"वीर रस": अवतरणों में अंतर
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'''वीर रस''', नौ [[रस (काव्य शास्त्र)|रसों]] में से एक प्रमुख रस है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
युद्ध अथवा किसी कार्य को करने के लिए ह्रदय में जो उत्साह का भाव जागृत होता है उसमें वीर रस कहते हैं
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