"असहयोग आन्दोलन": अवतरणों में अंतर
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;चौरी-चौरा काण्ड
{{मुख्य|चौरी चौरा कांड}}
फ़रवरी 1922 में किसानों के एक समूह ने संयुक्त प्रांत के [[गोरखपुर]] जिले के [[चौरी-चौरा]] पुरवा में एक पुलिस स्टेशन पर आक्रमण कर उसमें आग लगा दी। इस अग्निकांड में कई पुलिस वालों की जान चली गई। हिंसा की इस कार्यवाही से गाँधी जी को यह आंदोलन तत्काल वापस लेना पड़ा। उन्होंने जोर दिया कि, ‘किसी भी तरह की उत्तेजना को निहत्थे और एक तरह से भीड़ की दया पर निर्भर व्यक्तियों की घृणित हत्या के आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता है’। परन्तु गन्धी जी यहाँ यह भूल गये कि सन १९१९ में बैसखी के दिन जलियान्वाला बाग में हजारो निहत्थे भारतीयो को इन्ही पुलिस वालो ने घेर कर मशीनगन से निर्ममता से भून दिया था फिर भी असहयोग आंदोलन के दौरान हजारों भारतीयों को जेल में डाल दिया
== प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का बहिष्कार ==
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