"अलंकार": अवतरणों में अंतर

अलंकार के भेद के बारे में।
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
परिभाषा - काव्य का सौंदर्य बढाने वाले तत्व अलंकार कहलाते है।
[[अलंकार (साहित्य)|अलंकार]] जो साहित्य को अलंकृत करते हैं।
[[आभूषण|अलंकार]] जो शरीर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए धारण किए जाते हैं।
” काव्यशोभा करान धर्मानअलंकारान प्रचक्षते ।” अर्थात् वह कारक जो काव्य की शोभा बढ़ाते हैं अलंकार कहलाते हैं।
 
मनुष्य सौंदर्य प्रेमी है। वह अपनी प्रत्येक वस्तु को सुसज्जित और अलंकृत देखना चाहता है। वह अपने कथन को भी शब्दों के सुंदर प्रयोग और विश्व उसकी विशिष्ट अर्थवत्ता से प्रभावी व सुंदर बनाना चाहता है। मनुष्य की यही प्रकृति काव्य में अलंकार कहलाती है।
अलंकारों के मुख्यत: तीन वर्ग किए गए हैं-
१. शब्दालंकार- शब्द के दो रूप होते हैं- ध्वनि और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टि होती है। इस अलंकार में वर्ण या शब्दों की लयात्मकता या संगीतात्मक्ता होती है अर्थ का चमत्कार नहीं। शब्दालंकार कुछ वर्णगत होते हैं कुछ शब्दगत और कुछ वाक्यगत होते हैं।