"आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास": अवतरणों में अंतर
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नाटक के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद का विशेष स्थान है। इनके चंद्रगुप्त, स्कंदगुप्त, ध्रुवस्वामिनी जैसे ऐतिहासिक नाटकों में इतिहास और कल्पना तथा भारतीय और पाश्चात्य नाट्य पद्धतियों का समन्वय हुआ है। [[लक्ष्मीनारायण मिश्र]], [[हरिकृष्ण प्रेमी]], [[जगदीशचंद्र माथुर]] आदि इस काल के उल्लेखनीय नाटककार हैं।
शुक्लोत्तर युग
इस काल में गद्य का चहुंमुखी विकास हुआ। पं [[हजारीप्रसाद द्विवेदी|हजारी प्रसाद द्विवेदी]], [[जैनेन्द्र कुमार|जैनेंद्र कुमार]], [[अज्ञेय]], [[यशपाल]], [[नंददुलारे वाजपेयी]], [[डॉ॰ नगेंद्र]], [[रामवृक्ष बेनीपुरी]] तथा [[रामविलास शर्मा|डॉ॰ रामविलास शर्मा]] आदि ने विचारात्मक निबंधों की रचना की है। हजारी प्रसाद द्विवेदी, विद्यानिवास मिश्र, [[कुबेर नाथ राय]], कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, विवेकी राय, ने ललित निबंधों की रचना की है। हरिशंकर परसांई, शरद जोशी, श्रीलाल शुक्ल, रवींन्द्रनाथ त्यागी, तथा के पी सक्सेना, के व्यंग्य आज के जीवन की विद्रूपताओं के उद्धाटन में सफल हुए हैं।
जैनेन्द्र, अज्ञेय, यशपाल, इलाचंद्र जोशी, अमृतलाल नागर, रांगेय राघव और भगवती चरण वर्मा ने उल्लेखनीय उपन्यासों की रचना की. नागार्जुन, फणीश्वर नाथ रेणु, अमृतराय, तथा राही मासूम रजा ने लोकप्रिय आंचलिक उपन्यास लिखे हैं। मोहन राकेश, राजेन्द्र यादव, मन्नू भंडारी, कमलेश्वर, भीष्म साहनी, भैरव प्रसाद गुप्त, आदि ने आधुनिक भाव बोध वाले अनेक उपन्यासों और कहानियों की रचना की है। अमरकांत, निर्मल वर्मा तथा ज्ञानरंजन आदि भी नए कथा साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
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