"तराइन का युद्ध": अवतरणों में अंतर

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क्योंकि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर सम्राट थे जिसका विवरण उनके राज कवि पण्डित जयानक ने पृथ्वीराज विजय नामक महाकाव्य दिया है
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[[चित्र:The last stan of Rajputs against Muhammadans.jpg|thumb|right|250px|तराइन का युद्ध]]
'''तराइन का युद्ध''' अथवा '''[[तरावड़ी]] का युद्ध''' युद्धों (1191 और 1192) की एक ऐसी शृंखला है, जिसने पूरे उत्तर भारत को मुस्लिम नियंत्रण के लिए खोल दिया। ये युद्ध [[मोहम्मद ग़ोरी|मोहम्मद ग़ौरी]] (मूल नाम: मुईज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम) और [[अजमेर]] तथा [[दिल्ली]] के चौहान (चहमान) गुर्जर सम्राटराजपूत शासक [[पृथ्वीराज चौहान|पृथ्वी राज तृतीय]] के बीच हुये। युद्ध क्षेत्र [[भारत]] के वर्तमान राज्य [[हरियाणा]] के [[करनाल]] जिले में [[करनाल]] और थानेश्वर ([[कुरुक्षेत्र]]) के बीच था, जो [[दिल्ली]] से 113 किमी उत्तर में स्थित है।<ref>http://www.informaworld.com/smpp/content~content=a790406179~db=all</ref>
 
== तराइन का प्रथम युद्ध (1191 ई०)==