"जग्गी वासुदेव": अवतरणों में अंतर
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== आध्यात्मिक अनुभव ==
२५ वर्ष की उम्र में अनायास ही बड़े विचित्र रूप से, इनको गहन आत्म अनुभूति हुई, जिसने इनके जीवन की दिशा को ही बदल दिया। एक दोपहर, जग्गी वासुदेव मैसूर में चामुंडी पहाड़ियों पर चढ़े और एक चट्टान पर बैठ गए। तब उनकी आंखे पूरी खुली हुई थीं। अचानक, उन्हें शरीर से परे का अनुभव हुआ। उन्हें लगा कि वह अपने शरीर में नहीं हैं, बल्कि हर जगह फैल गए हैं, चट्टानों में, पेड़ों में, पृथ्वी में। अगले कुछ दिनों में, उन्हें यह अनुभव कई बार हुआ और हर बार यह उन्हें परमानंद की स्थिति में छोड़ जाता। इस घटना ने उनकी जीवन शैली को पूरी तरह से बदल दिया। जग्गी वासुदेव ने उन अनुभवों को बाँटने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने का फैसला किया। [[ईशा फाउंडेशन]] की स्थापना और ईशा योग कार्यक्रमों की शुरुआत इसी उद्देश्य को लेकर की गई तकि यह संभावना विश्व को अर्पित की जा सके। यह प्रमाणिक नही है
== ईशा फाउंडेशन ==
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