"रविदास": अवतरणों में अंतर
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रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात।।
* मन चंगा तो कठौती में गंगा
▲*तुम कहियत हो जगत गुर स्वामी।।हम कहियत हैं कलयुग के कामी।।
▲*मन ही पूजा मन ही धूप ,मन ही सेऊँ सहज सरूप।
== बाहरी कड़ियाँ ==
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