"सौर ऊर्जा": अवतरणों में अंतर
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Pooja Jadhav (वार्ता | योगदान) |
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== सौर ऊर्जा का उपयोग करके क्या क्या बॅन सकता हें । ==
सौर उष्मा द्वारा खाना पकाने से विभिन्न प्रकार के परम्परागत ईंधनों की बचत होती है। बाक्स पाचक, वाष्प-पाचक व उष्मा भंडारक प्रकार के एवं भोजन पाचक, सामुदायिक पाचक आदि प्रकार के सौर-पाचक विकसित किए जा चुके हैं। ऐसे भी बाक्स पाचक विकसित किए गये हैं जो बरसात या धुंध के दिनों में बिजली से खाना पकाने हेतु प्रयोग किए जा सकते हैं। अबतक लगभग ४,६०,००० सौर-पाचक बिक्री किए जा चुके हैं।
सोलर कुकर बनाना
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इस प्रकार के कुकर परंपरागत खाना पकाने वाले प्रणाली के सबसे करीब होते है| यह रसोई घर के अंदर ही खाना पकाने की संभावना प्रदान करते है| इनमे एक बड़े रिफ्लेक्टर, जो बाहर के तरफ होता हैं और माध्यमिक रिफ्लेक्टर के माध्यम से सूर्य की रौशनी को काले रंग में रंगे बर्तन या फ्राइंग पैन के तल पर केंद्रित किया जाता है। इस प्रकिया के माध्यम से इतना तापमान प्राप्त किया जा सकता है, जिससे बहुत जल्दी खाना पक सके, यह एक बॉक्स कुकर की तुलना में अधिक तेजी से खाना बनाते हैं| क्यूंकि यह पारंपरिक प्रणाली की तरह कार्य करता है, इसलिए इससे चपातियां, डोसा, आदि बनाना संभव होता हैं| आकार की वजह से, यह 40-100 लोगों के लिए खाना पकाने के लिए भली-भाति सक्षम होता हैं| इसकी लागत लगभग रुपये 75,000 से 1.6 लाख के आसपास आती हैं और अपने आकार की वजह से यह एक वर्ष में 30-65 एलपीजी सिलेंडरों का संचय करने में सक्षम भी होता हैं| अधिकांश ऐसी प्रणालियों में सूरज की रोशनी को ट्रैक करने के लिए स्वचालित रोटेशन प्रणाली लैस होती हैं। इनमे एक मैकेनिकल युक्ति या सूरज को ट्रैक करने के लिए घड़ी-नुमा परावर्तक की व्यवस्था भी होती हैं|
===सोलर मोबाइल चार्जर===
सोलर मोबाइल चार्जर हेतु आवश्यक
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सौर फोटो वोल्टायिक तरीके से ऊर्जा, प्राप्त करने के लिए सूर्य की रोशनी को सेमीकन्डक्टर की बनी सोलार सेल पर डाल कर बिजली पैदा की जाती है। इस प्रणाली में सूर्य की रोशनी से सीधे बिजली प्राप्त कर कई प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं।भारत उन अग्रणी देशों में से एक है जहाँ फोटो वोल्टायिक प्रणाली प्रौद्योगिकी का समुचित विकास किया गया है एवं इस प्रौद्योगिकी पर आधारित विद्युत उत्पादक इकाईयों द्वारा अनेक प्रकार के कार्य सम्पन्न किये जा रहे हैं। देश में नौ कम्पनियों द्वारा सौर सेलों का निर्माण किया जा रहा है एवं बाइस द्वारा फोटोवोल्टायिक माड्यूलों का। लगभग ५० कम्पनियां फोटो वोल्टायिक प्रणालियों के अभिकल्पन, समन्वयन व आपूर्ति के कार्यक्रमों से सक्रिय रूप से जुड़ी हुयी हैं। सन् १९९६-९९ के दौरान देश में ९.५ मेगावाट के फोटो वोल्टायिक माड्यूल निर्मित किए गये। अबतक लगभग ६००००० व्यक्तिगत फोटोवोल्टायिक प्रणालियां (कुल क्षमता ४० मेगावाट) संस्थापित की जा चुकी हैं। भारत सरकार का अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय सौर लालटेन, सौर-गृह, सौर सार्वजनिक प्रकाश प्रणाली, जल-पम्प, एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एकल फोटोवोल्टायिक ऊर्जा संयंत्रों के विकास, संस्थापना आदि को प्रोत्साहित कर रहा है।फोटो वोल्टायिक प्रणाली माड्यूलर प्रकार की होती है। इनमें किसी प्रकार के जीवाष्म उर्जा की खपत नहीं होती है तथा इनका रख रखाव व परिचालन सुगम है। साथ ही ये पर्यावरण सुहृद हैं। दूरस्थ स्थानों, रेगिस्तानी इलाकों, पहाड़ी क्षेत्रों, द्वीपों, जंगली इलाकों आदि, जहाँ प्रचलित ग्रिड प्रणाली द्वारा बिजली आसानी से नहीं पहुँच सकती है, के लिए यह प्रणाली आदर्श है। अतएव फोटो वोल्टायिक प्रणाली दूरस्थ दुर्गम स्थानों की दशा सुधारने में अत्यन्त उपयोगी है।
सौर लालटेन एक हल्का ढोया जा सकने वाली फोटो वोल्टायिक तंत्र है। इसके अन्तर्गत लालटेन, रख रखाव रहित बैटरी, इलेक्ट्रानिक नियंत्रक प्रणाली, व ७ वाट का छोटा फ्लुओरेसेन्ट लैम्प युक्त माड्यूल तथा एक १० वाट का फोटो वोल्टायिक माड्यूल आता है। यह घर के अन्दर व घर के बाहर प्रतिदिन ३ से ४ घंटे तक प्रकाश दे सकने में सक्षम है। किरासिन आधारित लालटेन, ढ़िबरी, पेट्रोमैक्स आदि का यह एक आदर्श विकल्प है। इनकी तरह न तो इससे धुआँ निकलता है, न आग लगने का खतरा है और न स्वास्थ्य का। अबतक लगभग २,५०,००० के उपर सौर लालटेने देश के ग्रामीण इलाकों में कार्यरत हैं।
फोटो वोल्टायिक प्रणाली द्वारा पीने व सिंचाई के लिए कुओं आदि से जल का पम्प किया जाना भारत के लिए एक अत्यन्त उपयोगी प्रणाली है। सामान्य जल पम्प प्रणाली में ९०० वाट का फोटो वाल्टायिक माड्यूल, एक मोटर युक्त पम्प एवं अन्य आवश्यक उपकरण होते हैं। अबतक ४,५०० से उपर सौर जल पम्प संस्थापित किये जा चुके हैं।
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घरेलू सौर प्रणाली के अन्तर्गत २ से ४ बल्ब (या ट्यूब लाइट) जलाए जा सकते हैं, साथ ही इससे छोटा डीसी पंखा और एक छोटा टेलीविजन २ से ३ घंटे तक चलाए जा सकते हैं। इस प्रणाली में ३७ वाट का फोटो वोल्टायिक पैनेल व ४० अंपियर-घंटा की अल्प रख-रखाव वाली बैटरी होती है। ग्रामीण उपयोग के लिए इस प्रकार की बिजली का स्रोत ग्रिड स्तर की बिजली के मुकाबले काफी अच्छा है। अबतक पहाड़ी, जंगली व रेगिस्तानी इलाकों के लगभग १,००,००० घरों में यह प्रणाली लगायी जा चुकी है।
[[चित्र:ROSSA.jpg|center|500px|thumb|अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के सौर पैनेल]]
== कमियां ==
सौर ऊर्जा की कई परेशानियां भी होती हैं। व्यापक पैमाने पर बिजली निर्माण के लिए पैनलों पर भारी निवेश करना पड़ता है। दूसरा, दुनिया में अनेक स्थानों पर सूर्य की रोशनी कम आती है, इसलिए वहां सोलर पैनल कारगर नहीं हैं। तीसरा, सोलर पैनल बरसात के मौसम में ज्यादा बिजली नहीं बना पाते। फिर भी विशेषज्ञों का मत है कि भविष्य में सौर ऊर्जा का अधिकाधिक प्रयोग होगा। [[भारत के प्रधानमंत्री]] ने हाल में [[सिलिकॉन वैली]] की तरह [[भारत]] में सोलर वैली बनाने की इच्छा जताई है।
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