारत के उत्तर पश्चिमी क्षेत्र पर मंगोलों का आक्रमण भी हुआ।हुआ।vansh
 
 
'''<u>[[कुतुब-उद-दीन ऐबक|कुतुबुद्दीन ऐबक :- (1206-1210]]</u>'''
 
* 1206 में महमूद गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। इसी के साथ भारत में पहली बार गुलाम वंश की स्थापना हुई।
*मोहम्मद गौरी ने इसको दास के रूप में ख़रीदा था एवं इससे प्रभावित होकर उसने इसे अमीर-ऐ-आखुर (अस्तबल का प्रधान ) के पद पे नियुक्त किआ |
*कुतुबुद्धीन ऐबक ने गौरी के भारतीय अभियान में बहुत योगदान दिया एवं तराइन के दित्तीए युद्ध के बाद गौरी ने इसको भारतीय प्रदेशो का सूबेदार नियुक्त किआ था |
*इसने 1195 में गुजरात पर हमला किआ था परन्तु असफल रहा था उस वक़्त गुजरात का शासक भीमदेव 2 था | ऐबक ने 1197 में दोबारा गुजरात पर हमला किआ इस वह विजय हुआ परन्तु यह ज्यादा समय वहाँ न टिक सका 1201 में भीमदेव 2 ने गुजरात पर हमला कर उस पर दोबारा अधिकार कर लिया |
*बिहार व बंगाल में बख्तियार खिलजी ने गुलाम वंश का विस्तार किआ एवं उन् राज्यों को भी गुलाम वंश के अधीन कर दिया |
* कुतुबुद्दीन ऐबक का राज्य अभिषेक 12jun 1206 को हुआ। इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।
* कुतुबुद्दीन ऐबक कुत्त्बी तुर्क था।  कुतुबुद्दीन ऐबक महमूद गौरी का गुलाम व दामाद था।
* कुतुबुद्दीन ऐबक को लाखबक्शा या हातिमताई की संज्ञा दी जाती थी। इसको कुरान खां भी बोला जाता था क्युकी यह बचपन से ही कुरान का मीठे स्वर में गा कर पाठ करता था |
* कुतुबुद्दीन ऐबक के समय गजनी का शासक यल्दौज बन गया था जो की इसका एक विरोधी था | इसमें सबसे पहले यल्दौज पर आक्रमण कर गजनी पर भी अधिकार कर लिया परन्तु वहाँ की जनता ने इसका विरोध किआ तो इसको गजनी की गद्दी छोड़नी पारी एवं यह वापस भारत आ गया | इसने अपने दूसरे विरोधी कुबाचा के साथ अपनी बहिन का विवाह करवा दिया जिससे कुबाचा इसके समर्थन में हो गया |
* कुतुबुद्दीन ऐबक ने यलदोज (गजनी) को दामाद, कुबाचा (मुलतान + सिंध) को बहनोई और इल्तुतमिश को अपना ससुर बनाया ताकि गौरी की मृत्यु के बाद सिंहासन का कोई और दावेदार ना बन सके।
* इसने अपने गुरु कुतुबद्दीन बख्तियार काकी की याद में कुतुब मीनार की नींव रखी परंतु वह इसका निर्माण कार्य पूरा नही करवा सका। इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया।
* दिल्ली में स्थित कवेट-उल-इस्लाम मस्जिद और  अजमेर का ढाई दिन का झोंपडा का निर्माण  कुतुबुद्दीन ऐबक ने ही करवाया था।
* Note:-  कवेट-उल-इस्लाम मस्जिद भारत में निर्मित पहली मस्जिद थी।
* 1210 में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर इसकी मृत्यु हुई तथा इसे लाहौर में दफनाया गया था। (RRB 2009)
*इसके दरबार के विद्वान हसन निजामी थे |
*
 
'''<u>आरामशाह (1210)</u>'''
 
i) ऐबक के बाद उसका पुत्र आरामशाह गद्दी पर बैठा |
 
ii) यह एक अयोग्य शासक था एवं इस बात का फ़ायदा उठा कर कुबाचा मुल्तान में एवं अली मर्दन बिहार व बंगाल में स्वतंत्र हो गए |
 
iii) इस समस्या को देखते हुए दिल्ली के अमीरो ने इल्ततुत्मिश को शासक बनने का निमंत्रण भेजा |
 
iv) इल्ततुत्मिश ने अपने आप को गुलाम वंश का शासक घोषित कर दिया 1210 में |
 
v) जब यह बात आरामशाह को पता चली तो उसने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया परन्तु यह मारा गया एवं इल्ततुत्मिश शासक बन गया |
<u>'''[[इल्तुतमिश|इल्तुतमिश :- (1210-1236]]'''</u>
 
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* इल्तुतमिश को गुलामो का ग़ुलाम कहा जाता है क्योंकि यह कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था जो (कुतुबुद्दीन ऐबक) खुद भी महमूद गौरी का गुलाम था।
* इल्तुतमिश इक्ता प्रथा और शुद्ध अर्बियन सिक्के चलाने वाला प्रथम शासक था । इसने सोने व चांदी के सिक्के चलाए जिसमें चांदी के सिक्कों को टंका और सोने के सिक्कों को जीतल कहा जाता था।
* इसको तुर्क ए चिहालगानी का फाऊंडरकी कहतेस्थापना हैंकी, तुर्क ए चिहालगानी चालीस गुलामों का समूह था जो हमेशाप्रशासनिक साएकार्यों कीमें तरहसुल्तान इल्तुतमिशकी केमदद साथकरता रहताथा था।|
*इसने सुल्तान की उपादि ली एवं अपने नाम का खुतबा भी पढ़वाया |
* दिल्ली में स्थित नसीरुद्दीन का मकबरा इल्तुतमिश ने सुल्तान गोरही की याद में बनवाया था, यह मकबरा भारत में निर्मित प्रथम मकबरा था।
*इसके समय में 3 विरोधी थे एक गजनी का यल्दौज दूसरा मुल्तान का कुबाचा और तीसरा बंगाल का अली मर्दान |
*यल्दौज को गजनी से ख़्वारिज़्म शाह के द्वारा खदेड़ दिया गया एवं यह भाग कर मुल्तान पहुंच गया एवं वहाँ पर कुबाचा को हरा कर अधिकार कर लिआ| उसके बाद इसने दिल्ली पर हमला किआ परन्तु 1215 में तराइन के तृत्य युद्ध में इल्ततुत्मिश ने इसको पराजित कर मार डाला था |
*यल्दौज की मृत्यु के बाद कुबाचा ने दोबारा मुल्तान पर अधिकार कर लिया था एवं इल्ततुत्मिश ने इसको मंसूरा नामक स्थान पर पराजित किआ एवं कुबाचा इस पराजय को सहन न कर सका एवं उसने सिंधु नदी में खुद कर आत्मदाह कर लिआ |
*इसने बंगाल पर हमले के लिए अपने पुत्र नसरुद्दीन मुहम्मद को भेजा एवं बंगाल पर अधिकार कर लिआ परन्तु जल्दी ही इसकी मिर्त्यु हो गयी एवं इख्तियारुद्दीन बलखा ने विद्रोह कर दिया एवं 1229 मेंइल्तुतमिश ने बंगाल पर आक्रमण कर वहाँ अधिकार कर लिया |
*चंगेज खां ने गजनी पर हमला कर वहाँ के शासक जलालुद्दीन शाह को खदेड़ दिया जो भाग कर दिल्ली आया एवं इल्तुतमिश से मदद मांगी| चंगेज खां भी इसके पीछे सिंध तक आ गया था एवं रास्ते में इसने सारे शहर को तहस नहस कर दिया था |
*इल्तुतमिश ने चालाकी दिखाई एवं जलालुद्दीन की मदद करने से इंकार कर दिया एवं जब तक चंगेज खां सिंध में रहा (1227 तक ) इसने सिंध की ओर कोई अभियान नहीं भेजा | इस तरह इसने भारत की रक्षा की चंगेज खां से |
* दिल्ली में स्थित नसीरुद्दीन का मकबरा सुल्तानगढ का निर्माण भी करवाया था |
*इसने 1231 में ग्वालियर पर आक्रमण कर अपना अधिकार कर लिया था एवं इसी के बाद इसने अपनी पुत्री रजिया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था |
*इसने बलबन को तुर्कान - ऐ - चिहलगामी का सदस्य नियुक्त किआ था |
*इसने क़ुतुब मीनार को पूरा करवाया, नागौर में अतारकिन का दरवाज़ा बनवाया, एवं बदायू में इसने जामा मस्जिद का निर्माण करवाया |
*
* इल्तुतमिश प्रथम शासक था जिसने 1229 ई.में बगदाद के खलीफा से सुल्तान की वैधानिक उपाधि हासिल की।
* इसकी मृत्यु 1236 ई. में हुई।हुई जब यह बामियान के विरुद्ध अभियान पर जा रहा था |
*इसके दरबारी विद्वान मिनाज उन सिराज व ताजुद्दीन थे |
*इसके शासनकाल से ही इल्बारी वंश की शुरुवात हुई एवं राजा का पद वंशानुगत हो गया |
* 1236 ई. में मरने से पहले इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया को अपनी उतराधिकारी घोषित किया क्योंकि उसका बड़ा पुत्र महमूद मारा जा चुका था।
* परंतु तर्कों की व्यवस्ता के अनुसार कोई महिला उत्तराधिकारी नहीं बन सकती थी।
* जैसे ही इल्तुतमिश की मृत्यु हुई रजिया के उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद भी इल्तुतमिश की पत्नी शाह तुरकाना के नेतृत्व में उसके छोटे पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज को सुल्तान बनाया गया। परन्तु चालीसा ने रुकनुद्दीन को गद्दी पर बिठाया।
 
 
 
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* रज़िया ने रुकनुद्दीन को अपदस्थ करके सत्ता प्राप्त की। उत्तराधिकार को लेकर रज़िया सुल्तान को जनता का समर्थन प्राप्त था।
* रज़िया ने पर्दा प्रथा त्यागकर पुरुषों की भाँती पोशाककुबा( धारणटोपी ) व कुल्हा ( कुरता ) पहन करके दरबार आयोजित किया। उसने मलिक याकूत को उच्च पद प्रदान किया।
*इसने एक गैर तुर्क जमालुद्दीन याकुट को अमीर - ऐ - नियुक्त किआ था जिसके कारन तुर्क अमीर इसे नाराज़ हो गए एवं इसके विरोध में आ गए |
* रज़िया सुल्तान की इन सब गतिविधियों से अमीर समूह नाराज़ हुआ। रज़िया के शासनकाल में मुल्तान, बदायूं और लाहौर के सरदारों ने विद्रोह किया था। तत्पश्चात, रज़िया ने भटिंडा के गवर्नर अल्तुनिया से विवाह किया।
*इसने बदायू व लाहौर के विद्रोह जो क्रमश: कबीर खां व ऐतगीन ने किये थे उसको दबा दिया |
* 1240 ईसवी में कैथल में रज़िया की हत्या कर दी गयी।
*जब वह मुल्तान के विद्रोह को दबाने गयी तो दिल्ली के अमीरो ने इसके भाई मुईजुद्दीन बरामशाह को शासक नियुक्त कर दिया था एवं याकूत की हत्या कर दी थी |
* रजिया सुल्तान ने यकूट को अमीर- ए- आखुर तथा एतगीन को अमीर- ए- हाजिब की उपाधि दी।
*यह बात जब रजिया को पता चली तो उसने चालाकी से अलप्तगीन ( मुल्तान का सूबेदार जिसने विद्रोह किआ था ) से विवाह कर लेती है एवं दिल्ली पर आक्रमण करती है परन्तु यह बरामशाह से पराजित हो जाति है |
* कबीर खान को लाहौर तथा अल्तूनिया को तबरहिंद (आज का बठिंडा) का इक्तेदर बनाया।  
* 1240 ईसवी में जब अपनी पराजय के बाद यह लौट रही थी तो कैथल में रज़िया की हत्या कर दी गयी।
* रजिया सुल्तान ने गियासुद्दीन बलबन को अमीर -ऐ -शिकार के पद पे नियुक्त किआ था |
* ,यह दिल्ली सल्तनत की प्रथम महिला शासिका थी एवं एक योग्य शासिका थी परन्तु इसका स्त्री इसके लिए अभिशाप बन गया था |
*इसके बाद मुईजुद्दीन बहरामशाह शासक बना |
 
 
 
'''<u>[[मुईज़ुद्दीन बहरामशाह|मुइज़ुधिन बहराम शाह - (1240-42)]]</u>'''
 
* 1240 में रजिया सुल्तान की हत्या के बाद मुइजुधिन बहराम शाह सुलतान बना।  
*इसने नायब-ऐ-मामलुकात के पद का सूजन किआ था एवं ऐतगीन को इस पद पर नियुक्त किआ था परन्तु इसके दुर्वयवहार के कारन इसने ऐतगीन की हत्या कर दी |
* बहराम शाह के शासन काल में 1241 में मंगोलों का आक्रमण हुआ जिसमें बहराम शाह मारा गया।
*उसके बाद रूमी खां को ये पद दिया गया परन्तु रूमी खां सुल्तान की हत्या की सडयंत्र रचने की जुर्म में मारा गया |
* मंगोलों ने पंजाब पर हमला किया था।
*इतनी हत्याओं को देख कर तुर्क चालीसा इसके विरोध में आगये |
*1242 में चालीसा ने बहरामशाह की हत्या कर उसके पुत्र मसूद शाह को गद्दी पर बिठाया |
* राम
*
 
 
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* बहराम शाह की मृत्यु के बाद 1242 में फिरोज शाह का पुत्र मसूद शाह सिहासन पर बैठा।
* मसूद शाह ने बलबन को अमीर- ए- हाजिब की उपाधि प्रदान की।
*इसके समय में मंगोलो ने आक्रमण किआ था सिंध पर |
*बलबन ने उन्हें मार भगाया एवं साम्राज्य की रक्षा की |
*बलबन ने इसकी हत्या कर इल्ततुत्मिश के सबसे छोटे पुत्र नसरुद्दीन मुहम्मद को शासक बनाया |
*
 
'''<u>नसरुद्दीन मुहम्मद (1246-1265)</u>'''
 
i) बलबन के सहयोग से इसने 1246 में गद्दी प्राप्त की |
 
ii) यह दयालु व धर्म प्रिय किस्म का सीधा साधा शासक था |
 
iii) यह गद्दी की महत्वकांछाओ से दूर सादा जीवन वयतीत करता था |
 
iv) यह पहला शासक था जो टोपी सीकर ओर कुरान की नक़ल अपने हाथों से लिखकर बेचता था और अपना जीवन निर्वाह करता था |
 
v) बलबन में 1249 में अपनी पुत्री का विवाह नसरुद्दीन मुहमद से करवाया था एवं इसी वर्ष नशरुद्दीन ने बलबन को उलुग खां की उपाधि भी दी थी |
 
vi) मिन्हाज उल सिराज ने तबकात ऐ नासिरी इसको समर्पित किआ था |
 
vii) 1265 में इसकी मृत्यु हो गयी एवं गियासुद्दीन बलबन शासक बना |
'''<u>[[गयासुद्दीन बलबन|गयासुद्दीन बलबन (1265-1290)]]</u>'''
 
* गयासुद्दीन बलबन दिल्ली सल्तनत का नौवां सुल्तान था। वह 1266 में दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना।
* उसने अपने शासनकाल में चालीसा की शक्ति को क्षीण किया और सुल्तान को पद को पुनः गरिमामय बनाया।
* बलबन गुलाम वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।
* बलबन, इल्तुतमिश का दास था। इल्तुतमिश ने बलबन को खासदारचालीसा का सदस्य नियुक्त किया था। इसके बाद बलबन को हांसी का इक्तादार भी नियुक्त किया गया।
*रजिया के समय यह अमीर ऐ शिकार के पद पर था एवं मसूद शाह ने इसको अमीर ऐ हाजिब के पद पे नियुक्त किआ था |
* बलबन ने नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। नासिरुद्दीन को सुल्तान बनाकरने बलबन ने अधिकतर अधिकार अपनेको नियंत्रणनायब मेंबना लेदिया लिएथा थे।|
* नासिरुद्दीन महमूद ने गियासुद्दीन बलबन को उलूग खां की उपाधि दी थी।
* नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद बलबन सुल्तान बना।
* बलबन के चारदो पुत्र थे सुल्तानमोहम्मद महमूद,खां कैकुबाद, कैखुसरोबुगरा और कैकआउस।खां |
* बलबन का असली नाम बहाउधिन था ।
* इसने राजतत्व सिद्धांत की स्थापना की एवं इसके दरबार में लोगो को कठोर सिस्टचार का पालन करना होता था |
* यह इल्तुतमिश के बाद  गुलाम वंश का दूसरा इलब्री तुर्क था।  
*इसने नायाब के पद को समाप्त कर दिया एवं अपने सभी विद्रोहियों को मौत के घाट उतार दिया |इसने अपने सिक्को पर खलीफा का नाम अंकित करवाया एवं फ़ारसी परम्पराओ के अनुसार अपना दरबार चलाया |
* शासक बनने के बाद इसने सबसे पहले सेना का पुर्नगठन किया। सेना को दीवाने - ए- आरिज कहा जाता था।
*इसने अपने पौत्रो के नाम भी फ़ारसी नामो के अनुसार रखे कैख़ुसरो, कैकुबाद, व क्यूमर्स |
* बलबन ने सिजदा और पेबोस प्रथा की शुरुआत की।
*
* शासक बनने के बाद इसने सबसे पहले सेना का पुर्नगठन किया। सेना को दीवाने - ए- आरिज कहा जाता था।
* बलबन ने सिजदा और पेबोस प्रथा की शुरुआत की।
* इसने जिले - ए- इलाही तथा नियाबते खुदाई की उपाधि धारण की।  
* बलबन ने इल्तुतमिश द्वारा बनाए गए चालीसा दल को समाप्त किया।
* नसीरुद्दीन ने बलबन को उलुग खां की उपाधि दी।
*इसके समय में ही मंगोलो ने फिर आक्रमण किआ था जिसमे इसके पुत्र महम्मद खां की मृत्यु हो गयी थी |
*इसी शोक में बलबन की भी मृत्यु हो गयी 1286 में एवं इसने अपने पौत्र कैख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी बनाया |
*
 
'''<u>कैख़ुसरो, कैकुबाद, एवं क्यूमर्स (1286-1290)</u>'''
 
i) बलबन का उत्तराधिकारी कैख़ुसरो बना परन्तु दिल्ली के कोतवाल द्वारा इसको हटा दिया गया एवं कैकुबाद को शासक बनाया गया |
 
ii) कैकुबाद भी ज्यादा समय तक नहीं टिका एवं दिल्ली के अमीर इसके विरोध में हो गए एवं क्यूमर्स को शासक बनाया |
 
iii)कैकुबाद के बाद क्यूमर्स शासक बना |
 
iv) परन्तु फ़िरोज़ शाह खिलजी ने इसकी हत्या कर दी एवं खिलजी वंस की नीव डाली |
 
v) इस तरह 1290 में गुलाम वंश का पतन एवं खिलजी वंश की स्थापना हुई |
'''<u>बाहरी कड़ियाँ</u>'''