"इंदिरा गांधी की हत्या": अवतरणों में अंतर

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===ऑपरेशन ब्लूस्टार===
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[[File:AkalTakhtGoldenTempleComplex.jpg|thumb|right|200px|मरम्मत के बाद, [[अकाल तख़्त]] की आज की तस्वीर]]
 
[[भारतीय सशस्‍त्र सेनाएँ|भारतीय सेना]] द्वारा 3 से 6 जून 1984 को [[अमृतसर]] (पंजाब, भारत) स्थित [[हरिमन्दिर साहिब|हरिमंदिर साहिब]] परिसर को [[ख़ालिस्तान आंदोलन|ख़ालिस्तान]] समर्थक [[जरनैल सिंह भिंडरांवाले|जनरैल सिंह भिंडरावाले]] और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/multimedia/2014/06/140605_operation_blue_star_gallery_rns|title=जरनैल सिंह भिंडरावाले का सफ़र}}</ref> [[पंजाब (भारत)|पंजाब]] में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें [[पाकिस्तान]] से समर्थन मिल रहा था। तीन जून को भारतीय सेना ने अमृतसर पहुँचकर स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर लिया। शाम में शहर में कर्फ़्यू लगा दिया गया। चार जून को सेना ने गोलीबारी शुरु कर दी ताकि मंदिर में मौजूद मोर्चाबंद चरमपंथियों के हथियारों और असलहों का अंदाज़ा लगाया जा सके। चरमपंथियों की ओर से इसका इतना तीखा जवाब मिला कि पांच जून को बख़तरबंद गाड़ियों और टैंकों को इस्तेमाल करने का निर्णय किया गया। पांच जून की रात को सेना और सिख लड़ाकों के बीच असली भिड़ंत शुरु हुई।
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===इंदिरा गाँधी की निंदा और विरोध===
[[File:AkalTakhtGoldenTempleComplex.jpg|thumb|right|200px|मरम्मत के बाद, [[अकाल तख़्त]] की आज की तस्वीर]]
 
ऑपरेशन ब्लूस्टार में अपनी भूमिका के कारण [[इंदिरा गांधी]], जिसने अकाल तख्त के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचाया था और हताहतों की संख्या हुई थी, सिखों के बीच अत्यंत अलोकप्रिय हो गयीं। [[स्वर्ण मंदिर]] परिसर में जूतों के साथ सेना के जवानों के कथित प्रवेश और मंदिर के पुस्तकालय में सिख धर्मग्रंथों और पांडुलिपियों के कथित रूप से नष्ट होने के कारण सिख संवेदनाएं आहत हुईं थीं। इस तरह की कार्रवाइयों से सरकार के प्रति अविश्वास का माहौल पैदा होने लगा। स्वर्ण मंदिर पर हमला करने को बहुत से सिक्खों ने अपने धर्म पर हमला करने के समान माना एवं कई प्रमुख सिखों ने या तो अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया या फिर विरोध में सरकार द्वारा दिए गए सम्मान लौटा दिए।<ref name="IT_deserters">{{cite news |last1=Sandhu |first1=Kanwar |title=Sikh Army deserters are paying the price for their action |url=https://www.indiatoday.in/magazine/special-report/story/19900515-sikh-army-deserters-struggle-to-earn-livelihood-812580-1990-05-15 |accessdate=19 June 2018 |publisher=India Today |date=15 May 1990 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180619214140/https://www.indiatoday.in/magazine/special-report/story/19900515-sikh-army-deserters-struggle-to-earn-livelihood-812580-1990-05-15 |archive-date=19 June 2018 |url-status=live }}</ref>